(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 13 November 2020
OTT प्लेटफार्म पर नियंत्रण का मुद्दा
- ओवर द टाॅप; (OTT) सेवाओं से आषय ऐसे एप से है, जिस पर इंटरनेट के माध्यम से उपभोक्ता कई प्रकार के सेवाओं को प्राप्त करता है। इन प्लेटफार्म पर वीडियो ऑन डिमांड, ऑडियो स्ट्रीमिंग, मैसेज सर्विस या इंटरनेट आधारित वाॅयस काॅलिंग की सुविधायें उपभोक्ताओं को प्राप्त होती हैं। सबसे पहले OTT प्लेटफार्म की लोकप्रियता अमेंरिका में बढ़ी थी। भारत में भी बढ़ते इंटरनेट डेटा के प्रयोग से यहाँ पर भी OTT प्लेटफार्म की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ रही है।
- सामान्यतः ओटीटी प्लेटफार्म का प्रयोग ऑडियो और वीडियो होस्टिंग तथा स्ट्रीमिंग सेवा प्रदाता के रूप में किया जाता है। इसका प्रारंभ कंटेंट होस्टिंग प्लेटफार्म के रूप में हुआ था किंतु अब यह प्लेटफार्म स्वयं ही षार्ट फिल्म, वेब सीरिज, फीचर फिल्म आदि का निर्माण कर रहे हैं। अमेंजन प्राइम, हाॅटस्टार, नेटफ्लिक्स, जी5, वूट, अल्ट बालाजी आदि इसी के उदाहरण हैं।
- OTT प्लेटफार्म अब कई प्रकार की समसामायिकी और न्यूज से जुड़ी खबरें भी अपने प्लेटफार्म पर देते हैं।
- मोमैजिक द्वारा किये गये एक सर्वे से पता चलता है कि भारत में लगभग 70% लोग मोबाइल पर वीडियो देखते हैं। 55% लोग ओटीटी प्लेटफार्म पर उपलब्ध करायी जा रही सामाग्री को देखते हैं।
- OTT प्लेटफार्म पर 31% लोग वेब सीरीज देखना पसंद करते हैं। 30% लोग स्पोर्ट्स देखना पसंद करते हैं जबकि 18% लोग टीवी सीरियल देखना पसंद करते हैं। वर्श 2019 के अंत तक लगभग 17 करोड़ लोग OTT प्लेटफार्म का प्रयोग कर रहे थे।
OTT प्लेटफॉर्म के प्रकार :
- मल्टीमीडिया रिलेटेड OTT- इस प्रकार के व्ज्ज् प्लेटफार्म पर मल्टीमीडिया संबंधी सेवायें उपलब्ध करायी जाती हैं। यूट्यूब इसी प्रकार का उदाहरण है।
- एप रिलेटेड OTT- किसी विषिश्ट एप के माध्यम से अपनी OTT संबंधी सेवाएं बेचने वाले प्लेटफार्म को इसके अंतर्गत रखा जाता है। अमेंजन प्राइम, हाॅटस्टार, नेटफ्लिक्स इसी प्रकार का प्लेटफार्म है।
- टेलीकॉम रिलेटेड OTT- इसके अंतर्गत उन OTT प्लेटफार्म को रखा जाता है जो दूरसंचार एसएमएस या मल्टीमीडिया मैसेज भेजने संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। व्हाट्सएप, वी चैट, गूगल डुओ इसी प्रकार के OTT प्लेटफार्म हैं।
- एक अनुमान के अनुसार मार्च 2019 के अंत तक भारत का ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग उद्योग का मूल्य लगभग 500 करोड़ रूपये का था। लाॅकडाउन में OTT प्लेटफार्म का प्रसार तेजी से हुआ है और भविश्य में भी होने की संभावना है इसलिए वर्श 2025 तक इसका मूल्य 4000 करोड़ रूपये तक पहुँचने की संभावना है।
- भारत में सूचना प्रसारित करने वाले दूसरे माध्यमों के लिए कानून तो है लेकिन OTT प्लेटफार्म के लिए कोई विषिश्ट कानून नहीं हैं।
- प्रेस काउंसिल ऑफ इण्डिया अर्थात PCI प्रिंट मीडिया को रेगुलेट करता है।
- न्यूज ब्राॅडकास्टर्स एसोसिएषन न्यूज एवं समसामयिकी चैनलों को रेगुलेट करता है।
- सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेषन; (CBFC) जिसे सेंसर बोर्ड के नाम से भी जाना जाता है वह फिल्मो को सेंसर एवं विनियमित करता है।
- टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले सभी कार्यक्रमों एवं विज्ञापनों के लिए केवल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और इसके तहत दिये गये प्रावधानों का अनुपालन करना अनिवार्य होता है।
