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Daily-mcqs 04 Dec 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 04 December 2020 04 Dec 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 04 December 2020


(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 04 December 2020



भारत क्यों चाहता है कि ईरान, वेनेजुएला से तेल आपूर्ति ?

क्या है रुकावट ?

  • ईरान एशिया के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित है जिसे 1935 तक फारस के नाम से जाना जाता था। यहां की अर्थव्यवस्था तेल और प्राकृतिक गैस पर निर्भर है, जिसके निर्यात पर प्रतिबंध की घोषणा अमेरिका द्वारा कई बार की जा चुकी है और अभी भी अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा हैं । अमेरिका के साथ टकराव के कारण यह देश हमेशा चर्चा में बना रहता है।

अमेरिका-ईरान टकराव क्यों?

  • 1950 के दशक में सीआईए ने लोकतांत्रिक तरीके से चुने गये ईरान के लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसादेक की सरकार का तख्तापलट करवा दिया और अपने प्रिय व्यक्ति शाह रजा पहलवी को गद्दी पर बैठाया।
  • पहलवी का शासन लगभग 25 साल रहा। अपहलवी के अमेरिका के साथ रिश्ते काफी अच्छे रहे ,जिसका एक प्रमुख कारण यह था कि तेल से होने वाली आमदनी का आधा हिस्सा अमेरिका और ब्रिटेन की कंपनियों के एक कंसोर्टियम को मिलता था।
  • पहलवी के शासन के दौरान विकास का लाभ सबको न मिलने के कारण असंतोष बढ़ने लगा जिसका फायदा अयातुल्लाह खुमैनी ने उठाया और 1979 की ईस्लामी क्रांति के जरिए शाह रजा पहलवी और अमेरिका के गठजोड़ का अंत कर दिया। इसके बाद ईरान और अमेरिका के रिश्ते बहुत खराब होने लगे।
  • अमेरिका से टकराव के कारण ईरान व्यापार के मोर्चे पर दुनिया से कटता गया।
  • वर्ष 2002 में यह खबर सामने आई कि ईरान गुप्त रूप से यूरेनियम संवर्धन और हैवी वॉटर रिएक्टर के निर्माण में लगा हुआ है, जिसका प्रयोग परमाणु बम बनाने में किया जा सकता है।
  • वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र परिषद ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया। इसके अलावा अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी ईरान पर तेल निर्यात और व्यापार संबंधी कई प्रतिबंध लगा दिये।
  • जून 2013 में ईरान के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद हसन रूहानी ने परमाणु कार्यक्रम पर लगे प्रतिबंध हटाने और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ किसी कूटनीति समझौते तक पहुँचने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • 14 जुलाई, 2015 को P5+1 देशों (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन + जर्मनी) ने ईरान के साथ संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना (Joint Comprehensive Plan of Action - JCPOA) पर हस्ताक्षर किया।
  • इस समझौते के द्वारा अमेरिका, यूरोपीय देशों और संयुक्त राष्ट्र द्वारा ईरान लगाये गये आर्थिक प्रतिबंधों से छूट दी गई। इसका मतलब है कि अब ईरान अपना तेल और गैस का व्यापार कर सकता था। हालांकि ईरान को अपने परमाणु संयत्रें को अंतर्राष्ट्रीय निगरानी में लाना था और उस पर अब भी हथियार व्यापार संबंधी कई प्रावधान लागू थे।
  • डोनाल्ड ट्रंप का नजरिया ईरान को लेकर बराक ओबामा से अलग था इसलिए वह कहते आये थे कि यह कमजोर समझौता है और इससे हम ईरान को हथियार निर्माण करने से नहीं रोक सकते हैं।
  • मई 2018 में ट्रंप ने अमेरिका को इस समझौते से बाहर कर लिया और पुनः ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिये। अमेरिका ने कहा कि वह ईरान के तेल निर्यात को शून्य पर लेकर आना चाहता है, जिससे तेहरान को आर्थिक नुकसान हो। हालांकि अमेरिका ने ईरान के 3 बड़े आयातकों चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, तुर्की, इटली और ग्रीस को तेल आयात के संबंध में 6 माह की छूट दी। यह छूट 1 मई 2019 तक थी। इसके बाद अमेरिकाने इस रियायत को समाप्त कर दिया।

