Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 07 February 2020
नेहरू-लियाकत समझौता
- 6 फरवरी को लोकसभा में CAA के पक्ष और विपक्ष के संदर्भ में चर्चा के क्रम में प्रधानमंत्री जी ने CAA के पक्ष में नेहरू-लियाकत समझौते का जिक्र किया।
- PM ने काह कि नेहरू- लियाकत समझौते में अल्पसंख्यक शब्द का प्रयोग किया गया न कि नागरिक शब्द का।
- PM ने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौते से एक साल पहले असम के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था। जिसमें नेहरू जी ने Gopinath Bordoloi को कहा था कि आपकों हिंदु शरणार्थियों और मुस्लिम इमिग्रेंटस के बीच फर्क करना ही होगा। और देश को इन शरणार्थियों की जिम्मेदारी लेनी ही पड़ेगी।
- आगे PM ने कहा कि 5 नवंबर 1950 को नहरू जी ने सदन में कहा था कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि जो प्रभावित लोग भारत में सेटल होने आये हैं वह नागरिकता प्राप्त करने के हकदार हैं। और अगर इसके लिए कानून अनुकूल नहीं है तो कानून में बदलाव किया जाना चाहिए।
- सदन में इससे पहले भी यह समझौता चर्चा में आ चुका है।
- CAB को पास कराते वक्त गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इस बिल की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि नेहरू-लियाकत समझौते का सही से पालन नहीं किया और इस समझौते की आत्मा को मार दिया गया।
- 1950 में लियाकत अली खाँ पाकिस्तान के PM थे।
- 8 अप्रैल 1950 दिल्ली में इस पर हस्ताक्षर किया गया था इस कारण इसे दिल्ली पैक्ट या नेहरू-लियाकत पैक्ट के नाम से जाना जाता है।
- इसमें भारत और पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के लिए Bill Of Rights की बात की गई।
- सभी अल्पसंख्यकों Political पद के साथ सभी प्रमुख पदों पर चुने जाने की आजादी होगी।
- जीवन, संस्कृति, संपत्ति और व्यक्तिगत सम्मान के साथ भेदभाव नहीं किया जायेगा।
- भारत के प्रधानमंत्री पण्डित नेहरू एवं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री लियाकत खान के बीच भारत तथा पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए अप्रैल 1950 को हस्ताक्षरित इस समझौते में निम्न प्रावधान शामिल है।
- शरणार्थी अपनी स्मपति का समुचित निपटान करने के लिए भारत एवं पाकिस्तान में आ जा सकते हैं।
- लूटी गयी सम्पत्ति तथा अगवा की गई महिलाओं को वापस किया जाना था।
- जबरन धर्म परिवर्तन अमान्य होगा।
- दोनों देश अपने-अपने देश में अल्पसंख्यक आयोग का गठन करेंगे।
- रानीतिक पद तथा सैन्य पदों पर दोनों देशों के अल्पसंख्यकों को पहूँचने में भेदभाव का सामना न करना पड़ै यह भी सुनिश्चित किया जायेगा।
- इस संधि के बाद पश्चिम बंगाल में पूर्वी पाकिस्तान से लगभग 10 करोड़ शरणार्थी पलायन करके पहूँचे थे।
- इस समझौते का विरोध करते हुए नेहरू सरकार के उद्योग मंत्री डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने इस्तीफा यह कहकर दे दिया कि यह मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा देगा।
- 1966 में एक प्रश्न के जवाब में तत्कालीन विदेश मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह ने कहा था कि भारत ने लगातार अल्पसंख्यकों के अधिकारों कों संरक्षित करने का प्रयास किया है, किन्तु पाकिस्तान द्वारा इस समझौते का कार्यान्वयन निराशाजनक रहा है।
- नागरिकता संशोधन अधिनियम के पक्ष के तर्को में सरकार का यह भी एक तर्क है कि यदि पाकिस्तान ने नेहरू -लियाकत समझौते को प्रभावी तरीके से लागू किया होता तो ब्।। की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि भले ही, 8 अप्रैल 1956 को इस समझौते की समाप्ति की बात हुई थी किन्तु 1966 में तत्कालीन विदेश मंत्री ने कहा था कि यह समझौता दोनों देशों के बीच स्थाई है, और दोनों को इसका सम्मान करना चाहिए।
