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Brain-booster / 15 Feb 2021

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: द इनइक्वैलिटी वायरस रिपोर्ट (The Inequality Virus Report)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): द इनइक्वैलिटी वायरस रिपोर्ट (The Inequality Virus Report)

द इनइक्वैलिटी वायरस रिपोर्ट (The Inequality Virus Report)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में ऑक्सफैम (Oxfam) द्वारा ‘द इनइक्वैलिटी वायरस’ (The Inequality Virus) नाम से जारी की गयी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड महामारी ने भारत समेत दुनिया भर में मौजूदा असमानताओं को बढ़ाने का काम किया है।

इनइक्वैलिटी वायरस रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार फारचून पत्रिका में शामिल शीर्ष 1,000 अरबपतियों को अपनी पूर्व महामारी की स्थिति में वापस आने में सिर्फ नौ महीने का समय लगा, जबकि दुनिया के सबसे गरीब लोगों को अपनी महामारी पूर्व स्थिति में वापस आने में इससे 14 गुना अधिक अर्थात एक दशक से अधिक समय लग सकता है।
  • संकट शुरू होने के बाद से 10 सबसे अमीर अरबपतियों की संपत्ति में जितनी वृद्धि हुई है, वह पृथ्वी पर वायरस के कारण गरीबी का सामना करने वालों और सभी के लिए COVID-19 वैक्सीन का भुगतान करने के लिए पर्याप्त है।
  • इस रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की 2020 की रिपोर्ट के आधार पर कहा गया है कि विश्व स्तर पर, अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तुलनात्मक रूप से अधिक था, और सबसे प्रभावित भी महिलाएं ही हुई हैं। यदि इस क्षेत्रों में पुरुषों के समान महिलाओं को प्रतिनिधित्व किया जाता है, तो लगभग 112 मिलियन महिलाएं अपनी आय या नौकरी खोने के जोखिम से बच सकती थी।
  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्राजील में, श्वेत लोगों की तुलना में अश्वेत लोगों की कोविड-19 से मरने की संभावना 40% अधिक है। यदि उनकी मृत्यु दर श्वेत लोगों के बराबर होती, तो जून 2020 तक 9,200 से अधिक अश्वेत व्यत्तिफ़ अभी जीवित होते।
  • इसी प्रकार अमेरिका में, लैटिन और अश्वेत व्यक्तियों की श्वेतों की तुलना में कोविड-19 से मरने की अधिक संभावना है। यदि उनकी मृत्यु दर श्वेत लोगों के समान होती, तो दिसंबर 2020 तक, लगभग 22,000 लैटिन और अश्वेत व्यत्तिफ़ अभी भी जीवित होते।
  • इस रिपोर्ट में विश्व बैंक के आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि यदि सभी देश अभी से कोविड-19 के कारण बढ़ी असमानता को कम करने के लिए कार्य करते हैं तो इसे केवल तीन वर्षों में पूर्व-संकट के स्तर पर लाया जा सकता है।

रिपोर्ट में भारत की स्थिति

  • द इनइक्वैलिटी वायरस’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड महामारी के कारण अर्थव्यवस्था संकुचन से लाखों भारतीयों की नौकरियां चली गईं, लेकिन अरबपतियों की संपत्ति में बढ़ोतरी हुई है। भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में लॉकडाउन के दौरान 35 % और वर्ष 2009 के स्तर से 90% की बढ़ोतरी हुई है।
  • भारत के 100 अरबपतियों की संपत्ति में मार्च 2020 के बाद से 1297822 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है। यह संपत्ति 138 मिलियन सबसे गरीब भारतीयों में से प्रत्येक को 94045 रुपये का चेक देने के लिए पर्याप्त है।
  • महामारी के दौरान शीर्ष 11 भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में हुई वृद्दि, 10 वर्ष के लिए नरेगा में होने वाले खर्च अथवा स्वास्थ्य मंत्रलय के 10 वर्ष के बजट के बराबर है।
  • रिपोर्ट में महामारी के कारण भारत में गरीब बच्चों के सामने उत्पन्न स्कूली शिक्षा की चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें कहा गया है कि केवल 4 फीसदी ग्रामीण परिवारों के पास ही कंप्यूटर और 15 फीसदी से कम ग्रामीण परिवारों के पास इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है।
  • स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे गरीब 20 फीसदी में से केवल 6 फीसदी लोगों की ही निजी स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच है, जबकि उच्च वर्ग की 20 फीसदी आबादी में यह आंकड़ा 93.4 फीसदी है।
  • भारत की 59.6 फीसदी आबादी एक कमरे से भी कम जगह में रहती है, ऐसी परिस्थितियों में बहुत बड़ी आबादी के लिए हाथ धोने और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने जैसे उपायों को अपनाना संभव नहीं है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, कोविड के दौरान गरीब परिवारों की गर्भवती महिलाओं को अकसर स्वास्थ्य मदद नहीं मिल पायी क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों को कोविड जांच सुविधाओं और अस्पतालों में बदल दिया गया था।

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