भारत पर प्रभाव-

  • भारत अपनी तेल जरूरत का लगभग 80 प्रतिशत और गैस की आवश्यकता को लगभग 40 प्रतिशत आयात से पूरा करता है।
  • इराक, सऊदी अरब, भारत के सबसे बड़े तेल निर्यातक है जो कुल तेल आवश्यकता का लगभग 38 प्रतिशत पूर्ति करते है। संयुक्त अरब अमीरात और नाइजीरिया मिलकर भारत के कुल आयात का 16.7 प्रतिशत की पूर्ति करते हैं। ईरान लगभग भारत के आयात 10-11 प्रतिशत की पूर्ति करता है और भारत का चौथा बड़ा निर्यातक है।
  • चीन के बाद भारत ईरानी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है।
  • ईरान न सिर्फ भारत के तेल की आवश्यकता की पूर्ति करता है कई प्रकार की सहूलियत भी देता आया है। जैसे कि ईरान भारत को 60 दिन तक भुगतान करने की छूट देता है। भारत को तेल का भुगतान भारतीय मुद्रा में भी करने की छूट प्राप्त है। इसके लिए मुक्त डिलीवरी और मुफ्रत बीमा की भी सुविधा मिली हुई है।
  • ईरान की तरह वेनेजुएला पर भी अमेरिका आर्थिक प्रतिबंध लगे हुए है। भारत ने ईरान से मई 2019 में तथा बेजुएला से जनवरी 2019 में अंतिम बार तेल खरीदा था। इस बीच भारत ने अपनी तेल आवश्यकता की पूर्ति अन्य देशों से किया।
  • तेल भंडार की दृष्टि से वेजेजुएला प्रथम स्थान पर, द्वितीय स्थान पर सऊदी अरब, तीसरे स्थान पर कनाड़ा चौथे स्थान पर ईरान तथा पांचवें स्थान पर इराक का नंबर आता है।
  • भारत ने अब प्रत्यक्ष रूप से यह कहा है कि वह ईरान और वेनेजुएला से तेल आयात करना चाहता हैं भारत ने अमेरिका से इसकी अनुमति मांगी है।
  • 2 दिसंबर को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि बाइडेन के व्हाइट हाउस में पहुँचने के बाद भारत ईरान और वेनेजुएला से अपनी तेल की सप्लाई दोबारा शुरू करेगा।
  • धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि- भारत अपने तेल आयात में विविधता लाना चाहता है। एक खरीदार के तौर पर मै चाहूँगा कि खरीदने की और जगहें हों।
  • वेनेजुएला भी भारत का प्रमुख तेल निर्यातक देश रहा है लेकिन जनवरी 2019 में वेनेजुएला की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी PDVSA पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत का यहां से आयात बंद है।
  • अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर दबाव बनाने के लिए यह कदम उठाया था।
  • अमेरिका और चीन के बाद भारत वेनेजुएला के तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक रहा है।
  • वेनेजुएला में ONGC विदेश लिमिटेडने यहां बड़ा निवेश किया हैं वेनेजुएला का तेल अपेक्षाकृति भारी होता है जिसके शोधन के लिए पारादीप रिफाइनी में अलग तकनीकी का निकास किया गया है, जिसके कारण यह तेल सस्ता पड़ता है।
  • भारत-ईरान संबंध बहुत अच्छे रहे हैं और दोनों एक दूसरे के हितों के प्रति गंभीर रहे है। ईरान इस समय कई प्रकार की आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें भारत तेल आयात के माध्यम से ईरान की मदद कर सकता है। ईरान ने कुछ माह पहले यह अपील भी की थी कि कोरोना काल में उस पर लगाये प्रतिबंध हटा लिये जायें ताकि वह स्वास्थ्य खर्च के लिए पर्याप्त फंड प्राप्त कर सके।
  • 20 जनवरी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर बाइडेन होंगे जो बराक ओबामा द्वारा किये गये समझौते को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे और ईरान से प्रतिबंध हटा सकते हैं। ऐसे में भारत ने ईरान के प्रति अपना दृष्टिकोण प्रकट कर दिया है।
  • ईरान में इस समय चीन का हस्तक्षेप बढ़ रहा है इसलिए भारत पुनः चाबहार प्रोजेक्ट, रेल लिंक और तेल आयात के माध्यम से ईरान पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है।
  • हाल के समय में OIC देशों ने भारत के खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया है, जिसे कांउटर करने के लिए भी गल्फ देशों के साथ भारत की मजबूती और अच्छे रिश्ते काम आ सकते है।

