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Blog / 21 Jun 2025

विश्व निवेश रिपोर्ट 2025

संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) की नई रिपोर्ट भारत में विदेशी निवेश की बदलती स्थिति को रेखांकित करती है। विश्व निवेश रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत अब भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित कर रहा है, लेकिन पूंजी निर्माण में इसका योगदान पहले की तुलना में काफी घट गया है। देश की आर्थिक वृद्धि अब तेजी से घरेलू संसाधनों और निवेश स्रोतों पर आधारित होती जा रही है।

रिपोर्ट की प्रमुख बातें:

FDI का पूंजी निर्माण में घटता योगदान:

2024 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रवाह सकल पूंजी निर्माण का केवल 2.3% रहा, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 8.8% था।

·         यह दर्शाता है कि अब भारत की आर्थिक वृद्धि और निवेश गतिविधियाँ मुख्य रूप से घरेलू स्रोतों और वैकल्पिक वित्तीय उपायों पर निर्भर होती जा रही हैं।

·         भारत में कुल विदेशी निवेश (यानी अब तक का संचयी निवेश) 2024 में GDP का 14% रहा, जो 2020 में 17.9% था, यह विदेशी पूंजी पर घटती निर्भरता का संकेत है।

FDI प्रवाह और क्षेत्रीय बदलाव:

2024 में भारत ने $27.6 बिलियन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.8% कम और 2020 की तुलना में आधा से भी कम है।

·         इसके बावजूद, रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि कुछ प्रमुख क्षेत्रों, विशेषकर निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।

·         भारत और अमेरिका दोनों में निर्माण क्षेत्र से संबंधित निवेशों में रिकॉर्ड स्तर की वृद्धि हुई। भारत में यह उछाल विशेष रूप से सेमीकंडक्टर और बेसिक मेटल्स जैसी बड़ी परियोजनाओं की वजह से आया।

World Investment Report 2025

दक्षिण एशिया और एशिया में भारत की स्थिति:

2024 में भारत दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा FDI प्राप्तकर्ता बना रहा, जहाँ उसे कुल क्षेत्रीय विदेशी निवेश का लगभग 80% प्राप्त हुआ।

·         पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) के क्षेत्र में भी भारत का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा। अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, 2024 में पूंजीगत व्यय 25% से अधिक बढ़कर $110 बिलियन तक पहुँच गया।

·         यह राशि एशिया के कुल पूंजीगत व्यय का लगभग एक-तिहाई है, जो भारत की एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में उभरती हुई भूमिका को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।

सीमा-पार विलय और अधिग्रहण (M&A):
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2024 में विकासशील एशिया (जिसमें भारत भी शामिल है) में सीमा-पार M&A (विलय और अधिग्रहण) गतिविधियों में कमी दर्ज की गई

·         इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण चीन रहा, जहाँ सौदों का कुल मूल्य 49% तक घट गया। विशेष रूप से भारत और यूएई ने भी विदेशी निवेशकों द्वारा अपनी संपत्तियाँ बेचने (डिवेस्टमेंट) के कारण  इस गिरावट में योगदान दिया।

·         उदाहरणस्वरूप, वॉल्ट डिज़्नी ने भारत से आंशिक रूप से बाहर निकलते हुए अपनी कंपनी स्टार इंडिया का वायकॉम18 मीडिया के साथ विलय किया। यह $3 बिलियन का सौदा था, जिससे एक ऐसा संयुक्त उपक्रम बना जिसमें भारतीय कंपनियों की बहुलता है।

·         इसके अतिरिक्त, भारत में कई विदेशी स्वामित्व वाली दवा कंपनियों की संपत्तियाँ स्थानीय कंपनियों को बेच दी गईं, जिससे प्रमुख क्षेत्रों में विदेशी उपस्थिति और भी कम हो गई

निष्कर्ष:

भारत अब भी विशेष रूप से निर्माण और पूंजी-गहन परियोजनाओं में महत्वपूर्ण विदेशी निवेश आकर्षित करता है, लेकिन समग्र रूप से उसकी FDI पर निर्भरता घटती जा रही है। वर्तमान रुझान इस ओर संकेत करते हैं कि भारत की आर्थिक वृद्धि अब घरेलू निवेश की मजबूत नींव पर आगे बढ़ रही है, जबकि विदेशी निवेश एक सीमित लेकिन रणनीतिक भूमिका निभा रहा है। यह रिपोर्ट भारत की घरेलू पूंजी निर्माण की बढ़ती क्षमता और वैश्विक निवेश प्रवाह में आ रहे संरचनात्मक बदलावों को स्पष्ट रूप से उजागर करती है।