सन्दर्भ :
हाल ही में, 12 अगस्त 2025 को विश्व हाथी दिवस के अवसर पर कोयंबटूर में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के उपायों पर केंद्रित था। यह आयोजन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) और तमिलनाडु वन विभाग के संयुक्त सहयोग से हुआ। इस अवसर पर भारत के संरक्षण प्रयासों पर प्रकाश डाला गया। विश्व के लगभग 60% जंगली हाथी भारत में पाए जाते हैं।
विषय:
विश्व हाथी दिवस 2025 का विषय "मातृवंशी और स्मृतियाँ" (Matriarchs & Memories) है, जोकि हाथियों की मातृवंशी बुद्धिमत्ता, भावनात्मक गहराई और लचीलेपन का सम्मान करता है।
पृष्ठभूमि:
विश्व हाथी दिवस की स्थापना 2012 में कनाडाई फिल्म निर्माता पेट्रीसिया सिम्स ने थाईलैंड के एलिफेंट रीइंट्रोडक्शन फ़ाउंडेशन के सहयोग से की थी।
· इसका मुख्य उद्देश्य हाथियों एवं उनके प्राकृतिक आवासों के संरक्षण और सुरक्षा को सुनिश्चित करना, तथा वैश्विक स्तर पर उनके नैतिक उपचार और संरक्षण प्रयासों को प्रोत्साहित करना है।
· यह दिवस सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देता है और हाथियों की जनसंख्या के दीर्घकालिक अस्तित्व हेतु अनुकूल नीतियों के निर्माण एवं क्रियान्वयन को समर्थन प्रदान करता है।
हाथियों के विषय में:
हाथी स्थलीय स्तनधारियों में सबसे बड़े हैं और पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख इंजीनियर माने जाते हैं। ये बुद्धिमान, सामाजिक प्राणी हैं जिनके पारिवारिक संबंध मजबूत और स्थायी होते हैं।
IUCN स्थिति:
• एशियाई हाथी: लुप्तप्राय
• अफ़्रीकी सवाना हाथी: लुप्तप्राय
• अफ़्रीकी वन हाथी: गंभीर रूप से लुप्तप्राय
विशेषता और भूमिका:
लंबी सूंड, दाँत और विशाल शरीर वाले हाथी बीजों का प्रसार कर, घास के मैदानों को बनाए रखकर और जल स्रोतों का निर्माण कर पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देते हैं। वे धीमी गति से प्रजनन करते हैं, 22 महीनों की गर्भावस्था रखते हैं, और मातृसत्तात्मक झुंडों में रहते हैं, जिससे प्रत्येक व्यक्तियों का अस्तित्व आबादी की दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।
भारत में हाथियों का संरक्षण:
भारत दुनिया की लगभग 60% जंगली हाथियों की आबादी का घर है। हाथियों का संरक्षण और संवर्धन मुख्य रूप से राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र में आता है, जिसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और भारतीय वन अधिनियम, 1927 जैसे राष्ट्रीय कानूनों द्वारा समर्थित किया जाता है।
· पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) केंद्र प्रायोजित योजना प्रोजेक्ट टाइगर एंड एलीफेंट के तहत विभिन्न संरक्षण उपायों को लागू करता है।
· इसमें हाथियों के आवास संरक्षण, मानव–हाथी संघर्ष (HEC) शमन और बंदी हाथियों के कल्याण के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता शामिल है।
· प्रमुख प्रयासों में 14 राज्यों में 33 हाथी अभयारण्यों की स्थापना, 150 हाथी गलियारों का सत्यापन और HEC प्रबंधन हेतु दिशानिर्देश तैयार करना शामिल है।
· रणनीतियों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, त्वरित प्रतिक्रिया दल, अनुग्रह राशि (मानव मृत्यु पर ₹10 लाख तक) और पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढाँचे की योजना शामिल है। साथ ही, प्रतिपूरक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016 के तहत आवास सुधार के लिए निधियों का उपयोग किया जाता है।
निष्कर्ष:
विश्व हाथी दिवस 2025 हाथियों और उनके प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाता है। मानव–हाथी संघर्ष में वृद्धि के मद्देनज़र ऐसे स्थायी समाधान खोजना आवश्यक है, जो वन्यजीव संरक्षण और मानव कल्याण के बीच संतुलन बनाए रखें। चूँकि भारत हाथियों के संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, इसलिए वैश्विक समुदाय को इन प्रयासों का समर्थन करना और इन अद्भुत जीवों के दीर्घकालिक अस्तित्व को सुनिश्चित करने हेतु एकजुट होना चाहिए।