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Blog / 05 Jun 2019

(Global मुद्दे) BIMSTEC की अहमियत (Importance of BIMSTEC)

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(Global मुद्दे) BIMSTEC की अहमियत (Importance of BIMSTEC)


एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): कमर आगा (कूटनीतिक विश्लेषक), पिनाक रंजन चक्रवर्ती (पूर्व राजदूत)

चर्चा में क्यों?

  • 30 मई को हुए शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक देशों को आमंत्रित किया गया।
  • बिम्सटेक देशों के अलावा किर्गिज़ गणराज्य और मॉरीशस के प्रधानमंत्री को भी आमंत्रण दिया गया था ।

BIMSTEC क्या है?

BIMST-EC यानी - Bangladesh, India, Myanmar, Sri Lanka and Thailand Economic Cooperation. BIMSTEC बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती या उसके समीप देशों का एक अंतरराष्ट्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग संगठन है। इस क्षेत्र को एकत्रित करने की दिशा में मूल रूप से बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड के साथ 1997 में बिम्सटेक की शुरुआत हुई। बाद में म्यांमार, नेपाल और भूटान भी शामिल हो गए। बिम्सटेक दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच सेतु का काम करता है। इसमें दक्षिण एशिया के पांच देश (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, नेपाल और भूटान) और आसियान के दो देश ( थाईलैंड और म्यांमार) शामिल हैं। इसमें मालदीव, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी प्रमुख देश शामिल हैं। BIMSTEC का मुख्यालय ढाका, बांग्लादेश में है।

BIMSTEC का क्या महत्व है?

  • बंगाल की खाड़ी दुनिया की सबसे बड़ी खाड़ी है।
  • दुनिया की आबादी का 1/5 भाग (22%) इसके आसपास के सात देशों में रहता है।
  • इस क्षेत्र की संयुक्त जीडीपी क़रीब $ 2.7 बिलियन है।
  • आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, इन सभी 7 देशों का 2012 से 2016 तक औसतन आर्थिक विकास 3.4% और 7.5% के बीच रही हैं।
  • बंगाल की खाड़ी में विशाल अप्रयुक्त (बिना इस्तेमाल हुए) प्राकृतिक संसाधन मौजूद है
  • विश्व का एक चौथाई व्यापार बंगाल की खाड़ी के ज़रिए होता है।

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं BIMSTEC?

  • आशियान देशों के साथ सम्बन्ध बनाने के लिए बिम्सटेक बेहतर ज़रिया
  • 2017 में BIMSTEC की 20 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि - “बिम्सटेक न केवल दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ता है, बल्कि महान हिमालय और बंगाल की खाड़ी की पारिस्थितिकी तंत्र को भी जोड़ता है”। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि - “भारत की विदेश नीति की केंद्रीय बिंदु ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘एक्ट ईस्ट’ की प्राथमिकता को पूरा करने के लिए बिम्सटेक एक प्राकृतिक मंच है”।
  • भारत के लिए इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को बढ़ाने का मुख्य कारण इस क्षेत्र की की अपार संभावना है। लगभग 300 मिलियन लोग बंगाल की खाड़ी (आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल) से सटे चार तटीय राज्यों में रहते हैं। इसके साथ ही लगभग 45 मिलियन लोग पूर्वोत्तर राज्यों में रहते हैं। यदि ये दोनों क्षेत्र बंगाल की खाड़ी, म्यांमार और थाईलैंड से जुड़ जाते हैं तो इस क्षेत्र के विकास के लिए संभावना के द्वार खुल जाएंगे।
  • सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मलक्का जलडमरूमध्य (Strait of Malacca) से जुडी बंगाल की खाड़ी, चीन के लिए हिंद महासागर तक पहुँच सुनिश्चित करने में एक प्रमुख आधार बन गया है।
  • चीन ने भूटान और भारत को छोड़कर लगभग सभी बिम्सटेक देशों में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए व्यापक पैमाने पर अभियान चला रखा है। चीन का बंगाल की खाड़ी में आक्रामक गतिविधियां और हिंद महासागर में सबमरीन/ पनडुब्बियों के आवागमन बढ़ने से उत्पन्न चुनौतियों को प्रति संतुलित करने के लिए भारत को बिम्सटेक देशों के मध्य आंतरिक संबंध को बढ़ाना होगा।

