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Blog / 17 Aug 2019

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्या है शिमला समझौता? (Shimla Agreement 1972)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्या है शिमला समझौता? (Shimla Agreement 1972)


मुख्य बिंदु:

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते को ख़त्म करने का ऐलान किया है। पाकिस्तान ने भारत और पाकिस्तान के बीच में चलने वाले दो महत्वपूर्ण ट्रेनों - समझौता एक्सप्रेस और थार एक्सप्रेस - को भी बंद करने की बात कही है। इसके अलावा बीते दिनों पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद 370 को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् को ख़त लिखा जिसमें इस मामले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के दख़ल की गुहार लगाई थी। हालाँकि UNSC अध्यक्ष ने पाकिस्तान को 1972 के शिमला समझौते का हवाला देते हुए इस मामले पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है। अनुच्छेद 370 को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच इस विवाद को लेकर कोई तीसरा मध्यस्थता नहीं कर सकता है।

DNS में आज हम आपको 1972 के शिमला समझौते के बारे में बताएंगे। साथ ही इससे जुड़े कुछ और भी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में

शिमला समझौता...1971 में हुए भारत - पाकिस्तान युद्ध के बाद शिमला समझौता हुआ था। ये समझौता 2 जुलाई 1972 को शिमला समझौता हुआ था। दरअसल 1971 के भारत - पाकिस्तान युद्ध के दौरान क़रीब 90 हज़ार सैनिकों को भारत ने बंदी बनाया था और पाकिस्तान के लम्बे भूभाग पर भारत ने कब्ज़ा भी कर लिया था। इस सब के परिणामस्वरूप तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फ़िकार अली भुट्टो के बीच शिमला समझौता हुआ था।

शिमला समझौते की सबसे ख़ास बात ये रही है कि इसमें दोनों देशों के बीच होने वाले सभी मतभेदों और आपसी विवाद को द्विपक्षीय बातचीत के ज़रिए हल किए जाने की बात पर सहमति बनी थी। इसके अलावा शिमला समझौते में इस बात का भी ज़िक्र है कि है कि यदि दोनों देशों के बीच कोई मुद्दा लबित रह जाता है तो कोई देश उस मुद्दे को लेकर स्थिति में बदलाव करने की एकतरफा कोशिश नहीं करेंगे । साथ ही दोनों देश किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे जो शांति और सुरक्षा के लिए ख़तरा हो।

शिमला समझौते के तहत दोनों देशों के बीच समानता और आपसी लाभ के आधार पर शांति पूर्ण सहअस्तित्व बनाए रखने, एक दूसरे की राष्ट्रीय एकता, राजनीतिक स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता व सम्प्रभुता का सम्मान करेंगे और समानता और आपसी लाभ के आधार पर एक दूसरे के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करने जैसी बातों पर रज़ामंदी हुई थी।

शिमला समझौते में इस बात का भी ज़िक्र था कि 25 सालों से दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित करने वाले कारकों को शांति पूर्ण ढंग से हल किया जायेगा इसके अलावा शिमला समझौते के तहत संचार, सीमाएं खोलने, अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को बहाल करने दोनों देशों के नागरिकों की यात्रा सुविधाओं को बढ़ाने की बात कही गई है। साथ ही आर्थिक और दूसरे सहमति वाले क्षेत्रों में व्यापार और सहयोग को बढ़ावा देना और भारत और पाकिस्तान की सेनाओं को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर वापस बुलाने का ऐलान भी शिमल समझौते के तहत किया गया था। युद्धबंदी के बाद भी नियंत्रण रेखा का सम्मान करने और नियंत्रण रेखा को बदलने की एकतरफा कोशिश न करने जैसे फैसले भी शिमला समझौते में शामिल हैं। शिमला समझौते के ही तहत दोनों देशों के सम्बन्ध संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के सिद्धांतों और उद्देश्यों के अनुरूप चलाए जाने पर सहमति हुई थी। हालाँकि युद्धबंदियों को भारत द्वारा वापस लौटाने और अपनी ज़मीन को वापस पाने के बाद पाकिस्तान ने इस समझौते का उल्लंघन करना शुरू कर दिया था।

शिमला समझौते के बाद से ही भारत पाकिस्तान के बीच होने वाला सभी विवादों का निपटारा द्विपक्षीय बातचीत से हल करने का आधार तय किया गया है। बीते दिनों अमेरिका द्वारा कश्मीर मसले पर मध्यस्तता की बात को भारत शिमला समझौते के ही आधार पर ख़ारिज किया है। पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अनुच्छेद 370 को लेकर की गई अपील को भी UNSC ने शिमला समझौते का आधार देते हुए ख़ारिज कर दिया है।

दरअसल द्विराष्ट्र सिद्धांत के आधार पर भारत से अलग हुआ पाकिस्तान भारत के साथ भाषाई, सांस्कृतिक, भौगोलिक, आर्थिक और जातीय सम्बन्ध साझा करता है। दोनों देशों के बीच के समबन्ध आपसी मतभेद, शत्रुता और संदेह के कारण पिछले 72 सालों से बेहतर नहीं हो पाए हैं। दोनों देशों के बीच अब तक कुल चार युद्ध हो चुके हैं, जिनमें 1948, 1965, 1971 और 1999 में हुए भारत पाकिस्तान जैसे युद्ध शामिल हैं। भारत पाकिस्तान के बीच मौजूद समस्याओं में मुख्य रूप से कश्मीर मुद्दा, भारत पाकिस्तान सीमा विवाद और नदी जल बंटवारे जैसे मुद्दे शामिल हैं। इसके अलावा कुलभूषण जाधव को लेकर भी अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चल रहा विवाद दोनों देशों के बीच अहम मुद्दा है। इन समस्याओं के लिए पाकिस्तान ने शुरू से ही छल - कपट, छद्म युद्ध और आतंकवाद का सहारा लिया है। रिश्तों को सुधारने के लिए दोनों देशों के बीच नेहरू लियाक़त समझौता 1950, सिंधु - नदी जल संधि 1960, और 1966 में हुए ताशकंद जैसे समझौते शामिल हैं। इसके अलावा 1972 में हुआ शिमला समझौता और 1999 में हुए लाहौर घोषणा पत्र जैसे महत्वपूर्ण क़दम भी उठाए गए हैं।

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