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Daily-mcqs 30 Nov 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 30 November 2020 30 Nov 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 30 November 2020


(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 30 November 2020



सेशल्स का भारतीय नौसेना बेस प्रोजेक्ट खतरे में है?

  • सेशेल्स को अधिकारिक तौर पर सेशेल्स गणराज्य के नाम से जाना जाता है। जो 115 द्वीपों वाला द्वीपसमूह हैं यह अफ्रीकी मुख्यभूमि से लगभग 1500 किलोमीटर पूर्व दिशा में, मेडागास्कर के उत्तर-पूर्व में हिंद महासागर में स्थित है।
  • इसके पश्चिम में जांजीबर, दक्षिण में मॉरीशस और रीयूनियन, दक्षिण-पश्चिम में कोमरोस और उत्तर-पूर्व में मालदीव का सुवाडिवेस स्थित है।
  • इसका कुल क्षेत्रफल 451 वर्ग किमी- है, जिसकी राजधानी विक्टोरिया है।
  • माहे (Mohe) देश का सबसे बड़ा द्वीप है, जिसका क्षेत्रफल सभी द्वीपसमूहों का 34 प्रतिशत है। इसी द्वीप पर राजधानी शहर विक्टोरिया स्थित है। इस द्वीप पर देश की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी करती है।
  • यहां की मुख्य भाषा अंग्रेजी, फ्रांसीसी, सेशल्स और क्रेयोल है। यहां की जनसंख्या 1 लाख से भी कम है।
  • यह द्वीपीय क्षेत्र विषुवत रेखीय और उष्ण कटिबंधीय जलवायु के अंतर्गत आता है।