2014 के शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों ने की थी शिरकत

  • 2014 में सार्क समूह के देशों को शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया गया था
  • 2014 में सार्क समूहों के देशों में शामिल पाकिस्तान भी शपथ ग्रहण समारोह शमिल हुआ था। पाकिस्तान को बुलाने का मतलब भारत पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों में सुधार लाना था। लेकिन इस बार सार्क को नहीं बुलाए जाने का स्पष्ट उद्देश्य यह है कि, भारत का अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों से पाकिस्तान को अलग-थलग करना।
  • 2016 में हुए उरी हमले के बाद सार्क समूह की कोई बैठक नहीं हुई है।

सार्क से बिम्सटेक तक

  • पाकिस्तान के रवैये और सार्क के ख़त्म होने के बाद भारत का जुड़ाव बिम्सटेक देशों के साथ बढ़ा हैं।
  • दो दशकों से अस्तित्व में आए इस संगठन को 2016 में उरी हमले के बाद भारत द्वारा काफी प्रोत्साहित किया गया।
  • 2016 में गोवा में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिम्सटेक के नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन किया।
  • उरी हमले के बाद नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में होने वाले सार्क शिखर सम्मेलन का भारत के बहिष्कार करने के निर्णय को कुछ बिम्सटेक देशों द्वारा समर्थन दिया गया।
  • उरी हमले और सार्क शिखर सम्मेलन के स्थगित होने के बाद भारत की ओर से पाकिस्तान को अलग-थलग करने का दावा किया गया।
  • पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण सार्क समूह की संभावित क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा था। ऐसे में बिम्सटेक एक ऐसे क्षेत्रीय मंच के रूप में सामने आया है जहाँ 5 सार्क देश अपने क्षेत्रीय सहयोग पर विचार विमर्श कर सकते थे।
  • 2014 में काठमांडू में हुए सार्क सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क के विकल्प के रूप में एक और क्षेत्रीय मंच की तलाश की बात कही थी।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि "सार्क के माध्यम से या उसके बाहर" और "हम सभी या हम में से कुछ के बीच" सभी संभावित अवसरों का लाभ उठाया जा सके ऐसे मंच की ज़रूरत है। एक तरीके से पाकिस्तान के लिए साफ़ संकेत था।
  • हालाँकि जानकारों के मुताबिक़ यदि भारत सार्क को साथ लेकर नहीं चल पता है तो इसका ग़लत प्रभाव पड़ेगा। म्यांमार के पूर्व भारतीय राजदूत राजीव भाटिया ने एक बार उल्लेख किया था कि अगर भारत सार्क के द्वारा क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ाने में विफल रहता है, तो ऐसे प्रतिघाती संबंधों (Reciprocal ties) से बिम्सटेक को सबसे ज्यादा नुकसान होने की संभावना है।
  • ओआरएफ की वरिष्ठ फेलो जोइता भटर्जी के अनुसार: “चूंकि सार्क सम्मेलन को रद्द नहीं करके केवल स्थगित गया है, इसलिए इसके अस्तित्व में आने की संभावना बनी हुई है। बिम्सटेक की सफलता सार्क को निरर्थक नहीं ठहराती; बल्कि यह केवल दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग में एक नया अध्याय जोड़ती है।
  • पिछले 21 सालों में बिम्सटेक के 4 शिखर सम्मेलन हुए हैं। आख़िरी और चौथा बिम्सटेक शिखर सम्मेलन सितंबर 2018 में काठमांडू में हुआ था। हालाँकि पिछले 21 वर्षों में सिर्फ 4 सम्मेलनों के बावजूद इसमें नीली अर्थव्यवस्था से लेकर आतंकवाद के मुद्दे को शामिल किया गया।

