सन्दर्भ:
केरल के पालोड स्थित जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बॉटैनिक गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (JNTBGRI) के शोधकर्ताओं ने रेड आइवी पौधे (Strobilanthes alternata), जिसे स्थानीय भाषा में मुरिकूटी पाचा कहा जाता है, से प्राप्त अर्क का उपयोग करके एक अभिनव बहु-कार्यात्मक घाव-भरने वाला पैड विकसित किया है। यह खोज परंपरागत वनस्पति ज्ञान को आधुनिक नैनो-प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ती है और किफायती स्वास्थ्य सेवाओं में एक महत्वपूर्ण प्रगति मानी जा रही है।
पौधे और अणु के बारे में:
- स्ट्रोबिलैन्थेस अल्टरनेटा (रेड आइवी) जो एकेंथेसी (Acanthaceae) कुल का पौधा है। स्ट्रोबिलैन्थेस (Strobilanthes) प्रजातियां अपने विशेष सामूहिक पुष्पन (mass flowering) के लिए जानी जाती हैं, जैसे नीलकुरिंजी, जो पश्चिमी घाट में हर 12 वर्ष में एक बार खिलता है।
- यह पौधा उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों, जिनमें भारत भी शामिल है, में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और लोक-चिकित्सा में घाव व कटने-फटने की चिकित्सा में लंबे समय से उपयोग किया जाता रहा है।
- शोधकर्ताओं ने इस पौधे से एक्टियोसाइड (Acteoside) नामक प्राकृतिक जैवसक्रिय यौगिक की पहचान और पृथक्करण किया। यह यौगिक पहले से ही अपने एंटीऑक्सीडेंट, सूजनरोधी (anti-inflammatory) और रोगाणुरोधी (antimicrobial) गुणों के लिए जाना जाता है।
- यह पहली बार है कि एक्टियोसाइड को सीधे रेड आइवी पौधे से जोड़ा गया है, जो पौधों-आधारित घाव-प्रबंधन की नई संभावनाओं को खोलता है।
घाव-भरने वाले पैड की प्रमुख विशेषताएं:
1. इलेक्ट्रो-स्पन नैनोफाइबर परत
o जैव-अपघटनीय और विष-रहित पॉलीमर से बनी।
o इसमें 0.2% की कम सांद्रता पर भी प्रभावी एक्टियोसाइड तथा एंटीबायोटिक नियोमाइसिन सल्फेट शामिल है।
o यह गैस विनिमय को सुगम बनाता है, जीवाणु वृद्धि को रोकता है और उपचार को तेज करता है।
2. सुपर एब्जॉर्बेंट स्पंज परत
o यह सोडियम एलगिनेट (एक प्राकृतिक पॉलीसैकराइड) से बनी है।
o यह घाव से निकलने वाले तरल (exudate) को प्रभावी ढंग से सोख लेती है।
3. सक्रिय कार्बन परत
o विशेषकर पुराने घावों से आने वाली दुर्गंध को नियंत्रित और निष्क्रिय करती है।
इन परतों का सम्मिलित प्रभाव संक्रमण से बचाव, ऊतक मरम्मत को बढ़ावा और आराम सुनिश्चित करते हुए एक संपूर्ण उपचार वातावरण प्रदान करता है।
पशु-परीक्षणों में यह सिद्ध हुआ कि यह पैड घाव भरने की गति को तेज करता है।
सुरक्षा परीक्षणों में यह भी पाया गया कि इसमें जीन-क्षति (genotoxicity), एलर्जी, त्वचा-जलन या सूजन का कोई खतरा नहीं है।
इस नवाचार का महत्व:
- वर्तमान में भारत में इस तरह का कोई बहु-कार्यात्मक घाव-ड्रेसिंग उपलब्ध नहीं है।
- इसमें प्रयुक्त घटक (पॉलीमर, सोडियम एलगिनेट, सक्रिय कार्बन) सस्ते और आसानी से उपलब्ध हैं, जिससे इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किफायती बनता है।
- यह उत्पाद स्थानीय पारंपरिक ज्ञान और उन्नत जैव-प्रौद्योगिकी का संगम है, जो न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य को सहारा देता है बल्कि घरेलू नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूत करता है।
निष्कर्ष:
रेड आइवी आधारित घाव-भरने वाले पैड का विकास किफायती और सुलभ स्वास्थ्य-प्रौद्योगिकी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परंपरागत औषधीय ज्ञान को अत्याधुनिक नैनोविज्ञान से जोड़ता है और वैश्विक सुरक्षा मानकों को पूरा करता है। ऐसे नवाचार न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमता को बढ़ाते हैं बल्कि बायोमेडिकल अनुसंधान और स्वदेशी तकनीकी विकास में आत्मनिर्भरता के एजेंडा को भी मजबूत करते हैं।