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Daily-current-affairs / 24 Dec 2025

ग्रामीण रोज़गार नीति का पुनर्गठन: विकसित भारत–रोज़गार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) कानून, 2025

ग्रामीण रोज़गार नीति का पुनर्गठन: विकसित भारत–रोज़गार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) कानून, 2025

संदर्भ:

ग्रामीण रोज़गार लगभग दो दशकों से भारत की सामाजिक सुरक्षा संरचना की आधारशिला रही है। 2005 में कार्यान्वित होने के बाद से, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ने मज़दूरी वाला रोजगार प्रदान करने, ग्रामीण आय को स्थिर करने और मूलभूत अवसंरचना निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, समय के साथ, ग्रामीण भारत की संरचना और लक्ष्य अत्‍यधिक बदल गए हैं। बढ़ती आय, बढ़ी हुई कनेक्टिविटी, व्यापक स्तर पर डिजिटल पहुंच और अलग-अलग तरह की आजीविका ने ग्रामीण रोज़गार की आवश्यकताओं की प्रकृति बदल दी है।

      • इस पृष्ठभूमि में, भारत के राष्ट्रपति द्वारा विकसित भारतगारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 को स्वीकृति प्रदान की गई है। विकसित भारत-जी राम जी कानून 2025, मनरेगा में व्यापक वैधानिक बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जो ग्रामीण रोज़गार को विकसित भारत 2047 के दीर्घकालिक विजन के साथ संयोजित करता है तथा जवाबदेही, बुनियादी ढांचे के परिणामों और आय सुरक्षा को सुदृढ़ करता है।

नए कानून के उद्देश्य और स्तंभ:

      • विकसित भारतगारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) कानून, 2025 के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
        • ग्रामीण परिवारों के लिए अधिक वैधानिक कार्य-गारंटी के माध्यम से रोज़गार सुरक्षा को सुदृढ़ करना।
        • संरचित एवं एकीकृत योजना के माध्यम से टिकाऊ परिसंपत्ति निर्माण और ग्रामीण अवसंरचना को बढ़ावा देना।
        • ग्राम स्तर पर अनेक ग्रामीण विकास योजनाओं का एकीकरण करना।
        • कुशल योजना, निगरानी और पारदर्शिता के लिए प्रौद्योगिकी और डेटा का उपयोग करना।
      • समग्र रूप से, यह कानून पूर्ववर्ती अधिकार-आधारित, मांग-प्रेरित ढांचे से हटकर अधिक योजनाबद्ध, परिणामोन्मुख ग्रामीण रोज़गार पारिस्थितिकी तंत्र की ओर संक्रमण का प्रयास करता है।

‎वह टेक्स्ट जिसमें '‎Why is VB-G RAM G Bill neccesary? Earlier MGNREGA 100 Now VB-G RAM G Bill 2025 Impact 100 days of employment 125 days of employment Increased days of wage employment ذا Work was scattered across sectors Localised planning of work as mandated by gram panchayats Robust national strategy that will help achieve the dream of 'Viksit Gram Panchayats' Central government fully funds wages, while States give unemployment allowance Structured 60:40 cost sharing between Centre and State governments, 90:10 for special category states Increased accountabilityfor for State governments to uphold shared responsibility on national objectives‎' लिखा है‎ का ग्राफ़िक हो सकता है

विकसित भारत-जी राम जी कानून 2025 की प्रमुख विशेषताएँ:

      • रोज़गार की गारंटी:
        • कानून प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में 125 दिनों के अकुशल मज़दूरी-आधारित रोज़गार की वैधानिक गारंटी प्रदान करता है, जो मनरेगा के अंतर्गत 100 दिनों की सीमा से अधिक है।
      • मानक आवंटन और वित्तपोषण संरचना:
        • राज्यों के लिए ग्रामीण रोज़गार बजट हेतु मानक (नॉर्मेटिव) वित्तीय आवंटन की व्यवस्था की गई है।
        • निर्धारित आवंटन से अधिक किसी भी व्यय का भार संबंधित राज्य सरकार को वहन करना होगा।
        • योजना को केंद्रीय प्रायोजित कार्यक्रम में परिवर्तित किया गया है, जिसमें केंद्रराज्य वित्तपोषण अनुपात 60:40 होगा (पूर्वोत्तर एवं हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 तथा बिना विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विशेष प्रावधान)।
        • बेरोज़गारी भत्ता देने का व्यय राज्यों द्वारा ही वहन किया जाता रहेगा।
      • जलवायु के लिये कार्य-विराम   
        • कृषि श्रम की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, राज्यों को बुवाई एवं कटाई जैसे कृषि के चरम मौसमों के दौरान अधिकतम 60 दिनों तक कार्य-विराम अधिसूचित करने की अनुमति दी गई है।
      • योजना और कार्यान्वयन
        • ग्रामीण कार्यों की पहचान विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं (VGPPs) के माध्यम से की जाएगी, जिन्हें ग्राम पंचायतों द्वारा तैयार किया जाएगा।
        • इन योजनाओं को पीएम गति शक्ति सहित राष्ट्रीय योजना ढाँचों के साथ एकीकृत किया जाएगा।
        • यह व्यवस्था MGNREGA की अपेक्षाकृत सामान्य परियोजना चयन प्रक्रिया का स्थान लेती है और टिकाऊ, परिणामोन्मुख कार्यों पर बल देती है।
      • प्रौद्योगिकी और पारदर्शिता
        • कानून एक व्यापक डिजिटल शासन ढांचे की परिकल्पना करता है, जिसमें शामिल हैं:
          • श्रमिक उपस्थिति के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण
          • कार्यस्थलों की GPS एवं मोबाइल-आधारित निगरानी
          • योजना, लेखा-परीक्षा और धोखाधड़ी की पहचान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उपकरणों का उपयोग
          • वास्तविक समय डैशबोर्ड और उन्नत सार्वजनिक प्रकटीकरण तंत्र
          • इन उपायों का उद्देश्य अपव्यय को कम करना और जवाबदेही को सुदृढ़ करना है।
      • निगरानी और संस्थागत ढांचा
        • नीति समन्वय और समीक्षा के लिए केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी परिषदों तथा संचालन समितियों की स्थापना।
        • पंचायती राज संस्थाएँ (PRIs) योजना, कार्यान्वयन और निगरानी में केंद्रीय भूमिका निभाती रहेंगी।
      • बेरोज़गारी भत्ते का संरक्षण
        • निर्धारित समयावधि के भीतर रोज़गार उपलब्ध न होने की स्थिति में देय बेरोज़गारी भत्ते का प्रावधान बनाए रखा गया है और कुछ पहलुओं में इसे सुदृढ़ भी किया गया है।

मनरेगा (2005) के साथ तुलना:

विशेषता

मनरेगा (2005)

विकसित भारत-जी राम जी कानून 2025

रोज़गार गारंटी

प्रति ग्रामीण परिवार 100 दिन

प्रति ग्रामीण परिवार 125 दिन

वित्तपोषण मॉडल

मज़दूरी का केंद्रीय वित्तपोषण; सामग्री/प्रशासनिक लागत साझा

मानक आवंटन के साथ केंद्रीय प्रायोजित योजना (60:40 केंद्रराज्य)

अधिकार का स्वरूप

मांग-प्रेरित, विधिक रूप से प्रवर्तनीय कार्य का अधिकार

आवंटन से जुड़ी गारंटी; पूर्णतः खुला नहीं

मौसमी विराम

कोई प्रावधान नहीं

कृषि के चरम मौसमों में 60 दिनों तक का विराम

योजना दृष्टिकोण

ग्राम सभा और पंचायत-नेतृत्वित

राष्ट्रीय अवसंरचना योजना से एकीकृत VGPPs

प्रौद्योगिकी का उपयोग

MIS और सामाजिक लेखा-परीक्षा

बायोमेट्रिक उपस्थिति, GPS, AI और डिजिटल डैशबोर्ड

पंचायत की भूमिका

कार्यों की पहचान और निष्पादन

VGPPs की तैयारी और कार्यान्वयन में केंद्रीय भूमिका

नया ढांचा खुले, मांग-आधारित अधिकार से हटकर अधिक योजनाबद्ध, आवंटन-आधारित मॉडल की ओर संक्रमण को दर्शाता है, जिसमें प्रौद्योगिकी का व्यापक एकीकरण है।

