संदर्भ:
विश्व बैंक की हाल ही में जारी रिपोर्ट “भारत में लचीले और समृद्ध शहरों की ओर” (Towards Resilient and Prosperous Cities in India) में बताया गया है कि भारतीय शहर आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह रिपोर्ट केंद्र सरकार के आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के सहयोग से तैयार की गई है।
रिपोर्ट की प्रमुख बातें:
1. शहरी विकास और आर्थिक महत्व
• भारत की शहरी जनसंख्या 2050 तक दोगुनी होकर 951 मिलियन हो जाने का अनुमान है।
• 2030 तक, शहरी क्षेत्रों में 70% नए रोजगार उत्पन्न होंगे।
• भारत के आर्थिक परिवर्तन में शहर केंद्र में होंगे, लेकिन केवल तभी जब वे जलवायु संबंधित चुनौतियों से निपटने में सक्षम होंगे।
2. बढ़ते जलवायु जोखिम: बाढ़ और अत्यधिक गर्मी
रिपोर्ट में दो प्रमुख झटकों की पहचान की गई है जो शहरी भारत को खतरे में डालते हैं:
• प्लुवियल बाढ़ (भारी वर्षा और खराब जल निकासी के कारण शहरी बाढ़):
o वार्षिक नुकसान 2030 तक $5 बिलियन और 2070 तक $30 बिलियन तक पहुँच सकता है।
o मुख्य कारणों में अनियंत्रित शहरीकरण, प्राकृतिक जल निकासी का नुकसान और अत्यधिक कंक्रीटीकरण शामिल हैं।
• अत्यधिक गर्मी और शहरी हीट आइलैंड प्रभाव:
o खतरनाक गर्मी के संपर्क में आने की दर 1983–1990 की तुलना में 2010–2016 तक 71% बढ़ गई है।
o 2050 तक गर्मी से संबंधित वार्षिक मृत्यु दर दोगुनी होकर 3 लाख से अधिक हो सकती है।
o शहरी हीट आइलैंड प्रभाव – जिसमें शहर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म हो जाते हैं – जोखिम को और बढ़ा देता है।
असक्रियता की लागत बनाम निवेश की आवश्यकता
• जलवायु-लचीला शहरी अवसंरचना के निर्माण के लिए भारतीय शहरों को 2050 तक $2.4 ट्रिलियन का निवेश करना होगा।
• अगले 15 वर्षों में कम से कम $150 बिलियन का निवेश आवश्यक होगा ताकि उच्च जोखिम वाले 60% शहरों को बाढ़ से सुरक्षा दी जा सके।
रिपोर्ट की सिफारिशें-
राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर:
• शहरी सरकारों को सशक्त बनाने के लिए नीति और कानूनी ढांचे को मजबूत करना।
• लचीले अवसंरचना को समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय वित्तीय रोडमैप तैयार करना।
• निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) विकसित करना।
• नगरपालिका की क्षमताओं का निर्माण और शहरी प्रशासन के मानकों में सुधार करना।
शहर स्तर पर:
• जोखिम मूल्यांकन और जलवायु संवेदनशीलता का आकलन करना।
• अनुकूलन और शमन परियोजनाओं के लिए निजी और सार्वजनिक पूंजी जुटाना।
• प्राकृतिक-आधारित समाधान अपनाना जैसे कि शहरी हरियाली, आर्द्रभूमि पुनर्स्थापन और वर्षा जल प्रबंधन।
• गर्मी को कम करने की रणनीतियाँ अपनाना जैसे:
o कूल रूफिंग (शीतल छतें)
o शहरी हरित आवरण
o पूर्व चेतावनी प्रणाली
o गर्मी के चरम समय में कार्य समय में बदलाव
निष्कर्ष
विश्व बैंक की रिपोर्ट यह दर्शाती है कि भारतीय शहरों के लिए जलवायु अनुकूलन और लचीलापन निर्माण में निवेश करना अत्यंत आवश्यक है ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सके। शहरों को अधिक स्वायत्तता प्रदान कर और रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू कर भारत जलवायु परिवर्तन से होने वाले आर्थिक नुकसान और स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों को घटा सकता है और सतत व समृद्ध शहरी विकास सुनिश्चित कर सकता है।