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Brain-booster / 24 Jun 2020

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: चीन सीमा से सटे क्षेत्रें में बुनियादी ढांचा का विकास (Infrastructure Boosting in Areas along China Border)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): चीन सीमा से सटे क्षेत्रें में बुनियादी ढांचा का विकास (Infrastructure Boosting in Areas along China Border)

चीन सीमा से सटे क्षेत्रें में बुनियादी ढांचा का विकास (Infrastructure Boosting in Areas along China Border)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में चीन की सीमा के साथ बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए, गृह मंत्रलय (एमएचए) ने केंद्र प्रायोजित योजना के 10% धनराशि को लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में सीमा परियोजनाओं पर खर्च करने का निर्णय लिया है।

प्रमुख दिशा-निर्देश

  • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Border Area Development Programme) को 2020-21 वित्तीय वर्ष में 784 करोड़ रु- आवंटित किए गए हैं। यह धनराशि सीमावर्ती राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी जनसंख्या तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा की लंबाई जैसे विभिन्न मानदंडों के आधार पर वितरित की जायेगी। गौरतलब है कि 2019-20 में सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के लिए 825 करोड़ रुपये दिये गए थे।
  • गृह मंत्रलय के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, सीमावर्ती क्षेत्रें में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण गांवों और कस्बों को विकसित करने की परियोजनाओं को सीमा सुरक्षा बलों द्वारा चिन्हित किया गया है।
  • 3,488 किलोमीटर चीन सीमा के साथ बसे क्षेत्रें में परियोजनाओं के लिए लगभग 78-4 करोड़ रुपये रखे गए हैं।
  • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम फंड से सीमा के 10 किमी के भीतर सड़कों, पुलों, पुलियों, प्राथमिक विद्यालयों, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, खेल के मैदानों, सिंचाई कार्यों, मिनी-स्टेडियमों, बास्केटबॉल, बैडमिंटन और टेबल टेनिस का निर्माण किया जा सकता है।
  • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम की शुरुआत 1980 में भारत की पश्चिमी सीमा को सुदृढ़ करने के लिए हुई थी। सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम का विस्तार 16 राज्यों और दो संघ शासित प्रदेशों के 111 सीमावर्ती जिलों के 396 ब्लॉकों को कवर करने के लिए हुआ है।
  • इसमें कहा गया है कि बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों के लिए प्रोत्साहन के रूप में 10% धनराशि आरक्षित की जाएगी। शेष 638-2 करोड़ में से, पूर्वाेत्तर राज्यों-अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम को मिलेगा।

आवश्यकता क्यों

  • हाल के बरसों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की फौज के अतिक्रमण की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और चीन की ओर से अतिक्रमण की ये घटनाएं अब छुटपुट न रह कर व्यापक स्तर पर हो रही हैं।
  • पूर्वी लद्दाख में तो खासतौर से हालात बड़े नाजुक हैं। जहां पैंगॉन्ग झील (कॉनक्लेव लेक) और गलवान घाटी के इलाके, दोनों तरफ से दावेदारी के कारण खासतौर से चर्चा में हैं। हालांकि, ये भारत और चीन के बीच तनातनी के सिलसिले की नई कड़ी के तौर पर ही देखा जा सकता है क्योंकि, हाल के वर्षों में पूर्वी लद्दाख, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का मुख्य केंद्र बनकर उभरा है। यहां के डेमचोक, चुमार और त्रिग की पहाडि़यों में पहले भी भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव हो चुका है।

निर्माण की होड़ में लगा चीन

  • भारत के साथ सटी सीमा पर, चीन ने बुनियादी ढांचे के निर्माण की अपनी क्षमताओं का अच्छा उपयोग किया है। चीन का दावा है कि चीन और पाकिस्तान की सीमा पर फ्14 सामरिक रूप से महत्वपूर्ण रेल लाइनेंय् बनाने की अपनी रणनीतिक परियोजना के तहत भारत अरुणाचल प्रदेश के तवांग में रेल लिंक बनाने की संभावना भी तलाश रहा है।
  • कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में भारत की चीन पर बढ़त है- क्योंकि चीन के हवाई क्षेत्र ऊंचाई पर हैं जहां सैन्य आयुधों और ईंधन को कम मात्र में ही ढोया जा सकता है।

सीमा प्रहरी

  • सीमा सुरक्षा बल (BSF) बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात हैं जबकि चीन सीमा पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) तैनात हैं। नेपाल सीमा पर सशस्त्र सीमा बल सीमाओं पर प्रहरी देता है, जबकि म्यांमार सीमा पर असम राइफल्स के जवान तैनात हैं।
  • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम से सीमावर्ती क्षेत्रें को एकीकृत करने में मदद मिलेगी, साथ ही सीमा से सटे क्षेत्रें में लोगों को सुरक्षित आवागमन के लिए कोई परेशानी नहीं होगी।

भारत-चीन सीमा

  • भारत और चीन परस्पर 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। दोनों देशों के बीच सीमा निर्धारित करने वाली रेखा को मैकमोहन रेखा कहा जाता है।

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