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Daily-mcqs 07 Dec 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 07 December 2020 07 Dec 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 07 December 2020


(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 07 December 2020



चीन कैसे मौसम को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है?

क्लाउड-सीडिंग क्या है?

  • क्लाउड सीडिंग से तात्पर्य बादलों में उन परिस्थितियों को उत्पन्न करने से हैं जिसमें बादलों से इच्छानुसार वर्षा करवायी जा सकती है।
  • इसके माध्यम से हवा में मेघ संघनन, वर्षा के नाभिकों की उपस्थिति वायुमंडल में फैलाने, बादलों में होने वाली सूक्ष्म प्रक्रियाओं को बदलने आदि में किया जाता है।
  • अमेरिकी मौसम वैज्ञानिक विन्सेट जोसेफ शेएप़फ़र जो कि एक अमेरिकी रसायनज्ञ और मौसम विज्ञानी थे, उन्होंने इसका अविष्कार 13 नवंबर 1946 को किया था।
  • वर्षा के लिए संघनन का होना आवश्यक है। संघनन तभी संभव होता है जब सापेक्षिक आर्द्रता 100 प्रतिशत हो। इसके लिए वायुमंडल में सिल्वर आयोड़ाइड (Silver Iodide) या ठोस कार्बन डाइऑक्साइड को बादलों में छिड़का जाता है।
  • इस प्रकार के विमानों में सिल्वर आयोड़ाइड के बर्नर या जनरेटर लगे होते हैं, जिसमें सिल्वर आयोड़ाइड का घोल उच्च दाब के साथ भरा होता है। जहाँ बारिश की आवश्यकता होती है वहां हवा के विपरीत दिशा में इनका छिड़काव किया जाता है।
  • इस प्रक्रिया में प्रयोग किये जाने वाले रसायन कैल्शियम क्लोराइड, कैल्शियम कार्बाइड, कैल्शियम ऑक्साइड, अमोनियम नाइट्रेट यूरिया और नमक के कण हैं।
  • इस तकनीकी का प्रयोग वर्षा करवाने, किसी स्थान पर वर्षा होने से रोकने, ओलावृष्टि के नुकसान को कम, कोहरा हटाने, वायुमंडल को साफ करने तथा वायु प्रदूषण को कम करने के लिए किया जाता है।
  • वर्ष 2008 में 29 वें बीजिंग ओलंपिक के दौरान चीन ने क्लाउड सीडिंग के जरिए यहां होने वाली वर्षा को टाला था। इसके लिए उसने बीजिंग की ओर बढ़ रहे बादलों पर 21 जगहों पर क्लाउड सीडिंग करके पहले ही वर्षा करवा दिया जिससे यहां वर्षा की संभावना टल गई।
  • वर्ष 1967-1972 तक वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका एक ऐसे युद्ध में फंस गया था, जिसमें न तो उसे जीत मिल पा रही थी और न वह इस युद्ध को बिना किसी अंजाम पर पहुँचाये छोड़ना चाहता था। दरअसल शीतयुद्ध के दौरान लड़ा जा रहा यह युद्ध एक प्रकार के वर्चस्व की लड़ाई में तबदील हो गया था।
  • इस युद्ध में एक तरफ चीनी जनवादी गणराज्य और अन्य साम्यवादी देशों का समर्थन उत्तरी वियतनाम की सेना को था तो दूसरी तरफ दक्षिणी वियतनाम की सेना को अमेरिका और अन्य देशों का समर्थन मिल रहा था।
  • लाओस ने उत्तरी वियतनाम का साथ दिया जिसकी वजह से अमेरिका के गुस्से का शिकार लाओस को भी होना पड़ा। लाओस का प्रयोग उत्तरी वियतनाम की सेना एक सप्लाई चैन के रूप में करती थी।
  • यहां के घने जंगल, पहाड़ी-घाटी क्षेत्र अमेरिकी सेना के लिए अनुकूल नहीं थे तो साथ ही वियतनामी लड़ाके गौरिल्ला लड़ाई की पद्धति अपना रहे थे और अमेरिकी सेना को भारी नुकसान पहुँचाते थे।
  • अमेरिका ने इस युद्ध में एक अलग युद्ध की रणनीति अपनाई। अमेरिका ने उत्तरी वियतनाम की सैन्य आपूर्ति बाधित करने एवं गौरिल्ला लड़ाकों के लिए विषम जलवायु परिस्थिति उत्पन्न करने के लिए सैन्य-क्लाउड-सीडिंग का सहारा लिया। अमेरिका ने क्लाउड-सीडिंग करवाकर अधिक वर्षा करवाया जिससे भू-स्खलन की समस्या ओर दलदली भूमि का निर्माण किया जा सके। क्लाउड-सीडिंग और मौसम में कृत्रिम परिवर्तन को ऑपरेशन पोपेये (Operation Popeye) नाम दिया गया। इसे एक गुप्त ऑपरेशन के रूप में रखा गयां हालांकि बाद में इस ऑपरेशन की सूचनायें जब बाहर आई तो वैश्विक समुदाय ने इस पर अपनी चिंता जाहिर की।
  • इसे गंभीरता से लेते हुए वर्ष 1977 में एक संधि पर हस्ताक्षर किया गया जिसका नाम Environenrtal Modification Convention (ENMOD) था। इसमें मौसम में सैन्य बदलाव को अस्वीकार किया गया। इसमें यह स्पष्ट किया गया कि पर्यावरणीय बदलाव तकनीकी (इनवायरमेंटल मॉडिफिकेशन तकनीकी) का प्रयोग नहीं किया जा सकता है, क्योंकि पर्यावरण पर लंबे समय तक व्यापक क्षेत्र पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • जिनेवा में हुई यह संधि 5 अक्टूबर 1978 को लागू हुआ।
  • इस पर अब तक लगभग 48 देशों ने हस्ताक्षर किया है तथा 20 देशों ने इसे रेटिफाई किया है। इसके पार्टीज की संख्या 78 है।

