(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) पानीपत फिल्म - भारत-अफ़ग़ानिस्तान रिश्तों पर ग्रहण (Panipat Movie : India-Afghan Relations Eclipsed)
विवादों में रही फ़िल्म पानीपत बीते 6 दिसम्बर को रिलीज़ हो गई। जनवरी 1761 में हुई पानीपत की तीसरी लड़ाई पर आधारित इस फिल्म को लेकर अफ़ग़निस्तान सरकार शुरुआत से ही काफी चिंतित थी। दरअसल पानीपत की तीसरी लड़ाई अफ़ग़ानिस्तान में बाबा - ए - कौम के नाम से जाने जाने वाले दुर्रानी साम्राज्य के शासक अहमद शाह अब्दाली और मराठा सम्राज्य के सेनानायक रहे सदाशिवराव भाऊ के नेतृत्व में लड़ी गई थी। बॉलीवुड में बनी इस फ़िल्म को भारत के नज़रिए से दिखाया गया है। ऐसे में आइये जानते हैं अफ़ग़ानिस्तान सरकार के इस फ़िल्म को लेकर चिंतित होने के क्या मायने हैं ?
अफ़ग़ानिस्तान दक्षिण एशिया में भारत का महत्वपूर्ण साझेदार देश है। पिछले दो दशकों के दौरान भारत - अफ़ग़ान सम्बन्धों की प्रगाढ़ता अपने चरम पर है। इसके अलावा अफ़ग़ानिस्तान में भारत के सहयोग से निर्माण परियोजनाओं पर काम चल रहा है। साथ ही भारत अफ़ग़ानिस्तान में कई मानवीय व विकासशील परियोजनाओं के साथ - साथ कला और संस्कृति के ज़रिए भी अफ़ग़ानिस्तान के साथ अपने संबन्धों को विस्तार दे रहा है। ऐसे में क्या कोई एक फिल्म भारत अफ़ग़ान संबंधों पर असर डाल सकती है ?
अफ़ग़ानिस्तान लम्बे आरसे से भू- राजनीति का केंद्र रहा है। मौजूदा हालात भी कमोबेश ऐसे ही हैं। ऐसे में 90 के दशक में उभरा तालिबान क्या एक बार फिर सत्ता प्राप्ति के लिए इस फिल्म को लेकर मौजूदा अफ़ग़ानिस्तान सरकार पर दबाव बनाने या फिर भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान से मिलकर कोई रणनीति अख़्तियार कर सकता है ?
दरअसल पानीपत फ़िल्म उस दौर की कहानी है जब मुग़लों का शासन अपने पतन की ओर था। मराठा साम्राज्य इस दौरान कई मुगल शासकों को हरा कर लाहौर, मुल्तान और कश्मीर जैसे सूबों को अटक तक फैले मराठा साम्राज्य में शामिल करा चुका था। मराठों की आख़िरी मंशा मौजूदा अफ़ग़ानिस्तान के कांधार पर कब्ज़ा करना था। लेकिन इसी दौरान मराठा साम्राज्य ने हैदराबाद के निज़ाम को सबक सिखाने के लिए पंजाब में मौजूद ज़्यादातर मराठा सैनिकों को दक्षिण की ओर कूंच करने का आदेश दे दिया। इतिहासकारों की माने तो पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों के हार की ये भी एक मुख्य वजह थी। लेकिन इसके अलावा भी मराठों की हार के लिए कई कारण ज़िम्मेदार थे ?