क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019
- दिसम्बर 2019 को संसद में इस विधेयक को मंजूरी दी जिसमें निम्न प्रावधान किये गये हैं।
- अफगानिस्तान, पाकिस्तान एवं बाग्लादेश से आये हिन्दु, सिख, जैन, पारसी ईसाई बौद्ध समुदायों को 11 वर्ष की बजाय 5 वर्ष भारत में गुजारने पर उन्हें नागरिकता दे दी जायेगी।
- ध्यातव्य है कि यह नागरिकता उपरोक्त 6 समुदायों को उक्त तीनों देशों में अल्पसंख्यक तथा इनपर धार्मिक उत्पीड़न किया गया है।
- इन 6 सम्प्रदायों के प्रवासियों को विदेशी अधिनियम 1946 तथा पासपोर्ट अधिनियम 1920 का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- किसी अन्य कानून के उल्लंघन पर सरकार ओ.सी.आई. अर्थात विदेशी नागरिकता कार्ड धारकों के पंजीकरण को रद्द कर सकती है।
श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र
- 9 नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय की न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंन्च ने सर्वसम्मति से अयोध्या विवाद पर फैसला देते हुए पूरी विवादित जमीन को राममन्दिर के लिए देने का आदेश दिया था वही पूर्ण न्याय को सुनिश्चित करने के लिए अनुच्छेद 142 के तहत मुस्लिम पक्षकारों को आयोध्या में 5 एकड़ जमीन मस्जिद हेतु देने का आदेश दिया था।
- इसी निर्णय में SC ने 3 माह के भीतर राम मन्दिर निर्माण हेतु एक ट्रस्ट बनाने का केन्द्र सरकार को आदेश दिया था।
- 5 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री ने इस निर्णय का पालन करते हुए राम मन्दिर निर्माण हेतु एक ट्रस्ट के गठन की सूचना दी है, इस ट्रस्ट का नाम श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट है।
- 15 सदस्यीय इस ट्रस्ट में सनातन हिन्दू के संत, अधिकारी एवं अयोध्या के पूर्व राजघराने के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
- इस 15 सदस्यों में से 10 स्थाई सदस्य होंगे, जिन्हे मतदान का अधिकार होगा शेष 5 सदस्यों को मतदान का अधिकार नहीं होगा।
- सरकार ने राजपत्र जारी करते हुए यह भी कहा कि विवादित स्थल के आंतरिक एवं वाह्य परांगण का कहना ट्रस्ट को सौंप दिया गया है। इतना ही नहीं केन्द्र एवं ट्रस्ट उसे एक तीर्थस्थ्ल के तहत विकसित करने की भी योजना बनाई है।
- सूचना के मुताबिक इस ट्रस्ट में निम्न लोगा शामिल हैं.
- के. पराशरण- ये राम मंन्दिर के पक्षकारों के अधिवक्ता थे ये संविधान के जानकार के साथ-साथ सनातन हिन्दू के पुराणों आदि के भी जानकार हैं। 92 वर्षीय के. पराशरण को पद्म भूषण, पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है, इन्हें भगवान का वकील भी कहा जाता है।
- जगत्गुरू शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज
- जगत्गुरू माध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज
- युगपुरूष परमानंद जी महाराज
- स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज
- विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र- ये अयोध्या के राजपरिवार से सम्बन्धित हैं।
- डा. अनिल कुमार मिश्र- अम्बेडकर नगर जिले के जन्में डा. मिश्र अयोध्या में पेशें से होम्योपैथी के डाक्टर हैं।
- कामेंश्वर चैपाल - 1989 में इन्होंने राम मन्दिर में पहली ईंट रखी थी, ट्रस्ट में इन्हें दलित समाज के प्रतिनिधि के रूप में शामिल किया गया है।
- महंत दिनेश दास- निर्योही अखाड़ा से सम्बन्धित अयोध्या के मुख्य संत महंत दिनेंद्र दास को भी ट्रस्ट में जगह मिली है, ये 10 साल की उम्र से ही महंत हैं।
केन्द्र / राज्य के अधिकारी
- केन्द्र द्वारा नियुक्त एक सदस्य होगा यह IAS होगा इसका धार्मिक रूप से हिन्दू होना अनिवार्य है। यह ज्वाइंट सिक्रेटरी से नीचे का नहीं हो सकता । यह पदेन अधिकारी होगा।