- OTT प्लेटफार्म का दायरा जहाँ बढ़ा है, इसकी लोकप्रियता बढ़ी है वहीं इसके खिलाफ चिंतायें भी बढ़ी हैं। दरअसल इस पर उपलब्ध सामग्री को लेकर बहुत से लोगों का मानना है कि यहाँ हिंसा, अष्लीलता और अपषब्दों का प्रयोग बढ़ा है, जिसका समाज पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। वहीं इसके लिए किसी विषिश्ट और कठोर कानून की अनुपस्थिति से इन पर नियंत्रण रखना कठिन हो जाता है। इस पर अभी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 इन पर लागू होती है, जो इस पर मजबूत तरीके से नियंत्रण नहीं रख पाता है।
- भारत के इंटरनेट एवं मोबाइल एषोषिएषन आफ इंडिया ने OTT प्लेटफार्म पर सेल्फ रेगुलेषन का प्रस्ताव रखा था। इसका उद्देष्य यह था कि OTT प्लेटफार्म पर ऐसा कोई कंटेंट न जाये जिससे सामाजिक सदभाव बिगड़े या किसी की भावनायें आहत हों।
- इसी के तहत OTT प्लेटफार्म ने सेल्फ रेगुलेषन पर हस्ताक्षर सितंबर 2020 में कर दिया इसके तहत AGE CLIASSIFICATION, CONTENT DISCRIPTION तथा PERENTAL CONTROL की बात प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।
- अक्टुबर माह में सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दायर की गई, जिसमें OTT प्लेेटफार्म को किसी कानून के दायरे में लाने की बात की गई तथा इस पर चिंता व्यक्त की गई कि OTT प्लेटफार्म की पहुँच बढ़ी है कंटेंट बढ़ा है लेकिन इसकी स्क्रीनिंग नहीं होती है।
- इस पर सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा कि प्लेटफार्म पर नियंत्रण के लिए किसी स्वायत्त संस्था या रेगुलेषन का निर्माण क्यों नहीं किया गया है।
- सरकार ने इसी संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम उठातें हुए अब प्लेटफार्म के सेवा प्रदाताओं को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाने की घोशणा की है।
- सरकार के इस कदम का प्राथमिक उद्देष्य आनलाइन मीडिया/डिजिटल प्लेटफार्म को विनियमित करना है। राश्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित आदेष में कहा गया है। कि डिजिटल/आनलाइन प्लेटफार्म और अंतर्गत आनलाइन कंटेंट प्रदाताओं द्वारा उपलब्द्ध कराई गई फिल्में और आडियो-विजुअल प्रोग्राम तथा आनलाइन प्लेटफार्म पर समाचार और समसामयिक विशय को इसमें षामिल किया गया है।
- OTT प्लेटफार्म पर कई तरह की साामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों को अलग तरीके से प्रस्तुत किया जाता था। जिससे यह सेंसर से बच जाते थे और कंटेंट लोगों तक पहँुचा जाता था। अब ऐसा नहीं हो पायेगा।
- TV उद्योग और फिल्म उद्योग से जुड़े कुछ लोगों की भी चिंता थी कि OTT प्लेटफार्म उन्हें प्रभावित कर रहा है और जल्द ही रेडियो की तरह TV भी समाप्त हो जायेगा। वहीं इनक यह भी चिंता थी कि जब TV और फिल्म पर कई तरह के नियंत्रण है तो फिर OTT प्लेटफार्म पर क्यों नहीं।
- इसस कंटेंट पर विनियमन बढ़ेगा, सेंसर बढ़ेगा, फिल्टर करने का प्रयास किया जा सकेगा।
आलोचना
- कई लोगों का मानना है कि कला को स्वतंत्र रूप से विकसित न होने देने से डिजिटल क्रांति की प्रक्रिया पूरी न हो सकेगी और कला का विकास न हो सकेगा। इस क्षेत्र ने न सिर्फ कला को निखारा है बल्कि लाखों लोगों को रोजगार दिया है।
- फिल्मों, कहानियों, मुद्दों को सेंसर एक प्रकार से विचारों को नियंत्रित करने जैसा कदम है।
- यह प्लेटफार्म अपनी विकास की प्रक्रिया में अभी बढ़ना प्रारंभ ही हुआ है, इसलिए इस पर विनियमन कई प्रकार की सीमायें आरोपित करके उस पर नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करेगा।
- दर्षकों को यहाँ विविध प्रकार के कंटेंट मिलते हैं जिस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
A68A आइसबर्ग चर्चा में क्यों ?
