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Blog / 28 Nov 2025

रेयर-अर्थ मैग्नेट स्कीम को मंज़ूरी

सन्दर्भ:

हाल ही में भारत की केंद्रीय कैबिनेट ने सिन्टर्ड रेयर-अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) निर्माण प्रोत्साहन योजनाको मंज़ूरी दी है। यह पहल देश में रेयर-अर्थ मैग्नेट के उत्पादन हेतु संपूर्ण मूल्य-श्रृंखला (value chain) विकसित करने का भारत का पहला व्यापक और रणनीतिक प्रयास है।

इस नीति का महत्व क्यों है?

    • रेयर-अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) अत्यधिक शक्तिशाली चुंबक होते हैं, जिनका उपयोग अनेक उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में अनिवार्य रूप से किया जाता हैजैसे इलेक्ट्रिक वाहन (EVs), पवन ऊर्जा संयंत्र, रक्षा एवं एयरोस्पेस प्लेटफ़ॉर्म, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स और चिकित्सा उपकरण।
    • वर्तमान में भारत REPM की अपनी आवश्यकता के लिए लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भर है। यह निर्भरता रणनीतिक दृष्टि से संवेदनशील बनाती है, क्योंकि वैश्विक बाज़ार में चीन का दबदबा है और हाल के वर्षों में उसने निर्यात प्रतिबंधों एवं आपूर्ति में कटौती जैसे कदम उठाए हैं।
    • 2030 तक भारत में REPM की मांग लगभग दोगुनी होने वाली है।

Rare‑Earth Magnet Scheme

इस स्कीम का उद्देश्य:

·        सप्लाई-चेन को सुरक्षित बनाना

·        आयात पर निर्भरता कम करना

·        EVs, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा जैसे क्षेत्रों की बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करना

योजना की मुख्य विशेषताएँ (Key Features):

योजना का लक्ष्य देश में 6,000 MTPA (मीट्रिक टन प्रति वर्ष) की REPM उत्पादन क्षमता विकसित करना है।

वित्तीय सहायता दो प्रमुख घटकों के रूप में प्रदान की जाएगी:

·        बिक्री-आधारित प्रोत्साहन (Sales-linked Incentive): ₹6,450 करोड़ (5 वर्षों के लिए)

·        पूंजी सब्सिडी (Capital Subsidy): ₹750 करोड़ विनिर्माण सुविधाएँ स्थापित करने में सहायता हेतु

स्कीम की कुल अवधि 7 वर्ष होगी:

·        2 वर्ष: संयंत्र (plant) स्थापना और आधारभूत ढाँचा विकसित करने के लिए।

·        5 वर्ष: प्रोत्साहनों का लाभ प्राप्त करने के लिए।

योजना में रेयर-अर्थ मैग्नेट निर्माण की संपूर्ण मूल्य-श्रृंखला (value chain) सम्मिलित है:

रेयर-अर्थ ऑक्साइड मेटल
मेटल
अलॉय
अलॉय
तैयार परमानेंट मैग्नेट

संभावित प्रभाव :

    • सप्लाई-चेन सुरक्षा और आत्मनिर्भरता: घरेलू REPM उत्पादन से भारत की EV, रक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा और एयरोस्पेस जैसी महत्वपूर्ण उद्योगों को वैश्विक सप्लाई संकटों और भू-राजनीतिक दबावों से सुरक्षा मिलेगी। इससे देश रणनीतिक रूप से अधिक आत्मनिर्भर बनेगा।
    • हाई-टेक निर्माण को बढ़ावा: यह योजना उन्नत धातु तकनीक, अलॉय निर्माण, मटेरियल साइंस और रेयर-अर्थ प्रसंस्करण जैसे उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में नई क्षमता और नवाचार को प्रोत्साहित करेगी। इससे भारत में अत्याधुनिक विनिर्माण का मजबूत आधार विकसित होगा।
    • निवेश और रोजगार में वृद्धि: नई विनिर्माण इकाइयों, सप्लाई-चेन नेटवर्क और सहायक उद्योगों के विकास से बड़े पैमाने पर निवेश और गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजित होंगे। इससे क्षेत्रीय औद्योगिक विकास को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
    • ऊर्जा परिवर्तन को बल: भारत के 2070 नेट-ज़ीरो लक्ष्य को पूरा करने के लिए REPM की स्थिर और घरेलू आपूर्ति अत्यंत महत्वपूर्ण है। EV मोटर्स, पवन टर्बाइन और ग्रीन-टेक्नोलॉजी में इन मैग्नेटों की बढ़ती मांग को देखते हुए, यह योजना भारत के ऊर्जा परिवर्तन को निर्णायक गति प्रदान करेगी।

निष्कर्ष:

₹7,280 करोड़ की यह स्कीम भारत को आयातक से वैश्विक निर्माता बनने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। यह रणनीतिक स्वतंत्रता बढ़ाएगी, सप्लाई-चेन को सुरक्षित करेगी और EVs, ग्रीन ऊर्जा, रक्षा तथा हाई-टेक क्षेत्रों को नई मजबूती देगी। संपूर्ण वैल्यू-चेन को विकसित करने वाली यह पहल मेक इन इंडियाऔर आत्मनिर्भर भारतको गति देते हुए भारत को 2047 तक एक उन्नत, तकनीकी रूप से सक्षम अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।