न्यायालय में महिलाओं की भागीदारी का मुद्दा

  • लैंगिक समानता का मुद्दा हमेशा उठता रहा है। लैंगिक समानता के तहत महिलाओं की भागीदारी संसद, प्रशासन, राजनीतिक, कंपनी, संगठन के स्तर बढ़ाने की बात बार-बार उठती आई है। सामान्यतः यह माना जाता है कि जब महिलाओं की भागीदारी सभी क्षेत्रें में पर्याप्त होगा तो उनका सशक्तिकरण तेजी से हो सकेगा।
  • भारत ने सतत विकास एजेंडा और सतत विकास लक्ष्य (विशेष रूप से लक्ष्य 5 और 6) को अपनाया है जिसके तहत महिलाओं का प्रतिनिधित्व न्यायपालिका के साथ-साथ सार्वजनिक संस्थानों में बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
  • हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने यौन अपराधियों के लिए जमानत की शर्तें निर्धारित करते हुए महान्यायवादी और अन्य लोगों से पीड़ि़तों के प्रति लिंग संवेदनशीलता में सुधार के तरीको पर राय मांगी थी। दरअसल हाल ही मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने यौन अपराध के आरोपी व्यक्ति को जमानत की शर्त के रूप में पीडित से राखी बंधवाने की बात कहीं थी।
  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अधिवक्ता अर्पणा भट और 8 अन्य महिला वकीलों की ओर से विशेष अनुमति याचिका दायर की गयी थी और इसमें एटॉनी जनरल वेणुगोपाल से भी मदद मांगी गयी थी।
  • वेणुगोपाल ने दुष्कर्ष के आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने की शर्त पर जमानत दिये जाने के मध्यप्रदेश उच्च न्यायाल्य के आदेश के खिलाफ दायर अपने लिखित हलफनामें में न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की वकालत की है। वेणुगोपाल ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार करने से यौन हिंसा से जुड़े मामलों में एक अधिक संतुलित और सशक्त दृष्टिकोण विकसित करना होगा। अदालतों में महिला जजों की संख्या, उनके हकों पर ध्यान दिया जाये, ताकि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध और उनसे जुड़े मामलों में सख्ती बरती जा सके।
  • वेणुगोपाल ने कहा कि शीर्ष अदालत में न्यायधीशों के 34 स्वीकृत पद हैं जबकि महिला न्यायधीयशों की संख्या मात्र 2 है। आजादी के बाद से अब तक कोई महिला मुख्य न्यायाधीश नहीं बन सकी है।
  • पूरे देश में उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में 1113 न्यायाधीशों के कुल स्वीकृत पदों में से केवल 80 महिला न्यायाधीश हैं। इन 80 महिला जजों में से 2 सुप्रीम कोर्ट में जबकि अन्य अलग-अलग हाईकोर्ट में हैं। कुल न्यायाधीशों का केवल 7.2 प्रतिशत हिस्सा ही महिला जजों का है।
  • देश के 26 न्यायालयों (उच्च न्यायालय सहित) के डेटा के अध्ययन से पता चलता है कि देश में सबसे अधिक महिला न्यायधीशों की संख्या हरिया और पंजाब उच्च न्यायालय (कुल 85 न्यायाधीशों में से 11 महिला न्यायाधीश) में है। इसके बाद मद्रास उच्च न्यायालय (9 महिला जज) दिल्ली उच्च न्यायालय (8 महिला जज) और महाराष्ट्र उच्च न्यायालय (8 महिला जज) का स्थान है।
  • तेलगाना, उत्तराखंड, पटना, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा उच्च न्यायालय में कोई भी महिला न्यायधीश नहीं है।
  • उच्चतम न्यायालय के कुल 403 पुरुष वरिष्ठ अधिकक्ताओं की तुलना में केवल 17 महिलाएं ही हैं।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय में 229 पुरुषों के मुकाबले केवल 8 महिला वरिष्ठ अधिकवक्ता हैं वहीं बॉम्बे उच्च न्यायालय में 157 पुरुषों में केवल 6 वरिष्ठ महिला अधिवक्ता है।

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