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Blog / 19 Dec 2025

डोपिंग पर WADA की रिपोर्ट

संदर्भ:

विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) ने 16 दिसंबर 2025 को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत को लगातार तीसरे वर्ष दुनिया में सबसे अधिक डोपिंग उल्लंघन करने वाला देश बताया है। वर्ष 2024 में भारत में एकत्र किए गए 7,113 नमूनों में से 260 नमूने डोपिंग के लिए पॉजिटिव पाए गए। यह रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है, जब भारत 2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी की तैयारी कर रहा है और 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी की महत्वाकांक्षा भी रखता है।

WADA रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:

      • वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक डोपिंग उल्लंघन भारत में दर्ज किए गए।
      • खेलवार आंकड़ों में एथलेटिक्स (76 मामले) सबसे आगे रहा, इसके बाद वेटलिफ्टिंग (43) और कुश्ती (29) का स्थान रहा।
      • अधिक डोपिंग उल्लंघन वाले अन्य देशों में फ्रांस (91), इटली (85), रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों में 76, जर्मनी (54) तथा चीन (43) शामिल हैं।
      • भारत 2022 और 2023 में भी वैश्विक डोपिंग उल्लंघन सूची में शीर्ष पर रहा था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह कोई एक बार की घटना नहीं बल्कि लगातार बनी रहने वाली समस्या है।

हाल की घटनाएं:

      • जुलाई 2025 में अंडर-23 कुश्ती चैंपियन और पेरिस ओलंपिक की क्वार्टर-फाइनलिस्ट रीतिका हुड्डा का डोप टेस्ट प्रतिबंधित पदार्थों के लिए पॉजिटिव पाया गया, जिसके बाद उन्हें अस्थायी रूप से निलंबित किया गया।
      • भारतीय विश्वविद्यालय खेलों के दौरान ऐसी रिपोर्टें सामने आईं कि एंटी-डोपिंग अधिकारियों की मौजूदगी के कारण कई खिलाड़ी प्रतियोगिता स्थलों पर जाने से बच रहे थे, जो खिलाड़ियों में भय, जागरूकता की कमी और कमजोर दंड व अनुपालन व्यवस्था को उजागर करता है।

भारत में डोपिंग के अधिक मामलों के कारण:

      • ताकत-आधारित खेलों का वर्चस्व: एथलेटिक्स, वेटलिफ्टिंग और कुश्ती जैसे खेल मुख्य रूप से ताकत और सहनशक्ति पर निर्भर होते हैं, जिससे इनमें एनाबॉलिक स्टेरॉयड जैसे प्रतिबंधित पदार्थों के दुरुपयोग की आशंका अधिक रहती है।
      • रोजगार और प्रदर्शन का दबाव: सरकारी नौकरियां, नकद पुरस्कार और सामाजिक उन्नति को खेलों में सफलता से जोड़े जाने के कारण, विशेषकर युवा खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन के लिए जोखिम भरे कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं।
      • जमीनी स्तर पर जागरूकता की कमी: प्रतिबंधित पदार्थों की सूची, चिकित्सीय उपयोग छूट (TUE) की प्रक्रिया और दूषित या मिलावटी सप्लीमेंट्स के खतरों के बारे में खिलाड़ियों को पर्याप्त जानकारी नहीं होती।
      • अनियंत्रित सप्लीमेंट बाजार: बिना पर्याप्त जांच के पोषण सप्लीमेंट्स आसानी से उपलब्ध हैं, जिनमें सही लेबलिंग और गुणवत्ता नियंत्रण का अभाव रहता है, जिससे अनजाने में डोपिंग के मामले बढ़ जाते हैं।
      • संस्थागत सीमाएं: परीक्षणों की संख्या बढ़ने के बावजूद, खिलाड़ियों की बड़ी और भौगोलिक रूप से बिखरी हुई संख्या के कारण राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) की निगरानी और प्रवर्तन क्षमता पर निरंतर दबाव बना रहता है।

भारत के लिए इसके प्रभाव:

      • प्रतिष्ठा को क्षति: एक जिम्मेदार और भरोसेमंद खेल राष्ट्र के रूप में भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को गंभीर नुकसान पहुंचता है।
      • मेजबानी की महत्वाकांक्षाओं पर प्रभाव: बार-बार सामने आने वाले डोपिंग मामलों से बड़े अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों की मेजबानी करने की भारत की संभावनाएं कमजोर पड़ सकती हैं।
      • खिलाड़ियों के करियर पर संकट: विशेषकर युवा खिलाड़ियों पर लंबे समय तक प्रतिबंध लगने की आशंका रहती है, जिससे उनका करियर बाधित होता है और देश को उभरती प्रतिभाओं का नुकसान होता है।
      • अंतरराष्ट्रीय निगरानी में वृद्धि: अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) सहित वैश्विक खेल संस्थाएं भारत के एंटी-डोपिंग ढांचे पर कड़ी नजर रख रही हैं और भारत से अपनी व्यवस्थाओं में सुधार की अपेक्षा कर रही हैं।

विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी के बारे में:

विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो खेलों में डोपिंग के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को प्रोत्साहित करता है, उनका समन्वय करता है और उनकी निगरानी करता है।

स्थापना और संरचना:

      • स्थापना: 1999
      • स्थापना का आधार: अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) और विश्व भर की सरकारों के बीच साझेदारी
      • मुख्यालय: मॉन्ट्रियल, कनाडा
      • उद्देश्य: खिलाड़ियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा करना तथा खेलों में निष्पक्षता, ईमानदारी और स्वच्छ प्रतिस्पर्धा को सुनिश्चित करना

निष्कर्ष:

वैश्विक डोपिंग उल्लंघनों में भारत का बार-बार शीर्ष पर बने रहना यह स्पष्ट करता है कि यह समस्या केवल कुछ गिने-चुने मामलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रणालीगत कमजोरियों से जुड़ी हुई है। हालांकि अधिक परीक्षणों से डोपिंग पकड़ में आ रही है, लेकिन स्थायी सुधार के लिए जमीनी स्तर पर जागरूकता और शिक्षा, संस्थागत क्षमता में वृद्धि, सप्लीमेंट बाजार पर कड़ा नियंत्रण और नैतिक सुधार आवश्यक हैं। यदि भारत एक वैश्विक खेल शक्ति बनना चाहता है, तो डोपिंग के खिलाफ लड़ाई को शासन और ईमानदारी से जुड़ी एक केंद्रीय चुनौती के रूप में स्वीकार करना होगा।