आलोचनाएँ:

      • अधिकार और आवंटन मॉडल: आलोचकों का तर्क है कि मानक वित्तीय सीमाओं के साथ विधिक रूप से प्रवर्तनीय कार्य-अधिकार को प्रतिस्थापित करना, मनरेगा के तहत उपलब्ध गारंटी को कमजोर करता है। सामाजिक कार्यकर्ता समूहों ने आशंका व्यक्त की है कि रोज़गार बजट-सीमित और विवेकाधीन हो सकता है।
      • राज्यों पर वित्तीय भार: मानक आवंटन से अधिक व्यय तथा बेरोज़गारी भत्ते का भार राज्यों पर डालने से विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों पर राजकोषीय दबाव बढ़ने की आशंका है।
      • विपक्षी विरोध और राजनीतिक विवाद: विपक्षी दलों ने पर्याप्त संसदीय और समिति-स्तरीय जांच के बिना कानून पारित किए जाने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन और बहिर्गमन किया। कुछ नेताओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार कार्यक्रम से महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने की भी आलोचना की।
      • नागरिक समाज की चिंताएँ: श्रम एवं ग्रामीण अधिकार संगठनों, जिनमें NREGA संघर्ष मोर्चा भी शामिल है, ने कानून को का विरोध करते हुए यह तर्क दिया कि यह ग्रामीण आजीविका सुरक्षा और श्रमिक अधिकारों को कमजोर करता है।

प्रभाव:

      • ग्रामीण आजीविका सुरक्षा: यदि पर्याप्त वित्तपोषण और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया गया, तो 125 दिनों की बढ़ी हुई गारंटी उच्च बेरोज़गारी और संकटग्रस्त पलायन वाले क्षेत्रों में आय सुरक्षा को बेहतर बना सकती है।
      • लक्षित अवसंरचना निर्माण: रोज़गार को टिकाऊ परिसंपत्ति निर्माण से जोड़ने से ग्रामीण अवसंरचना की गुणवत्ता और आर्थिक उपयोगिता में सुधार हो सकता है।
      • प्रौद्योगिकी-आधारित शासन: डिजिटल उपकरण पारदर्शिता बढ़ा सकते हैं, भ्रष्टाचार को कम कर सकते हैं और समय पर मज़दूरी भुगतान सुनिश्चित कर सकते हैं, हालांकि डिजिटल बहिष्करण की आशंकाएँ बनी हुई हैं।
      • राजकोषीय पूर्वानुमेयता: मानक आवंटन बजटीय अनुशासन को बढ़ाते हैं, किंतु संकट या अचानक बढ़ी हुई रोज़गार मांग के समय लचीलापन घट सकता है।

निष्कर्ष:

विकसित भारतरोज़गार और आजीविका की गारंटी मिशन (ग्रामीण) कानून, 2025 भारत की ग्रामीण रोज़गार नीति का एक मौलिक पुनर्गठन प्रस्तुत करता है। आजीविका सुरक्षा के उद्देश्य को बनाए रखते हुए, यह वित्तपोषण, योजना और शासन में महत्वपूर्ण परिवर्तन करता है। मनरेगा के अधिकार-आधारित, मांग-प्रेरित मॉडल से हटकर विकसित भारत @2047 के व्यापक विकासात्मक लक्ष्यों के अनुरूप योजनाबद्ध, आवंटन-आधारित ढांचे की ओर यह बदलाव किया गया है। इसकी अंतिम सफलता प्रभावी कार्यान्वयन, पर्याप्त वित्तपोषण और सहयोगात्मक केंद्रराज्य संघवाद पर निर्भर करेगी।

 

UPSC/PCS मुख्य परीक्षा प्रश्न: विकसित भारतरोज़गार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) कानून, 2025 ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अधिकार-आधारित, मांग-प्रेरित मॉडल से हटकर एक योजनाबद्ध, आवंटन-आधारित ढांचा प्रस्तुत किया है। इस परिवर्तन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए तथा ग्रामीण आजीविका सुरक्षा, संघीय वित्तीय संबंधों और समावेशी विकास पर इसके संभावित प्रभावों की चर्चा कीजिए।