अब क्या हुआ है?

  • चीन लंबे समय से एक प्रयोगात्मक वेदर मॉडिफिकेशन प्रोग्राम पर काम कर रहा है, जिसके विषय में सूचना हाल ही में आई है।
  • वेदर मॉडिफिकेशन से तात्पर्य कृत्रिम तरह से प्राकृतिक मौसमी क्रियाओं को परिवर्तित करने से हैं अर्थात प्राकृतिक रूप से घटित हो रही प्रक्रियाओं में मानवीय हस्तक्षेप उत्पन्न कर उसे अपने हिसाब से समायोजित करने का प्रयास करना ही वेदर मॉडिफिकेशन कहलाता है।
  • चीन का यह वेदर मॉडिफिकेशन प्रोग्राम चीन के लगभग 5-5 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करेगा, जो भारत के क्षेत्रफल के लगभग 1-5 गुना होगा।
  • चीन के स्टेट काउंसिल के एक बयान के अनुसार चीन का यह प्रोग्राम 2025 तक अस्तित्व में आ सकता है।
  • चीन ने अपने बयान में कहा है कि उसका यह कार्यक्रम आपदा राहत, कृषि उत्पादन, जंगल और घास के मैदान में लगने वाली आग को रोकने, सूखा तथा अतिवृष्टि को रोकने, बाढ़ नियंत्रण जैसे कार्यो के लिए बहुत उपयोगी होगी।
  • चीन न्यूज एजेंसी शिनहुआ के मुताबिक बीते साल वेदर मॉडिफिकेशन प्रोग्राम से चीन ने शिनजियांग के पश्चिमी इलाके में ओलावृष्टि से होने वाले नुकसान में 70 प्रतिशत की कमी की है।
  • चीन के लिए भले ही प्रोग्राम कितना भी सुरक्षित और लाभदायक हो लेकिन पड़ोसी देशों के लिए यह चिंताजनक है। भारत, म्यामार, पाकिस्तान, वियतनाम, लाओस, मंगोलिया जैसे देशों की मौसमी प्रक्रिया इससे न सिर्फ प्रभावित होगी बाल्कि चीन जान बूझकर प्रभावित कर भी सकता है। इन देशों में वह सूखा उत्पन्न कर सकता है, बाढ ला सकता है तथा इस प्रोग्राम का प्रयोग एक सैन्य हथियार के रूप में भी कर सकता है।
  • जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, घटते जल स्तर और बढ़ती आपदा बारंबारता के बीच यह नये प्रकार की चुनौती होगी जिसे दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में के देशों में तनाव बढ़ सकता है।

नेपाल फिर से हिंदू राष्ट्र क्यों बनना चाहता है?