- अयोध्या के DM- अयोध्या के DM भी ट्रस्ट के हिस्सा होंगे किन्तु उनका हिन्दू होना अनिवार्य है, यदि किसी कारणवश DM गैर हिन्दू रहेंगे तो SDM को ट्रस्ट में शामिल किया जायेगा।
- विकास समिति का चेयरमैन- राम मन्दिर भवन के प्रशासनिक मामलों से जुड़े विकास समिति के चेयरमैन भी ट्रस्ट में शामिल होंगे।
- राज्य सरकार के अंतर्गत एक IAS अधिकारी ये भी ट्रस्ट का हिस्सा होंगे इनकी रैंक सेक्रेटरी से नीचे का नहीं होना चाहिए, इनका भी हिन्दू होना अनिवार्य है।
- बोर्ड आफ ट्रस्टी से नामित
- मुस्लिम पक्षकारों को 5 एकड़ जमीन अयोध्या के धन्नीपुर नामक गांव में देने का एलान किया गया है।
- अयोध्या के लगभग 68 एकड़ जमीन भी ट्रस्ट को सौंप दिया गया है, जिसे एक तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव है।
पिघलता व्हाइट (White) ग्लेशियर्स
- भारत के लगभग गुजरात के आकार का अंटार्कटिका के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित व्हाइट ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है, इससे भविष्य में आधा मीटर समुद्री जल स्तर बढ़ने की संभावना है।
- इसे डूम्सडे ग्लेशियर अर्थात प्रलयकारी ग्लेशियर कहते हैं।
- नासा के वैज्ञानिकों ने हाल में ही व्हाइट ग्लेशियर्स में 300 मी. लम्बे छिद्र की खोज की है, यह छिद्र पश्चिमी अंटार्कटिका के व्हाइट ग्लेशियर्स के तल पर बढ़ रहा है।
- नासा के वैज्ञानिकों ने यह भी खोजा है, कि व्हाइट ग्लेशियर्स के तल में बर्फ और आधार शैल के बीच में अंतराल लगातार बढ़ रहा है, जिससे इसके बीच में समुद्री जल के प्रवेश से ग्लेशियर्स के पिघलने की गति और तेज हो गयी है।
- व्हाइट ग्लेशियर्स अकेले ही समुद्री जलस्तर को 4% बढ़ाने की क्षमता रखते हैं, जिसके खतरे का वैज्ञानिकों ने संकेत दिया है।
- एक अध्ययन के अनुसार अगले 50 सालों में दुनिया के सभी ग्लेशियर्स लगभग 2 फुट समुद्री जल स्तर बढ़ा देंगे, ऐसे में पिछले 30 वर्षो में व्हाइट के पिघलने का दोगुना चिंता का विषय है।
- अगले 250 सालों में पृथ्वी का तापमान 2 से 2ण्7 डिग्री सेल्सियस पूरी तरह पिघल जायेगा, इससे तटीय क्षेत्र एवं मालद्वीप जैसे द्वीपीय देश का जलमग्न होने का खतरा है, इससे लगभग 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे, जिससे शरणार्थी भुखमरी कुपोषण जैसी समस्या बढ़ेगी।
- अगस्त 2019 आइसलैण्ड का ओकोजोकुल ग्लेशियर पिघल चुका है।
- यह पहला ग्लेशियर था जो ग्लोबल वार्मिंग की भेंट चढ़ गया।
- प्रधानमंत्री केटरिन जोकोबस्दोतियर ने इसे श्रद्धांजली दी और याद में कांस्य पट्टिका का निर्माण किया गया।
- वैज्ञानिकों ने अगले 200 साल में सभी प्रमुख ग्लेशियर के पिघल जाने की आशंका व्यक्त की थी।
- ओकोजोकुल इसलिए चर्चा में आया क्योंकि 1986 में ही इसके पिघलने की संभावना व्यक्त कर दी गई थी।
- इंटरगवर्नमेंटल पैनल आॅन क्लाइमेंट चेंज (IPCC) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीनलैण्ड और अण्टार्कटिक क्षेत्र में बर्फ की चादर करीब हर साल 400 अरब टन कम हुई है।
- इससे समुद्र तल हर साल करीब 1ण्2 मिलीमीटर बढ़ता है।
- पहाड़ों की ग्लेशियर भी प्रत्येक साल 280 अरब टन समुद्र में जाती है, जिससे 0ण्77 मिलीमीटर समुद्र तल हर साल बढ़ता है।
- कुछ समय पहले भारत से भी एक ऐसी खबर आई थी। जिसमें गंगोत्री ग्लेशियर से जुड़े चतुरंगी ग्लेशियर के तेजी से पिघलने की सूचना थी।
- दरअसल गंगोत्री ग्लेशियर 300 छोटे-बड़े ग्लेशियर का समूह है, इसी में एक चतुरंगी ग्लेशियर है।
- एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि हिमालय के कुल 9600 के करीब ग्लेशियर में से तकरीबर 75 फिसदी ग्लेशियर पिघल रहे हैं।
- IPCC ने वर्ष 2012 के अपने रिपोर्ट में कहा था कि हिमालय की पूरी बर्फ 2035 तक पिघल जायेगी।
- नैनीताल हाइकोर्ट ने गंगा यमुना नदियों के बाद गंगोत्री और यमुनोत्री ग्लेशियर को भी जीवित व्यक्ति के अधिकार दे दिये हैं।