(डेली न्यूज़ स्कैन (DNS हिंदी) मोस्ट फेवर्ड नेशन (Most Favoured Nation Status)
मुख्य बिंदु:
भारत ने पाकिस्तान को दिया MFN दर्जा वापस ले लिया है। भारत ने मोस्ट फेवर्ड नेशन का ये दर्जा पुलवामा आतंकी हमले के बाद वापस लिया है। भारत ने 1996 में पाकिस्तान को द्विपक्षीय कारोबार के लिहाज़ से MFN का दर्जा दिया था। जिसे अब आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ओर से कराए गए हमले की वजह से वापस ले लिया गया है।
DNS में आज हम आपको पकिस्तान से वापस लिए गए MFN यानी मोस्ट फेवर्ड नेशन के बारे में बताएंगे। साथ ही MFN के दूसरे पहलुओं को भी समझने की कोशिश करेंगे।
पुलवामा हमले के तुरंत बाद ही भारत ने पकिस्तान को दिया गया मोस्ट फेवर्ड नेशन दर्जा वापस ले लिया है। भारत ने पाकिस्तान को ये दर्जा विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश के तौर पर दिया था। WTO के 1994 के जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड के आर्टिकल 1 के मुताबिक भारत ने पकिस्तान को MFN का दर्जा दिया था।
मोस्ट फेवर्ड नेशन का मतलब है - तरजीही देश। किसी भी देश को ये दर्जा उसके साथ द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ावा दिए जाने के लिए दिया जाता है। जिन देशों को MFN दर्जा दिया जाता है, उन्हें WTO का सदस्य होना भी ज़रूरी होता है। साथ ही जो देश किसी दूसरे देश को MFN का दर्जा देते हैं उनका भी WTO संगठन का सदस्य होना अनिवार्य रहता है।
यहां विश्व व्यापार संगठन के बारे में बताते चले कि ये अंतरराष्ट्रीय संगठन है। जो दुनिया भर के देशों के लिए व्यापार का नियम बनाता है। मौजूदा वक़्त में इसके कुल 164 सदस्य हैं। जो विश्व व्यापर नियमों का पालन कर रहे हैं, और एक दूसरे के बीच द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं। दुनिया का क़रीब 98% व्यापार भी WTO के नियमों के मुताबिक ही होता है।
भारत की ओर से पाकिस्तान को MFN का दर्जा दिए जाने के बाद से ही पकिस्तान भी भारत को ये दर्जा दिए देने की बात कर रहा है। 2012 पाकिस्तान ने में भारत को MFN का दर्जा देने की बात कही थी, लेकिन पाकिस्तान अपने इस फैसले पर आगे नहीं बढ़ा। दरअसल पाकिस्तान की ओर से भारत को MFN दर्जा न दिए जाने के 2 बहुत ही महत्वपूर्ण कारण हैं। जिनमें से पहला ये कि - भारत और पाकिस्तान के संबंध पहले से काफी ख़राब हैं। पाकिस्तान अगर भारत को ये दर्जा देता है तो पकिस्तान सरकार पर इसका राजनीतिक रूप से दबाव बनेगा। क्यूंकि भारत को MFN का दर्जा देना एक तरीक़े से दोस्ती का हाथ बढ़ाने जैसा है।
जबकि दूसरा कारण ये है कि अगर पकिस्तान भारत को MFN का दर्जा दे देता है तो फिर उसे WTO के तहत MFN नियमों का पालन कारना पड़ेगा। जबकि पाकिस्तान अभी भारत से आने वाले सामानों पर अपने हिसाब से टैक्स लगता है।
दरअसल किसी भी विकासशील देश के लिये MFN बहुत ज़रूरी होता है। MFN दर्जे के ज़रिये ही किन्हीं भी 2 देशों के बीच में साझा व्यापार की नींव तैयार होती है। किसी भी देश को MFN दर्जा दिए जाने के बाद विश्व व्यापार संगठन के सदस्य एक-दूसरे के साथ बिना किसी भेदभाव के कारोबार करते हैं। MFN दर्जे के ज़रिए इसमें आयातित सामानों पर लगने वाले सीमा शुल्कों तथा अन्य दूसरे टैक्सों में सहूलियत दी जाती है। इसके अलावा MFN घरेलू प्रशासन के लिए भी फायदेमंद होता है। इसके ज़रिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नियमों को और आसान बनाया जाता है साथ ही उनमें और अधिक पारदर्शिता लाई जाती है।
भारत ने पाकिस्तान से MFN दर्जा वापस लेने के बाद पकिस्तान से आने वाले लगभग सभी सामानों पर 200 % का टैक्स लगा दिया है। MFN दर्जे को वापस लेने के बाद भारत भी अब पकिस्तान से आने वाले सामानों पर अपने तरीके से कर वसूल करेगा। जिससे पकिस्तान का क़रीब 50 करोड़ डॉलर का कारोबार प्रभावित होगा।
मौजूदा समय में भारत पकिस्तान को सब्जियाँ, कपास, प्लास्टिक और लोहा व इस्पात जैसे सामानों का निर्यात करता है। जबकि भारत पकिस्तान से मसाले, फल, और सीमेंट जैस सामानों को खरीदता है। विश्व बैंक की ओर से 2018 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अगर भारत पकिस्तान के बीच संबंधो को बेहतर बना लिया जाय तो यहां करीब 36 अरब करोड़ डॉलर का कारोबार संभव है। ख़राब संबंधों के कारण भारत पाकिस्तान का द्विपक्षीय कारोबार हमेशा से ही प्रभावित रहा है।