किर्गिज़ गणराज्य और मॉरीशस के प्रधानमंत्री को बुलाने के मायने

  • प्रधानमंत्री द्वारा शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक (BIMSTEC) देशों के नेताओं के साथ किर्गिज़ गणराज्य और मॉरीशस को आमंत्रित करके एक कूटनीतिक संदेश दिया है। इस कूटनीतिक संदेश का मतलब है, बंगाल की खाड़ी से लेकर मध्य एशिया के पड़ोसी देशों और प्रवासी भारतीय समूह तक भारत की पहुँच को बढ़ावा देना है
  • किर्गिज़ गणराज्य के नेता मौजूदा वक़्त में शंघाई सहयोग संगठन के अध्यक्ष हैं। उनको आमंत्रित करके, भारत ने शंघाई सहयोग संगठन में अपने पहुँच को प्रदर्शित किया है। अगले महीने 13-14 जून को शंघाई सहयोग संगठन की बैठक होनी है। भारत 2017 में पाकिस्तान के साथ शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य बनाथा।
  • भारत शंघाई सहयोग संगठन के ज़रिए मध्य एशिया में अपने सामरिक लक्ष्यों और कनेक्टिविटी को मज़बूत करना चाहता है।साथ ही आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घरेने के लिए ये बेहतर मंच है।
  • मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जुगनुथ प्रवासी भारतीय हैं। इस साल के प्रवासी भारतीय दिवस के वे मुख्य अतिथि भी थे। 2014 के बाद से भारत सरकार ने प्रवासी भारतीयों के मामले में राजनीतिक निवेश किया गया है ऐसे में मारीशस के प्रधानमंत्री को आमंत्रण देना एक सर्वोत्तम विकल्प है।

क्या है शंघाई सहयोग संगठन

शंघाई सहयोग संगठन (SCO ) एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है। इसकी स्थापना चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के नेताओं द्वारा 15 जून, 2001 को शंघाई (चीन) में की गई थी। उज़्बेकिस्तान को छोड़कर बाकी देश 26 अप्रैल 1996 में स्थापित ‘शंघाई पाँच’ समूह के सदस्य हैं। भारत और पाकिस्तान को वर्ष 2017 में इस संगठन के पूर्ण सदस्य का दर्जा प्रदान किया गया।

'दक्षेस'/ सार्क

'दक्षेस' को ही अंग्रेज़ी में सार्क संगठन के नाम से जाना जाता है। 'सार्क' संगठन का अंग्रेज़ी नाम - साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन है।

सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का संगठन है जिसका पूरा नाम है - दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन। आठ दिसंबर 1985 को बने इस संगठन का उद्देश्य दक्षिण एशिया में आपसी सहयोग से शांति और प्रगति हासिल करना है। सार्क के सदस्य देश हैं - भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, अफ़ग़ानिस्तान और मालदीव।

नेबरहुड फर्स्ट नीति

भारत ने वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय एकीकरण की आवश्यकता को संबोधित करने के लिये ‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ (Neighbourhood first policy) को वर्ष 2005 में प्रारंभ किया।‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ का अर्थ अपने पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देने से है अर्थात ‘पड़ोस पहले’ (Neighbourhood first)। इस नीति के तहत सीमा क्षेत्रों के विकास, क्षेत्र की बेहतर कनेक्टिविटी एवं सांस्कृतिक विकास तथा लोगों के आपसी संपर्क को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

एक्ट ईस्ट

भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मौजूद देशों के भी सहभागिता को बढ़ावा देने के मकसद से लाई गई थी।

1. भारत और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बीच क्षेत्रीय, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के माध्यम से आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों और सामरिक संबंध विकसित करना। 2. भारत के उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों और इसके पड़ोसी राज्यों के बीच मधुर सम्बन्ध विकसित करना। 3. भारत के पारंपरिक व्यापार भागीदारों के स्थान पर उभरते हुए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के अलावा प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ व्यापार संबंधों को ज्यादा वरीयता देना।

मलक्का जलडमरूमध्य - इन्डोनेशिया-मलेशिया मलय प्रायद्वीप (प्रायद्वीपीय मलेशिया) और इंडोनेशियाई द्वीप सुमात्रा के बीच स्थित है। यह हिंद महासागर तथा प्रशांत महासागर को जोडती है।

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