संदर्भ:
हाल ही में 2 से 8 अक्टूबर 2025 तक पूरे भारत में 71वां राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह मनाया गया, जिसकी थीम “मानव–वन्यजीव सह-अस्तित्व” थी। इस पहल का उद्देश्य मनुष्यों और वन्यजीवों के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित करना और संरक्षण कार्यों में साझी भागीदारी और जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करना था। मुख्य आयोजन इंदिरा गांधी प्राणी उद्यान (IGZP), देहरादून, उत्तराखंड में हुआ, जहाँ वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की गई।
थीम के बारे में:
“मानव–वन्यजीव सहअस्तित्व” की थीम का उद्देश्य संघर्ष की सोच से सहयोग की सोच की ओर बढ़ना है। यह इस बात पर जोर देती है कि:
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- संरक्षण में स्थानीय समुदायों का सहयोग जरूरी है।
- तकनीक आधारित समाधान अपनाकर मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम किया जाए।
- केवल संरक्षित क्षेत्रों पर निर्भर रहने के बजाय पूरे परिदृश्य को ध्यान में रखकर योजना बनाई जाए।
- वैज्ञानिक संस्थानों और स्थानीय शासन के बीच नीति स्तर पर समन्वय स्थापित हो।
- संरक्षण में स्थानीय समुदायों का सहयोग जरूरी है।
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वन्यजीव सप्ताह 2025 की मुख्य विशेषताएं:
इस सप्ताह के दौरान पर्यावरण मंत्री द्वारा मानव-वन्यजीव संघर्ष और प्रजाति संरक्षण से जुड़े पाँच राष्ट्रीय स्तर के प्रोजेक्ट शुरू किए गए:
1. प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन (फेज-II): मीठे पानी और समुद्री दोनों तरह की डॉल्फ़िन की सुरक्षा पर केंद्रित।
2. प्रोजेक्ट स्लॉथ बेयर: आलसी भालुओं (स्लॉथ बियर) के संरक्षण और मानव–भालू टकराव को कम करने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यान्वयन ढांचे के साथ शुरू किया गया।
3. प्रोजेक्ट घड़ियाल: भारत की संकटग्रस्त घड़ियाल प्रजाति की संख्या बढ़ाने का विशेष अभियान।
4. मानव-वन्यजीव संघर्ष पर उत्कृष्टता केंद्र (CoE-HWC), SACON में: अनुसंधान, नीति और जमीनी स्तर पर संघर्ष कम करने के समाधान के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र।
5. टाइगर रिज़र्व के बाहर के बाघ: संरक्षित क्षेत्रों से बाहर बढ़ती बाघों की गतिविधियों को देखते हुए, समुदाय की भागीदारी और परिदृश्य आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से संरक्षण रणनीति।
डॉल्फ़िन के बारे में
भारत में मीठे पानी की दो प्रजातियाँ पाई जाती हैं:
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- गंगा नदी डॉल्फ़िन (Platanista gangetica)
- सिंधु नदी डॉल्फ़िन (Platanista minor)
- गंगा नदी डॉल्फ़िन (Platanista gangetica)
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संरक्षण स्थिति:
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- IUCN रेड लिस्ट: संकटग्रस्त (Endangered)
- भारतीय कानून: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के अंतर्गत संरक्षित
- IUCN रेड लिस्ट: संकटग्रस्त (Endangered)
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स्लॉथ बियर (Melursus ursinus) के बारे में:
स्लॉथ बियर भारतीय उपमहाद्वीप के लिए स्थानीय/स्थानिक (Endemic) प्रजाति है और यह भारत, श्रीलंका और नेपाल के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
संरक्षण स्थिति:
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- IUCN रेड लिस्ट: असुरक्षित (Vulnerable)
- भारतीय कानून: अनुसूची-I, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
- CITES: परिशिष्ट-I (Appendix I) – इनके किसी भी अंग का व्यापार पूरी तरह प्रतिबंधित
- IUCN रेड लिस्ट: असुरक्षित (Vulnerable)
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घड़ियाल (Gavialis gangeticus) के बारे में:
घड़ियाल एक अत्यधिक जलीय मगरमच्छ प्रजाति है, जो केवल भारतीय उपमहाद्वीप की नदियों - जैसे गंगा, चंबल, यमुना, गंडक, गिरवा, महानदी आदि में पाई जाती है।
संरक्षण स्थिति:
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- IUCN रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered)
- भारतीय कानून: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-I
- CITES: परिशिष्ट-I (Appendix I)
- IUCN रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered)
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मानव–वन्यजीव संघर्ष क्या है?
मानव–वन्यजीव संघर्ष वह स्थिति है जब मनुष्य और जंगली जानवरों के बीच ऐसा टकराव होता है जिसमें जान-माल की हानि, चोट, फसल का नुकसान, पशुधन का शिकार या संपत्ति को नुकसान होता है।
भारत में यह समस्या इन कारणों से बढ़ रही है:
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- आवास विखंडन और अतिक्रमण
- खेती और बुनियादी ढांचे का विस्तार
- वन्यजीव गलियारों का कम होना
- जलवायु परिवर्तन के कारण प्रजातियों के आवागमन के पैटर्न में बदलाव
- आवास विखंडन और अतिक्रमण
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भारत की घनी आबादी और जंगल किनारे रहने वाली समुदायों की आजीविका जंगल पर निर्भर होने से यह संघर्ष हाथी, तेंदुए, भालू और बड़े बिल्लियों जैसी प्रजातियों के साथ सबसे अधिक देखने को मिलता है।
निष्कर्ष:
वन्यजीव सप्ताह 2025 ने भारत के संरक्षण दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव की दिशा दिखाई। समुदाय आधारित और तकनीक समर्थित संरक्षण मॉडल को बढ़ावा देते हुए, इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि भारत की जैव विविधता की रक्षा सामूहिक प्रयास और सह-अस्तित्व की भावना से ही संभव है।