  • ईसा से लगभग 1000 साल पहले नेपाल छोटे-छोटे कुलों में बंटा था। आगे यह कुल रियासत के रूप में परिवर्तित हो गये। इन रियासतों/रजवाड़ों में आपसी तनाव और संघर्ष बना हुआ था।
  • राजा पृथ्वी नारायण शाह ने 1765 में नेपाल की एकता की मुहिम शुरू की और 1768 में वह इसमें सफल भी हो गये। यहां से आधुनिक नेपाल अस्तित्व में आया। आधुनिक नेपाल एक हिंदू राष्ट्र था। नेपाल की अधिकांश आबादी हिंदू थी, जिसके कारण राजा भी हिन्दू धर्म से संबंधित था और राजकीय धर्म भी हिंदू घोषित था। हालांकि दूसरे धर्म के लोगों के प्रति सहिष्णुता की नीति अपनाई जाती थी।
  • 1768 में राजा पृथ्वी जारायण शाह ने जिस परंपरा को प्रारंभ किया उससे सत्ता वंशानुगत सी हो गई और शाह राजवंश प्रारंभ हुआ।
  • राजवंश में आपसी गुटबाजी, संघर्ष चलता रहा और सत्ता एक परिवहार से दूसरे परिवार के पास जाती रही।
  • 1740 के दशक में नेपाल में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन प्रारंभ हुए और राणा राज परिवार की तानाशाही की अलोचना की जाने लगी।
  • 1950 के दशक में राजा के साथ नेपाली काँग्रेस पार्टी की सरकार बनाई गई। लेकिन सत्ता को लेकर खींच-तान चलती रही। 1959 में राजा विक्रम शाह ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया।
  • वर्ष 1989 में एक बार फिर लोकतंत्र के समर्थन में जन आंदोलन प्रारंभ हुआ और राजा विरेंद्र विक्रम शाह संवैधानिक सुधार स्वीकार करने पड़े। वर्ष 1991 में पहली बार बहुदलीय संसद का गठन हुआ। 1996 में यहां माओवादी आंदोलन शुरू हो गया।
  • एक जून 2001 को नेपाल के राजमहल में सामूहिक हत्याकांड हुआ जिसमें राजपरिवार के अधिकांश लोग मारे गये। इसके बाद सत्ता राजा विरेंद्र के भाई ज्ञानेंद्र के पास आ गई।
  • वर्ष 2005 में ज्ञानेंद्र ने सरकार को बर्खास्त कर दिया तथा माओवादियों के हिंसक आदोलन का दमन करने लगे। इसके बाद पुनः यहां लोकतंत्र के लिए आंदोलन प्रारंभ हो गया गया और राजा को संसद बहाल करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
  • 28 माई 2008 को यहां 240 साल से चली आ रही राजशाही को समाप्त कर दिया गया। तत्कालीन नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र को अपदस्थ कर देश को गणतंत्र घोषित कर दिया गया। इसी के साथ एक और बड़ा बदलाव किया गया । यह बदलाव यह था की नेपाल को धर्म निरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया गया ।
  • 2008 में यहां चुनाव हुए जिसमें माओवादियों को जीत मिली। एक संविधान सभा का निर्माण किया गया, जिसे संविधान बनाने में सात साल का समय लगा।
  • राजशाही को जनता ने जिन समस्याओं के समाधान के रूप में समाप्त किया था, वह साकार नहीं हो पाई है। यहां अभी भी भ्रष्टाचार बन हुआ है, लोगों को विकास का फायदा नहीं मिल पा रहा है। यहां गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा व्याप्त है, स्वास्थ्य की स्थिति खराब है।
  • नेपाल के वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदू आबादी 81.3 प्रतिशत है। बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों का प्रतिशत 9 है। इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों का प्रतिशत 4.4 प्रतिशत है।
  • नेपाल में कई वर्षों से पुनः देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने तथा संवैधानिक राजतंत्र स्थापित करने की मांग की जा रही है। वर्ष 2010 में नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र ने कहा था कि नेपाल में सदियों से चले आ रहे राजतंत्र को फिर से बाहल किये जाने की उम्मीद है।
  • यहां वर्ष 2017 में कई आंदोलन हुए जिसमें नेपाल को पुनः हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग की गई तथा पुनः राजतंत्र की वकालत की गई। लोगों का मानना है कि नेपाली कांग्रेस के सदस्य और माओवादी पार्टी के सदस्य एक दूसरे से लड़ने में व्यस्त है, सत्ता ही उनके लिए एकमात्र ध्येय बन गया है जिसकी वजह से नेपाल की स्थिति पहले से काफी खराब हो गई है।
  • वर्ष 2019 के फरवरी माह में पूर्व उप प्रधानमंत्री कमल थापा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने, प्रधानमंत्री के.पी. ओली को ज्ञापनपत्र सौपकर यह मांग की कि नेपाल को पूर्ण धार्मिक एक हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाये।
  • पहले यहां इन आंदोलनों में कुछ सौ लोग शोमिल होते थे वहीं अब इन आंदोलनों में हजारों युवा सड़कों पर एकत्रित है।
  • नेपाल में पिछले सप्ताह पोखरा और बुटवाल जैसे बड़े शहरों में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
  • पहले जहां इस प्रकार के आंदोलनों के लिए किसी व्यक्ति का षडयंत्र माना जाता था वहीं अब सरकार इसे आंदोलन मानने लगी है और इसकी आलोचना कर रही है।
  • समीक्षकों का मानना है कि ऐसा नहीं है कि प्रदर्शन में शामिल लोग राजसत्ता को ज्यादा ठीक मानते हैं, बल्कि उनका मानना है कि वर्तमान दौर उससे दौर उससे भी जयादा खराब है।
  • वर्ष 2017 के चुनावों में तत्कालीन CPN-UML और CPN (माओवादी दल) के संयुक्त गठबंधन को स्पष्ट जनादेश मिला था, जिन्होंने आगे चलकर नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी का निर्माण किया जो वर्तमान में देश में शासन अवश्य कर रही है लेकिन यह जनता की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पा रही है तथा कई लोगों का मानना है कि धर्मनिरपेक्षता का सहारा लेकर सरकार उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है।
  • यहां के एक बड़े वर्ग का मानना है कि सरकार को एक जनमत संग्रह करवाना चाहिए कि लोग पुनः व्यवस्था में लौटना चाहते है कि नहीं।

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