मिलिट्री बेस-

  • मिलिट्री बेस से तात्पर्य उस स्थान से होता है जहां सेना अपनी सैनिक गतिविधियों को संचालित करती है। सामान्यतः मिलिट्री बेस देश के अंदर ही होते हैं लेकिन कई बार यह बाहर भी बनाये जाते हैं।
  • किसी एक राष्ट्र का मिलिट्री बेस दूसरे देश में होने का अर्थ यह है कि एक देश की सेना को दूसरे देश द्वारा आश्रय दिया गया है। मिलिट्री बेस अगर नौसेना के लिए हो तो उन्हें नेवल बेस और वायुसेना के लिए हो तो एयरबेस कहा जाता है।
  • बाहर बनाये जाने वाले मिलिट्री बेस अस्थायी भी होते हैं जैसा कि गल्फ युद्ध के दौरान भारत ने अमेरिका को एयर बेस बनाने की अनुमति दी थी। यह अनुमति केवल युद्ध के समय तक के लिए दी गई थी।
  • मिलिट्री बेस का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य अपने किसी मित्र देश के माध्यम से शांति काल में दुश्मन देश पर नजर रखना और युद्धकाल में लॉजिस्टक और सप्लाई चैन को मजबूत करना होता है।
  • इसके अलावा यह बेस दो देशों की सेनाओं के बीच सामंजस्य और सहयोग में वृद्धि करते हैं। सामान्यः यह देखा गया है कि जिस देश में मिलिट्री बेस स्थापित किया जाता है वह तुलनात्मक रूप से स्थापित करने वाले देश से कमजोर होता हैं इसके वजह से उस देश की सैन्य क्षमता में तो वृद्धि होती ही है साथ ही उसका चहुँमुखी विकास सुनिश्चित होता है।
  • दुनिया में सर्वाधिक मिलिट्री बेस अमेरिका के है। रूस, यूके, फ्रांस के भी विश्व भर में काफी मिलिट्री बेस हैं। चीन भी इस दिशा में अब तेजी से बढ़ रहा है और कोई क्षेत्रें में मिलिट्री बेस स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। अधिक मिलिट्री बेस का मतलब अधिक क्षेत्र पर निगरानी और नियंत्रण रखना है। लेकिन इसके लिए भारी खर्च भी करना होता है।
  • भारत ने भी भूटान, मेडागास्कर, मारिशस और सेशल्स में अपने मिलिट्री बेस बना रखा है। सेशल्स में पहले से मिलिट्री से मिलिट्री बेस बनाया गया है वह मिलिट्री बेस कम और एक सर्विलांस सिस्टम अधिक है जो सेशल्स के समुद्री तट में भारत द्वारा तैनात किया गया है।
  • भारत लंबे समय से सेशल्स के रणनीतिक महत्व को समझते हुए यहां एक मजबूत मिलिट्री बेस स्थापित करना चाहता है।
  • वर्ष 2015 में जब प्रधानमंत्री सेशल्स की यात्रा पर गये तो एक एमओयू भी हस्ताक्षरित हुआ कि भारत सेशल्स के एजम्शन/असम्पशन द्वीप (Assumption Island) पर एक मिलिट्री बेस स्थापित करेगा।
  • असम्पशन द्वीप राजधानी विक्टोरिया से दक्षिण-पश्चिम की ओर 1135 किमी की दूरी पर स्थित है। यह द्वीप मोजांबिक चैनल के समीप है जहां से होकर बड़ा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार होता है।
  • यह द्वीप 11.6 वर्ग किमी- क्षेत्र में फैला है, जिसका निर्माण से हुआ है, अर्थात यह एक प्रवाल द्वीप का उदाहरण है।
  • इस द्वीप के समीप यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल कोरल द्वीप एल्डब्रा द्वीप स्थित है, जो एक एटॉल द्वीप का उदाहरण है। एल्डब्रा द्वीप पर विशालकाय कछुओं (Giant Tortoise) की सर्वाधिक आबादी निवास करती है। जिसके कारण इस क्षेत्र का पर्यावरणीय महत्व सर्वाधिक है।
  • इस द्वीपीय देश पर चीन की भी लंबे समय से नजर है, जिसके कारण चीन भी सेशल्स की मदद करता आया है। चीन ने वर्ष 2011 में ही घोषित कर दिया था कि वह अपना मिलिट्री बेस सेशल्स में ही स्थापित करेगा। लेकिन चीन ऐसा नहीं कर पाया और उसने जिबूती में अपना सेन्य बेस बनाया। लेकिन चीन अभी भी प्रयास कर रहा है कि वह सेशल्स में अपना सैन्य बेस स्थापित करे जिससे हिंद महासागर में उसकी सैन्य मजबूती हो सके।
  • चीन ने सेशल्स पर अपने उधार में से 5-5 मिलियन डॉलर के ट्टण को 2018 में राइट ऑफ कर दिया था। चीन यहां के सुप्रीम कोर्ट के निर्माण के लिए 6 मिलियन की सहायता दे रहा हैं इसके अलावा यहां की नेशनल असेंबली की बिल्डिंग को भी चीन के सहयोग से बनाया गया हैं कुल मिलाकर चीन यहां अपनी मजबूत पकड़ रखता है।
  • वर्ष 2015 में भारत और सेशल्स के बीच जैसे ही मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग पर हस्ताक्षर हुआ चीन से सेशल्स पर दबाव बनाना शुरू कर दिया इसकी वजह से कई प्रकार के गतिरोध इसको लेकर उत्पन्न हुए। लेकिन भारतीय प्रयास की वजह से अंततः जनवरी 2018 में दोनों देशों ने नया समझौता किया।
  • इस समझौते के अनुसार सैन्य अड्डा बनाने के लिए भारत को लगभग 3,586 करोड़ रुपये का निवेश करना हैं इसके अलावा सेशल्स के कोस्ट गार्ड को सेशल्स के ैमर्् में समुद्री डकैती को रोकना, अवैध मछली पड़कने पर रोक लगाना तथा नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ गश्त और सुरक्षा को मजबूत करना है।
