सन्दर्भ :
हाल ही में इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एलायंस (ICA) ने यूरोपियन रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑन कोऑपरेटिव एंड सोशल एंटरप्राइजेज (EURICSE) की सहयोग से विश्व सहकारी निगरानी रिपोर्ट 2025 प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में भारत की अमूल (Amul) और इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) ने टर्नओवर-टू-जीडीपी प्रति व्यक्ति अनुपात (turnover relative to GDP per capita) में क्रमशः पहला और दूसरा स्थान हासिल किया है।
मुख्य निष्कर्ष :
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- शीर्ष 300 सहकारी संस्थाओं का संयुक्त कारोबार वर्ष 2023 में 2.79 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- कारोबार के आधार पर कृषि क्षेत्र (35.7%) और बीमा क्षेत्र (31.7%) शीर्ष पर रहे, जबकि थोक एवं खुदरा व्यापार (18%) तीसरे स्थान पर रहा।
- कारोबार के दृष्टि से अग्रणी संगठन हैं — ग्रुप क्रेडिट एग्रीकोल (फ्रांस), स्टेट फार्म (अमेरिका) और रेवे ग्रुप (जर्मनी)।
- जीडीपी प्रति व्यक्ति के आधार पर कारोबार के अनुपात में भारत की अमूल और IFFCO शीर्ष पर रहे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं (emerging economies) में सहकारी संस्थाओं की भूमिका मजबूत हो रही है।
- यूरोप और अमेरिका की संस्थाएँ अब भी शीर्ष 300 में सर्वाधिक हैं, लेकिन एशिया-प्रशांत (Asia-Pacific) और अफ्रीका की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।
- शीर्ष 300 सहकारी संस्थाओं का संयुक्त कारोबार वर्ष 2023 में 2.79 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
भारतीय परिप्रेक्ष्य :
अमूल :
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- मुख्यालय: गुजरात
- जीडीपी प्रति व्यक्ति प्रदर्शन के आधार पर विश्व में प्रथम स्थान।
- वार्षिक कारोबार (2023–24): 7.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹60,000 करोड़)
- प्रतिदिन दूध संग्रह: 3.5 करोड़ लीटर
- नेटवर्क: 18,600 ग्राम दुग्ध समितियाँ, 33 जिलों में कार्यरत
- मुख्यालय: गुजरात
आईएफएफसीओ (IFFCO):
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- स्थापना: 1967, मुख्यालय: नई दिल्ली
- भारत की सबसे बड़ी खाद्य (fertiliser) सहकारी संस्था
- नेटवर्क: 35,000 सदस्य सहकारी समितियाँ, जो 5 करोड़ किसानों तक पहुँचती हैं
- स्थापना: 1967, मुख्यालय: नई दिल्ली
उपलब्धि का महत्व:
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- वैश्विक पहचान: यह सफलता भारत के सहकारी मॉडल को एक वैश्विक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करती है, जो ग्रामीण सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और समावेशी विकास को बढ़ावा देता है।
- महिला सशक्तिकरण: अमूल की सफलता में लाखों महिला दुग्ध उत्पादकों की मेहनत शामिल है, जिन्होंने आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक प्रगति दोनों हासिल की हैं।
- कृषि समर्थन: IFFCO की उपलब्धि यह दर्शाती है कि वह किसानों को सस्ते उर्वरक और बेहतर सहकारी प्रबंधन के माध्यम से सतत कृषि को बढ़ावा दे रही है।
- वैश्विक पहचान: यह सफलता भारत के सहकारी मॉडल को एक वैश्विक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करती है, जो ग्रामीण सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और समावेशी विकास को बढ़ावा देता है।
निष्कर्ष :
विश्व सहकारी निगरानी रिपोर्ट 2025 दुनिया भर में सहकारी आंदोलन की प्रगति का सटीक और व्यापक आकलन प्रस्तुत करती है। भारत के लिए, अमूल और IFFCO की सफलता यह दिखाती है कि सहकारी मॉडल समावेशी विकास का प्रभावी साधन बन सकता है। आगे चलकर, इस मॉडल को संस्थागत , आधुनिक और विस्तारित करने के लिए नीतिगत कदम उठाना जरूरी होगा, ताकि इसे राष्ट्रीय विकास से जोड़ा जा सके।
