(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) कॉप 13 - गांधीनगर घोषणापत्र (COP 13 : Gandhinagar Declaration)
जीव-जंतुओं की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देशों का 13वां सम्मेलन सी एम एस-सीओपी-13 22 फरवरी को गुजरात में गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में संपन्न हो गया। भारत अब 3 साल के लिए इस सम्मेलन की अध्यक्षता करेगा। इस सम्मेलन के अंतिम दिन भाग ले रहे देशों ने गांधीनगर घोषणापत्र को मंजूरी दी जिसमें प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिए नए कदम उठाने की बात कही गयी है। इस घोषणापत्र में नई वैश्विक जैव-विविधता रणनीति के तहत प्रवासी प्रजातियों की अहमियत पर ज़ोर दिया गया है। आपको बता दें कि ये सम्मलेन जीव-जंतुओं की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देशों से जुड़ा है।
DNS में आज हम जानेंगे cop - 13 के बारे में साथ ही समझेंगे इससे जुड़े कुछ और भी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में
प्रवासी प्रजातियों के सम्मेलन की कार्यकारी सचिव एमी फ्रेंकेल के मुताबिक़ इस सम्मेलन में प्रवासी प्रजातियों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की गई जिससे ये पता चला है कि तमाम वैश्विक प्रयासों के बावजूद ज्यादातर प्रवासी जीव-जंतुओं की संख्या लगातार घट रही है । सी एम एस-कोप-13 में इस बात पर सहमति जताई गयी है की प्रवासी प्रजातियों में हर एक प्रजाति के बारे में बेहद संजीदा तरीके से अध्ययन की ज़रुरत है । इसके अलावा प्रवासी प्रजातियों के सामने मौजूद चुनौतियों पर भी समीक्षा पर सहमति जताई गयी । फ्रेंकल ने कहा कि सी एम एस-सीओपी-13 सम्मलेन में प्रवासी प्रजातियों को अवैध रूप से मारे जाने और उनके गैर कानूनी व्यापार को रोकने के लिए भी नई नीति बनाने पर भी सहमति बनी।
क्या है गांधी नगर घोषणा पत्र:
सीएमएस ने पारिस्थितिकीय तंत्रों के आपसी संबंध को बनाए रखने और उन्हें बहाल करने की ज़रुरत पर विशेष बल दिया है – खासकर प्रवासी प्रजातियों और उनके पर्यावास के प्रबंधन में। गांधीनगर घोषणापत्र जिस पर 130 देशों ने अपनी मुहर लगाई है, में प्रवासी प्रजातियों पर मौजूद खतरों और इसके समाधान की तरीकों को वरीयता दी गयी है।
घोषणापत्र में प्रवासी जीव जंतुओं और पारिस्थितिकीय तंत्रों के आपसी रिश्तों को 2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता मसौदे में शामिल करने और इसको वरीयता देने की भी बात कही गयी । इस मसौदे के अक्टूबर 2020 में होने वाली संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता सम्मेलन में पारित होने की गुंजाईश है।
एशियाई हाथी, तेंदुआ और हुकना या बंगाल फ्लोरिकन को सम्मेलन में
परिशिष्ट 1 के अंतर्गत शामिल कर लिया गया । परिशिष्ट 1 में ऐसी प्रजातियों को शामिल
किया जाता है जिनके विलुप्त होने का खतरा बना हुआ रहता है। इसके अलावा किसी प्रजाति
को अगर परिशिष्ट 1 में डाला जाता है तो सीमा पार उसके संरक्षण के प्रयास आसान हो
जाते हैं । इन 3 प्रजातियों के अलावा 7 प्रजातियों को परिशिष्ट 2 के नातर्गत शामिल
किया गया है। इनमें शामिल हैं- जगुआर, यूरियाल, लिटिल बस्टर्ड, एंटीपोडियन
अल्बाट्रॉस, ओशनिक व्हाइट-टिप शार्क, स्मूथ हैमरहेड शार्क और टोपे शार्क।आपको बता
दें की परिशिष्ट 2 के तहत उन प्रजातियों को शामिल किया जाता है जिनके संरक्षण के
लिए वैश्विक सहयोग की ज़रुरत है ।
इस सम्मेलन में पहली बार प्रवासी प्रजातियों के मौजूदा हालातों पर एक रिपोर्ट को
जारी किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक़ सीएमएस संधि में शामिल ज़्यादातर प्रजातियों की
संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है जिसके पीछे की वजहों को समझने की कोशिश इस
रिपोर्ट में की गयी है । इसके अलावा प्रवासी जीव जंतुओं पर मौजूदा खतरों की पहचान
और उसको दूर करने की भी बात इस रिपोर्ट में कही गयी है । इस बार इस सम्मेलन की थीम
" Migratory species connect the planet and together we welcome them home " थी ।
गौर तलब है कॉप-13 के मेज़बान देश के रूप में कॉप की अध्यक्षता अगले तीन सालों के
लिए भारत के पास रहेगी।
एक सप्ताह के सम्मेलन में संधि के प्रथम परिशिष्ट में 10 और द्वितीय परिशिष्ट में 13 प्रजातियों को शामिल किया गया। प्रवासी प्रजातियों और उनके पर्यावास के संरक्षण के लिए प्रवासी प्रजाति संरक्षण संधि का दूत कार्यक्रम फिर से शुरू किया गया। भारतीय अभिनेता रणदीप हुड्डा को 2023 तक के लिए प्रवासी प्रजाति दूत मनोनीत किया गया।
आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक कन्वेंशन के रूप में ( सीएमएस) को लागू किया गया। 1979 में जर्मनी के बान में इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर होने के कारण इसे बान कन्वेंशन के नाम से भी जाना जाता है। यह कन्वेंशन 1983 से वज़ूद में आया। भारत ने भी 1983 में इस कन्वेंशन पर दस्तखत किये थे । यह कन्वेंशन प्रवासी जानवरों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सभी हित धारकों यानि स्टेक होल्डर्स को एक मंच मुहैय्या कराता है जिस रास्ते से प्रवासी जीव-जंतु गुजरते हैं एवं जिन स्थानों पर ये प्रवास करते हैं वहां पर उनके आवासों के संरक्षण हेतु यह कन्वेंशन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी अधिकार प्रदान करता है। इसके अलावा कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज के बारे में बताएं तो ये ( Conference of the Parties -COP), सीएमएस का सर्वोच्च निकाय है। प्रत्येक तीसरे वर्ष कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज की बैठक का आयोजन किया जाता है। इस बैठक में बजट, नीतियां एवं अन्य मुद्दों को उजागर करने की कोशिश की जाती है । अब तक कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज के 12 सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है एवं 13 वें सम्मेलन का आयोजन गुजरात के गांधीनगर में किया जा रहा है।
आपको बता दें सीएमएस प्रवासी जीव जंतुओं पर पाए जाने वाले खतरे के मद्देनज़र दो श्रेणियों में बांटता है :
परिशिष्ट I के तहत उन प्रजातियों के जीवो को शामिल किया जाता है जिन पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा हो जबकि परिशिष्ट 2 -के तहत उन प्रजातियों के जीवो को शामिल किया जाता है जिनके संरक्षण की स्थिति प्रतिकूल है एवं इनके संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौता की ज़रुरत है ।