संदर्भ:
भारत में ऑटोमोबाइल उद्योग को मज़दूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में सेफ इन इंडिया (एसआईआई) फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट "Crushed 2025" के अनुसार, घायल मज़दूरों की संख्या में हर वर्ष 35% की वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट बताती है कि अब तक 8,500 से अधिक घायल मज़दूरों ने SII से सहायता प्राप्त की है, जिनमें से 78% मज़दूर ऑटो-कम्पोनेंट फैक्ट्रियों से संबंधित हैं। इन चोटों के अधिकतर मामले अवैध रूप से संचालित पावर प्रेस मशीनों के कारण सामने आए हैं, जो मज़दूरों की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन चुकी हैं।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
• चोटों में वृद्धि: वर्ष 2023 में जहां 926 मज़दूर घायल हुए थे, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 1,256 हो गई। इनमें से 875 मामले ‘क्रश इंजरी’ (हाथ-पैर दबने की गंभीर चोटें) से संबंधित हैं, जो साल-दर-साल 15% की बढ़ोतरी को दर्शाते हैं।
• लापरवाही और निरीक्षण की कमी: रिपोर्ट में पाया गया कि 41% घायल मज़दूरों को पहले से मशीनों में खराबी का अंदेशा था, और इनमें से 91% ने यह बात अपने सुपरवाइज़र को बताई, फिर भी उनकी चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर दिया गया। इसके अलावा, अधिकांश फैक्ट्रियों में दैनिक मशीन जांच की अनिवार्य प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता।
• कमज़ोर और कम पढ़े-लिखे मज़दूर अधिक प्रभावित: रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कम शिक्षा स्तर वाले मज़दूर अधिक चोटिल हो रहे हैं। हरियाणा में 77% और महाराष्ट्र में 74% घायल मज़दूरों की शिक्षा 10वीं कक्षा से कम है।
• लंबे कार्य घंटे: रिपोर्ट के अनुसार, 76% घायल मज़दूर हर सप्ताह 60 घंटे से अधिक काम कर रहे हैं, जबकि कानूनी सीमा 48 घंटे प्रति सप्ताह निर्धारित है।
सिफारिशें:
रिपोर्ट में सुरक्षा सुधार के लिए बहु-स्तरीय प्रयासों की सिफारिश की गई है:
• कंपनियों के निदेशक मंडल को उनके सप्लाई चेन की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाए
• बार-बार नियम तोड़ने वाली फैक्ट्रियों को ब्लैकलिस्ट किया जाए
• एमएसएमई आपूर्तिकर्ताओं को व्यवसायिक और प्रशिक्षित बनाया जाए, और ESIC (Employee's State Insurance Corporation) और OSH (Occupational Safety and Health) का पालन सुनिश्चित किया जाए
• खतरनाक मशीनों पर काम करने वाले मज़दूरों के लिए विशेष प्रशिक्षण और सुरक्षा कार्यक्रम शुरू किए जाएं
• सरकार और उद्योग जगत मिलकर एक संयुक्त टास्क फोर्स बनाए
• ऑटोमोटिव सप्लाई चेन में होने वाले हादसों का डेटा सार्वजनिक किया जाए, जिससे पारदर्शिता बढ़े
भारत में ऑटो क्षेत्र का योगदान:
ऑटोमोबाइल क्षेत्र भारत की GDP का लगभग 6% योगदान देता है और लगभग 3 करोड़ लोगों को रोज़गार देता है (42 लाख सीधे और 2.65 करोड़ अप्रत्यक्ष रूप से)। ऑटो-कम्पोनेंट इंडस्ट्री अकेले ही GDP में 2.3% का योगदान देती है। वित्त वर्ष 2023-24 में इसका कारोबार ₹6.14 लाख करोड़ (करीब 74.1 अरब डॉलर) रहा। यह क्षेत्र 8.63% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है और 2026 तक निर्यात 30 अरब डॉलर तक पहुँचने की संभावना है।
निष्कर्ष:
रिपोर्ट के निष्कर्ष और सिफारिशें बताती हैं कि भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मज़दूरों की सुरक्षा में बड़े सुधार की आवश्यकता है। यदि उद्योग मज़दूरों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और ठोस कदम उठाता है, तो न केवल हादसों की संख्या घटेगी, बल्कि एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण भी तैयार होगा।