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Brain-booster / 11 Mar 2021

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: भारत और यूरोपीय संघ (India and European Union)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): भारत और यूरोपीय संघ (India and European Union)

भारत और यूरोपीय संघ (India and European Union)

चर्चा का कारण

  • यूरोपीय संघ के साथ मजबूत संबंध बनाने से भारत को विनिर्माण में मदद के साथ निर्यात में मदद मिल सकती है। भारत और यूरोपीय संघ ने मिलकर बहुपक्षीय व्यवस्था को और मजबूत बनाने पर सहमति जताई है। दोनों ही पक्षों ने ये माना है कि आज अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बहुपक्षीयवाद की अधिक आवश्यकता है।

भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार

  • आत्म निर्भर भारत कार्यक्रम और बजट 2021-22 ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने एवं आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए निर्यात पर बल दिया है। आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए भारत को यूरोपीय संघ (ईयू) जैसे रणनीतिक साझेदारों के साथ निवेश शुल्क और आयात शुल्क की चरण-वार कटौती के माध्यम से, आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देना होगा।
  • भारत की यूरोपीय संघ और पश्चिमी यूरोप में 39.9 बिलियन डॉलर की अप्रयुक्त निर्यात क्षमता (अप्रयुक्त निर्यात क्षमता का अर्थ-जब निर्यातक जागरूकता की कमी या कठिनाई के चलते उपभोक्ता की वरीयताओं या आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य नहीं कर पाता) है।
  • निर्यात क्षमता वाले शीर्ष उत्पादों में परिधान, रत्न और आभूषण, रसायन, मशीनरी, ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और प्लास्टिक शामिल हैं। भारत इन उत्पादों में से कई के लिए यूरोपीय संघ के सामान्यीकृत प्रणाली वरीयता (सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली के तहत विकसित देश विकासशील देशों को बाजार में कुछ शर्तों के साथ न्यूनतम शुल्क या शुल्क मुक्त प्रवेश देते हैं।) से लाभान्वित होता है। वास्तव में, भारत यूरोपीय संघ के जीएसपी के प्रमुख लाभार्थियों में से एक है, जीएसपी के तहत भारत ने वर्ष 2019 में लगभग 19.4 बिलियन डॉलर निर्यात किया है। भारत का लगभग 37% व्यापारिक निर्यात यूरोपीय संघ को किया जाता है।
  • हालाँकि, ऐसे कई उत्पाद हैं जहाँ भारत की यूरोपीय संघ में निर्यात क्षमता है, लेकिन ये ग्रेजुएटेड (graduated) हैं या यूरोपीय संघ के जीएसपी के तहत ग्रेजुएशन (graduation) के कगार पर हैं। ग्रेजुएशन का मतलब है कि जीएसपी लाभार्थी देश अपने विशिष्ट उत्पादों के विशेष समूहों का निर्यात नहीं कर पाता है, जबकि उस देश से उत्पादों के अन्य समूहों के आयात को तरजीह दी जाती है।
  • भारत के उत्पाद जैसे कपड़ा, अकार्बनिक और कार्बनिक रसायन, रत्न और आभूषण, लोहा, इस्पात और उनसे निर्मित वस्तुएँ, बेस मेटल्स और मोटर वाहन जैसे उत्पाद पहले से ही जीएसपी लाभों के दायरे से बाहर हैं।
  • वर्ष 2019 में परिधान में, यूरोपीय संघ के लिए भारत का निर्यात 7 बिलियन डॉलर था। इस बीच भारत को बांग्लादेश जैसे परिधान निर्यात देश से कड़ी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा है, बांग्लादेश भी यूरोपीय संघ से जीएसपी टैरिफ का लाभ ले रहा है। एक अन्य प्रतियोगी देश वियतनाम ने 2019 में यूरोपीय संघ के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) संपन्न किया। यूरोपीय संघ में भारत की घटती तरजीह को बरकरार करने की आवश्यकता है साथ ही व्यापार और निवेश संबंधों को और गहरा करने की आवश्यकता है।

यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता

  • भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौता लटका हुआ है। इसके अलावा, यूरोपीय संघ और भारत, विश्व व्यापार संगठन में एक बेहद कटु व्यापारिक विवाद में भी उलझे हुए हैं। भारत ने सूचना और संचार तकनीक (ICT) की कुछ वस्तुओं पर आयात पर शुल्क को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया था। जिसके बाद यूरोपीय संघ ने भारत के इस कदम को विश्व व्यापार संगठन के विवाद निस्तारण संस्था में चुनौती दी है। हालांकि भारत, यूरोपीय संघ के साथ प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट (PTA) के लिए तैयार है।

आगे की राह

  • भारत के लिए यूरोपीय संघ से आने वाले निवेश को तेजी से सुरक्षित करने की जरूरत है। क्योंकि कोविड-19 के कारण वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएं बाधित हो गयी हैं और व्यापार, निर्माण और निर्यात में गिरावट आ रही है। इसके अलावा बहुत से देश अब मुक्त व्यापार के बजाय संरक्षणवादी व्यवस्था को तरजीह दे रहे हैं, ताकि वो अपने घरेलू उद्योग धंधों को वैश्विक स्तर पर प्रतिद्वंदिता से बचा सकें। इसीलिए, आज जरूरत इस बात की है कि भारत और यूरोपीय संघ वास्तविक बहुपक्षीयवाद को बढ़ावा देने के लिए मिलजुलकर प्रयास करें।

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