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Brain-booster / 28 Feb 2021

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 (Major Port Authorities Bill, 2020)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 (Major Port Authorities Bill, 2020)

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 (Major Port Authorities Bill, 2020)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में संसद द्वारा ऐतिहासिक प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 पारित किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • यह विधेयक प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून 1963 की तुलना में ज्यादा सुगठित है क्योंकि इसमें ओवरलैपिंग करने वाले और पुराने पड़ चुके अनुच्छेदों को समाप्त करके अनुच्छेदों की कुल संख्या 134 से घटाकर 76 कर दी गई है।
  • इससे पहले, विधेयक को 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद संसदीय स्थायी समिति (पीएससी) को भेजा गया था। व्यापक परामर्श करने के बाद जुलाई 2017 में पीएससी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।
  • इसके आधार पर, पोत परिवहन मंत्रालय ने 2018 में लोकसभा में आधिकारिक संशोधन विधेयक पेश किया। हालांकि यह विधेयक पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद वैध नहीं रहा।

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पोत परिवहन मंत्रालय के प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट कानून, 1963 की जगह प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 को लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
  • इस विधेयक का उद्देश्य सफल वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप केन्द्रीय बंदरगाहों में प्रशासन के मॉडल का पुनर्विन्यास लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल के रूप में करना है।
  • प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 का लक्ष्य निर्णय लेने की प्रक्रिया में पूर्ण स्वायत्तता लाकर और मुख्य बंदरगाहों के संस्थागत ढांचे का आधुनिकीकरण करके प्रमुख बंदरगाहों को अधिक दक्षता के साथ काम करने के लिए सशक्त बनायेगा।

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 की मुख्य विशेषताएं

  • यह विधेयक पूर्ववर्ती प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून 1963 की तुलना में अधिक सुगठित है क्योंकि इसमें ओवरलैपिंग करने वाले और पुराने हो चुके अनुच्छेदों को समाप्त करके अनुच्छेदों की कुल संख्या 134 से घटाकर 76 कर दी गई है।
  • इस विधेयक में बंदरगाह प्राधिकरण के बोर्ड की संरचना को भी सरल करने का प्रस्ताव किया गया है, इसमें विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान के 17 से 19 की तुलना में 11 से 13 सदस्य ही शामिल होंगे।
  • प्रमुख बंदरगाहों के लिए तटकर प्राधिकरण की भूमिका नए सिरे से तय की गई है। बंदरगाह प्राधिकरण को अब तटकर तय करने के अधिकार दिए गए हैं।
  • बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड को भूमि सहित बंदरगाह से जुड़ी अन्य सेवाओं और परिसंपत्तियों के लिए शुल्क का पैमाना तय करने के अधिकार दिए गए हैं।
  • बंदरगाह प्राधिकरण बोर्डों को अनुबंध करने, योजना और विकास, राष्ट्र हित को छोड़कर शुल्क तय करने, सुरक्षा और निष्क्रियता व डिफॉल्ट के चलते उपजी आपातकालीन स्थिति से निपटने के मामले में पूरी शक्तियां दी गई हैं।
  • प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह का बोर्ड, किसी भी किस्म के विकास या बुनियादी ढांचे के संदर्भ में विशिष्ट मास्टर प्लान तैयार करने का अधिकारी होगा।
  • बंदरगाह प्राधिकरण द्वारा सीएसआर (CSR) और बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित प्रावधान पेश किए गए हैं।
  • प्रमुख बंदरगाहों के कर्मचारियों के पेंशन से जुड़े लाभ समेत वेतन एवं भत्ते और सेवा शर्तों को सुरक्षित करने के प्रावधान किए गए हैं।

विधेयक का लाभ

  • यह विधेयक तेज और पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हुए सभी हितधारकों एवं परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने की क्षमता को लाभान्वित करता है।
  • इस विधेयक से प्रमुख बंदरगाहों के संचालन में पारदर्शिता लाने में भी मदद मिलेगी।
  • यह विधेयक निर्णय लेने की प्रक्रिया में पूर्ण स्वायत्तता लाकर और मुख्य बंदरगाहों के संस्थागत ढांचे का आधुनिकीकरण करके प्रमुख बंदरगाहों को अधिक दक्षता के साथ काम करने के लिए सशक्त बनायेगा।

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