  • यहां की 33 सदस्यीय संसद में 19 सीटे लिन्योन डेमोक्रेटिक सेसेल्टा (LDS) नामक गठबंधन के पास है, जिसके प्रमुख इस समय रामकलावन थे। इन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं होने देंगे अर्थात इसे संसद का समर्थन नहीं मिलने देंगे। इसके बाद इस गठबंधन ने पूरे देश में इस प्रस्ताव का विरोध करना प्रारंभ कर दिया।
  • यहां इस प्रोजेक्ट के विरोध का एक एंगल पर्यावरणीय चिंता से भी संबंधित है। यहां सेव द अलडाबरा ग्रुप नाम के NGO ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ अभियान चलाया जिसे भारी समर्थन भी मिला। पर्यावरण एवं टिकाऊ विकास का मुद्दा भी उठता रहा है।
  • इस प्रोजेक्ट के खिलाफ यहां के लोगों की एक प्रमुख चिंता रोजगार को लेकर भी है, लोगों को लगता है कि निवेश के साथ बाहरी लोगों की संख्या बढेगी।
  • एक प्रमुख चिंता बड़े देश की सेना का यहां पर उपस्थिति और उसके संभावित नकारात्मक प्रभाव का भी है।
  • जून 2018 में यहां के राष्ट्रपति डैनी फॉरे भारत के दौरे से पहले यह बयान दिया कि यह परियोजना आगे नहीं बढ़ेगी। हालांकि उनके देरि पर इस चर्चा हुई और दोनों देशों ने एक दूसरे को आश्वासन दिया कि वह एक दूसरे के हितों का ध्यान रखते हुए काम करेंगे और परियोजना को आगे बढ़ायेंगे।
  • हालांकि LDS प्रमुख वैवेल रामकलावन ने इसका विरोध किया।
  • रामकलावन के पूर्वज बिहार के गोपालगंज के बरौली प्रखंड के है। वर्ष 2018 में रामकलावन के गोपालगंज भी आये थे और उन्होंने कहा था कि मै आज जो भी हूँ इसी उर्वरा धरती की देने हूँ।
  • भारत ने सेशल्स की चिंताओं को समझते हुए कई तरह के आश्वासन दिये। जैसे- भारत ने कहा कि यह द्वीप भारत 20 वर्ष के लिए लीज पर लेगा और इस सैन्य बेस का प्रयोग दोनों देशों की सेनाओं द्वारा किया जायेगा। इसके अलावा भारत ने सेशल्स को 100 मिलियन डॉलर का डिफेंस लाइन ऑफ क्रेडिट (LIC) देने की घोषणा की।
  • हाल ही में यहां राष्ट्रपति का चुनाव हुआ ओर यहां के नये राष्ट्रपति रामकलावन बने है।
  • भारतीय विदेशमंत्री एस जयशंकर हाल ही में सेशल्स की यात्रा पर गये और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति वैवेल रामकलावन से भी मुलाकात की और उन्हें चुनाव में मिली जीत की बधाई दी।
  • विदेशमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निजी संदेश भी रामकलावन तक पहुँचाया और राष्ट्रपति को 2021 में भारत आने का न्योता दिया।
  • एस जयशंकर और रामकलावन ने कानून के शासन तथा लोकतंत्र के मूल्यों में साझा विश्वास पर आधारित दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों पर चर्चा की।
  • यहां के राष्ट्रपति रामकलावन ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान चिकित्सकीय आपूर्ति के रूप में भारत द्वारा मुहैया कराई गई सहायता की सराहना की और दोनों देशों के बीच विकास एवं सुरक्षा की महत्त्वा पर बात की।
  • विदेश मंत्रालय की शनिवार को जारी एक प्रेस विज्ञाप्ति के अनुसार दोनों देशों ने आपसी समन्वय बढ़ाने और कोविड-19 के बाद भारत तथा सेशल्स के बीच रणनीति साझेदारी को और बढ़ाने का संकल्प दोहराया।
  • भारत द्वारा सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास) दृष्टिकोण के सेशल्स को अहम मानता है और भारत जल क्षेत्र के एक पड़ोसी के रूप में सेशल्स को प्राथमिकता देता है।
  • जयशंकर ने सेशल्स के पर्यटन एवं विदेश मामलों के मंत्री के साथ भी मुलाकात की और विकास के लिए साझेदारी, झमता निर्माण, रक्षा सहयोग, लोगों के बीच आपसी संकर्प, सांस्कृतिक संबंध, व्यापार, पर्यवन, वाणिज्य और स्वास्थ्य समेत कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।
  • प्रेस विज्ञाप्ति में सेशल्स में बनने वाले भारतीय सैन्य अड्डे के संदर्भ में तो कुछ नहीं कहा गया है लेकिन समीक्षकों का मानना है कि इस दौरे का प्रमुख कारण इस परियोजना को आगे बढ़ाना है और राष्ट्रपति राकलावन को इसके लिए तैयार करना है।
  • कोविड-19 के दौरान जहां अधिकांश देश आर्थिक कठिनाइयों का सामाना कर रहे हैं वहीं चीन छोटे देशों को अपने ट्टण जाल में फंसा कर अपनी पहुँच को तेजी से बढ़ा रहा है। भारत चीन की इस चाल को भलीभांति समझता है इसीलिए वह सेशल्स में अपनी इस परियोजना को जल्द से जल्द मूर्त रूप देना चाहता है।

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