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Daily-current-affairs / 17 May 2025

आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की ओर भारत का बढ़ता सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम

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संदर्भ:

भारत का सेमीकंडक्टर क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें सरकार की रणनीतिक पहलों, निवेशों में वृद्धि और उद्योग-अकादमिक सहयोग की अहम भूमिका है। कई राज्य सरकारें सेमीकंडक्टर डिजाइन कंपनियों को आकर्षित करने और विश्व स्तरीय अनुसंधान तथा विनिर्माण केंद्र स्थापित करने की दिशा में सक्रिय हैं। फिलहाल, लगभग 270 शैक्षणिक संस्थान और 70 स्टार्टअप अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर डिजाइन के कार्य में लगे हुए हैं। मोहाली स्थित सेमी-कंडक्टर लेबोरेटरी (SCL) में अब तक 20 छात्र-नेतृत्व वाली नवाचार परियोजनाएं टेप आउटहो चुकी हैं, जो देशी प्रतिभा की गहराई को दर्शाता है।

  • हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत छठी सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना को मंजूरी दी है। यह सुविधा हिंदुस्तान कंप्यूटर्स लिमिटेड (HCL) और फॉक्सकॉन के बीच एक संयुक्त उपक्रम होगी, जो इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और हार्डवेयर विकास में अग्रणी कंपनियाँ हैं।
  • यह प्लांट उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) क्षेत्र में जेवर एयरपोर्ट के पास स्थापित किया जायेगा। यह हर महीने 20,000 सेमीकंडक्टर वेफर बनाने में सक्षम होगा, जिससे हर महीने लगभग 3.6 करोड़ चिप्स तैयार होंगी। ये डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स मोबाइल फोन, लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले उत्पादों में उपयोग की जाएँगी। यह परियोजना ₹3,700 करोड़ (यूएस $433.40 मिलियन) के निवेश को आकर्षित करने की संभावना रखती है और आत्मनिर्भर भारत के विज़न को समर्थन देती है, क्योंकि इससे भारत की घरेलू चिप निर्माण क्षमता मजबूत होगी और आयात पर निर्भरता घटेगी।

भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग का अवलोकन:

  • भारत का सेमीकंडक्टर बाजार वर्ष 2023 में $38 बिलियन का था और 2030 तक इसके $109 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है। इसका कारण इलेक्ट्रॉनिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), ऑटोमोबाइल और टेलीकॉम क्षेत्रों की तेज़ वृद्धि है। इस अवसर का लाभ उठाने और बाहरी निर्भरता को घटाने के लिए सरकार ने 2021 में भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) की शुरुआत की थी, जिसके तहत सेमिकॉन इंडिया कार्यक्रम में ₹76,000 करोड़ का बड़ा निवेश किया गया है।
  • इस मिशन का उद्देश्य एक टिकाऊ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम बनाना है, जिससे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और चिप डिजाइन के लिए एक वैश्विक केंद्र बन सके। यह मिशन सरकारी मंत्रालयों, उद्योग जगत, और शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर काम करता है और इसमें वैश्विक सेमीकंडक्टर विशेषज्ञों का मार्गदर्शन भी शामिल है, ताकि संसाधनों का प्रभावी उपयोग और परियोजनाओं का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।
  • सेमिकॉन इंडिया कार्यक्रम न केवल वेफर निर्माण इकाइयों (फैब) को समर्थन देता है, बल्कि इसमें आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेम्बली और टेस्टिंग (OSAT) इकाइयाँ, कंपाउंड सेमीकंडक्टर सुविधाएँ, पैकेजिंग टेक्नोलॉजी, डिस्प्ले फैब और सेंसर इकोसिस्टम भी शामिल हैं जिससे सेमीकंडक्टर निर्माण की पूरी मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चेन) का विकास हो रहा है।

सेमीकॉन इंडिया के तहत प्रमुख सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंजूरी दी गई:

क्रम संख्या

कंपनी / परियोजना

प्रकार

स्थान

निवेश (₹ करोड़ में)

तकनीक / साझेदार

क्षमता

1

टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TEPL)

सेमीकंडक्टर फैब

₹91,526

तकनीकी साझेदार: PSMC (ताइवान)

50,000 वेफर प्रति माह

2

TEPL – OSAT सुविधा

OSAT (आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेम्बली और टेस्टिंग)

₹27,120

स्वदेशी सेमीकंडक्टर पैकेजिंग तकनीकें

4.8 करोड़ यूनिट प्रति दिन

3

सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड

OSAT

₹7,584

रेनेसास (अमेरिका) और स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक (थाईलैंड) के साथ संयुक्त उद्यम

1.507 करोड़ यूनिट प्रति दिन

4

केन्स टेक्नोलॉजी इंडिया लिमिटेड (KTIL)

OSAT

सानंद, गुजरात

₹3,307

ISO टेक्नोलॉजी सdn. Bhd. और एप्टोस टेक्नोलॉजी इंक. से तकनीक

प्रतिदिन 63.3 लाख से अधिक चिप्स

5

टाटा सेमीकंडक्टर असेम्बली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (TSAT)

ATMP (असेम्बली, टेस्ट, मार्किंग और पैकेजिंग)

मोरीगांव, असम

₹27,000

फ्लिप-चिप और ISIP (इंटीग्रेटेड सिस्टम इन पैकेज) तकनीकें

4.8 करोड़ यूनिट प्रति दिन

 

सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाना क्यों ज़रूरी है?

वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला बहुत सीमित क्षेत्रों में केंद्रित है, जिससे यह रुकावटों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो गई है। प्रमुख चिंताएँ निम्नलिखित हैं:

  • भूराजनीतिक तनाव: रूस-यूक्रेन युद्ध ने निऑन गैस की आपूर्ति को प्रभावित किया। यूक्रेन निऑन गैस का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है और यह चिप निर्माण के लिए एक आवश्यक सामग्री है।
  • व्यापार प्रतिबंध: अमेरिका और यूरोपीय संघ ने चीन को उन्नत सेमीकंडक्टर उपकरणों के निर्यात पर रोक लगाई है। जवाब में, चीन ने गैलियम और जर्मेनियम जैसे महत्वपूर्ण पदार्थों के निर्यात पर नियंत्रण लगा दिया है, जिससे वैश्विक आपूर्ति पर और दबाव बढ़ा है। इसके अलावा, अमेरिका ने अपनी कंपनियों और सहयोगियों को चीन में 16nm से छोटे चिप्स के विकास में सहायता करने पर रोक लगा दी है, जिससे भविष्य में और आपूर्ति संकट पैदा हो सकता है।
  • भौगोलिक अधिक-केंद्रितता: दुनिया के 60% से अधिक सेमीकंडक्टर ताइवान में बनाए जाते हैं, और ताइवान व दक्षिण कोरिया मिलकर 10 नैनोमीटर से छोटे सभी उन्नत चिप्स का उत्पादन करते हैं।

भारत में स्वदेशी सेमीकंडक्टर उद्योग की रणनीतिक आवश्यकता:

1.        तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए: आने वाले दशक में 50 करोड़ नए इंटरनेट उपयोगकर्ता जुड़ सकते हैं, जिससे स्मार्टफोन, लैपटॉप, क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी की माँग तेजी से बढ़ेगी। भारत की घरेलू चिप मांग 2026 तक $60 बिलियन से अधिक हो सकती है।

2.      रोजगार सृजन के लिए: स्वदेशी चिप निर्माण घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति शृंखला को मजबूत करेगा और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगा।

3.      राजस्व बढ़ाने और आयात पर निर्भरता घटाने के लिए: स्थानीय निर्माण से आयात खर्च कम होगा और निर्यात क्षमता बढ़ेगी, जिससे व्यापार संतुलन सुधरेगा और स्थानीय कर राजस्व में वृद्धि होगी।

    • वर्तमान में भारत लगभग सभी सेमीकंडक्टर आयात करता है, जबकि 2025 तक मांग $100 बिलियन तक पहुँच सकती है।

4.     राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए: स्थानीय स्तर पर बनाए गए चिप्स को विश्वसनीय स्रोतके रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिससे सीसीटीवी सिस्टम और 5G नेटवर्क जैसे संवेदनशील उपकरणों में अधिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।

5.      भूराजनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए: सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता को बढ़ाती है और चीन जैसे देशों पर निर्भरता कम करती है, जो गलवान घाटी जैसी घटनाओं की पृष्ठभूमि में एक महत्वपूर्ण चिंता है।

निष्कर्ष:

भारत का सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ना वैश्विक आपूर्ति शृंखला की कमजोरियों, घरेलू माँग में वृद्धि, और सभी क्षेत्रों में हो रहे डिजिटल परिवर्तन के संदर्भ में एक समयोचित और रणनीतिक कदम है।
सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों से समर्थित इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन केवल चिप निर्माण ही नहीं, बल्कि डिजाइन, परीक्षण और पैकेजिंग के क्षेत्र में भी भारत को वैश्विक नेता बनाने की नींव रखता है। यह पहल आत्मनिर्भर भारत की सोच के साथ पूरी तरह मेल खाती है, जो भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाती है, रोजगार सृजित करती है, राष्ट्रीय सुरक्षा को सशक्त बनाती है और उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उसकी भूराजनीतिक प्रभावशीलता को मजबूत करती है।
2030 तक अनुमानित $109 बिलियन के बाजार के साथ, भारत की आज की सक्रिय पहल भविष्य की डिजिटल दुनिया में उसकी स्थिति को तय करेगी।

मुख्य प्रश्न: "भारत की सेमीकंडक्टर निर्माण में आत्मनिर्भर बनने की महत्वाकांक्षा जितनी आर्थिक प्रगति से जुड़ी है, उतनी ही यह राष्ट्रीय सुरक्षा और भूराजनीतिक रणनीति से भी संबंधित है।" हालिया सरकारी पहलों और वैश्विक आपूर्ति शृंखला की स्थिति के संदर्भ में इस कथन की समालोचनात्मक समीक्षा कीजिए।