- अंटार्कटिका, आखिरी दक्षिणी महाद्वीप है जो सिर्फ बर्फ से ढका हुआ है। दुनिया के ताजे या मीठे पानी का 90% अंटार्कटिका में है।
- अंटार्कटिका की व्यापक बर्फ की श्रेणाीयों को बर्फ की षीट (व्यापक अवधि तक बर्फ की परत से आच्छादित भूभाग), बर्फ षेल्फ (भूभाग से स्थायी रूप से संलग्न अस्थिर बर्फ की परत), हिम षैल (अस्थिर भू बर्फ), ग्लेषियर (धीरे धीरे खिसकने वाला बर्फ का खंड) और समुद्री बर्फ (भूमित बर्फ षेल्फ) के रूप में विभाजित किया जाता है।
- लार्सन सी (सागर) अंटार्कटिका में चैथी सबसे बड़ी बर्फ षेल्फ है। यहा पर लंबे समय से कई प्रकार के परिवर्तन हो रहे हैं, जिन पर वैज्ञानिकों की नजर है। यहाँ पहले चटकन एवं दरार की क्रिया हुई और बाद में भ्रंसन की क्रिया से इस बर्फ षेल्फ का एक हिस्सा 10-12 जुलाई 2017 को टुट गया, जिसका आकार लगभग 6200 वर्ग किलोमीटर था। जिसे A68 हिमषेल्फ नाम दिया गया।
- ये लगभग 200 मीटर मोटा है। और दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग या हिमषेल्फ है। A68 से कुछ दिन बाद एक टुकड़ा अलग हो गया जिसके बाद इसे A68A नाम दिया गया जबकी टूटे हुए छोटे टुकड़े को A68B नाम दिया गया। बाद मे A68A से एक और टुकड़ा अलग हुआ जिसे A68C नाम दिया गया।
- A68A की लंबाई अभी भी लगभग 150 किमी तथा चैड़ाई 38 किमी हैै। इसका क्षेत्रफल 4700 वर्ग किमी है। जो दिल्ली के क्षेत्रफल से तीन गुना बड़ा है।
- उत्तर की ओर तैरते हुए यह अंटार्कटिका से 1400 किमी उत्तर आ चूकि है। वर्तमान समय में यह एक किमी प्रति घंटे की स्पीड से उत्तर की ओर बढ़ रहा है।
- लगभग 500 किमी और आगे बढ़ने पर यह दक्षिणी अटलांटिक महासागर में अर्जेटिना के पूर्व की ओर ब्रिटेन का साउथ जाॅर्जिय द्वीप है, जिस पर कई प्रकार के जीव रहते हैं, इससे A-68A टकरा सकता है।
- इस सागर का तापमान कम होने तथा आइसबर्ग का आकार बड़ा होने के कारण यह द्वीप से टकराने के बाद यहाँ अटका रह सकता है, जिससे यहाँ के जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- इतने बड़े आइसबर्ग के किसी द्वीप से टकराने पर जल के विस्थापन और भूकंप की भी संभावना है।
- इसके द्वारा इस क्षेत्र के तापमान में व्यापक बदलाव आयेगा जिससे समुद्री जलधारायें, वायु प्रणाली, मत्स्यन आदि प्रभावित होंगे।
- ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण स्वच्छ जल का यह स्रोत पिघलकर खारे जल का भाग बन रहे हैं जो चिंताजनक मुद्दा है।