सन्दर्भ:
भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) ने हाल ही में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) पर आधारित भारत के महत्वपूर्ण सांख्यिकीय आंकड़े (Vital Statistics of India 2023) रिपोर्ट जारी की है। नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) जन्म और मृत्यु जैसे महत्वपूर्ण घटनाओं का सतत, स्थायी और अनिवार्य रिकॉर्ड है, जो जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के अंतर्गत किया जाता है।
मुख्य प्रमुख बिंदु:
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सूचकांक |
मान / प्रवृत्ति |
टिप्पणी / अवलोकन |
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पंजीकृत जन्म |
2.52 करोड़ |
वर्ष 2022 की तुलना में लगभग 2.32 लाख कम |
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पंजीकृत मृत्यु |
86.6 लाख |
2022 (86.5 लाख) से थोड़ा अधिक |
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जन्म पंजीकरण कवरेज |
98.4 % |
लगभग पूर्ण; मज़बूत पंजीकरण प्रणाली का संकेत |
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संस्थागत जन्म (Institutional Births) |
74.7 % |
लगभग तीन-चौथाई जन्म स्वास्थ्य संस्थानों में हुए |
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जन्म के समय लिंग अनुपात (SRB) |
न्यूनतम: झारखंड (899), बिहार (900) अधिकतम: अरुणाचल प्रदेश (1,085), नागालैंड (1,007) |
जन्म के समय लिंग संतुलन में लगातार क्षेत्रीय असमानता |
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समय पर पंजीकरण (21 दिनों के भीतर) |
11 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में 90% से अधिक — गुजरात, तमिलनाडु, गोवा, पंजाब आदि। 5 राज्य 80–90% के बीच — ओडिशा, मिज़ोरम, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश। 14 राज्य 50–80% के बीच — कई बड़े राज्य पीछे हैं, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल। |
विश्लेषण और अवलोकन:
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- भारत का जनसांख्यिकीय संक्रमण जारी:
पंजीकृत जन्मों में गिरावट यह दर्शाती है कि भारत धीरे-धीरे जनसंख्या स्थिरीकरण की दिशा में बढ़ रहा है। इसके पीछे शहरीकरण, शिक्षा के बढ़ते स्तर और गर्भनिरोधक साधनों तक बेहतर पहुंच जैसे कारक हैं। - स्वास्थ्य प्रणाली और संस्थागत प्रसव:
उच्च प्रतिशत में संस्थागत जन्म स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच को दर्शाता है। हालांकि कुछ राज्यों में अभी भी खाई बनी हुई है, जिन्हें मातृ एवं शिशु मृत्यु दर घटाने के लिए पाटना आवश्यक है। - लिंग पक्षपात और सामाजिक चुनौतियाँ:
कई राज्यों में लगातार निम्न लिंग अनुपात (Sex Ratio at Birth) इस बात का संकेत है कि लिंग आधारित भ्रूण हत्या की प्रवृत्ति अब भी विद्यमान है।
इससे PCPNDT अधिनियम (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques Act) के सख्त क्रियान्वयन और गहरे सामाजिक सुधार प्रयासों की आवश्यकता रेखांकित होती है।
- भारत का जनसांख्यिकीय संक्रमण जारी:
नीति निहितार्थ (Policy Implications):
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- डेटा प्रविष्टि में त्रुटियों से बचने हेतु डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को सशक्त बनाया जाए।
- विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियानों को बढ़ाया जाए।
- CRS डेटा को स्वास्थ्य व कल्याण योजनाओं से जोड़ा जाए ताकि संवेदनशील आबादी की पहचान की जा सके।
- राज्य-विशिष्ट रणनीतियाँ अपनाई जाएँ ताकि जन्म के समय लिंग अनुपात (SRB) सुधरे और अधूरा पंजीकरण घटे।
- मृत्यु के कारणों का चिकित्सकीय प्रमाणन (Medical Certification) अनिवार्य किया जाए, ताकि स्वास्थ्य नीतियों की योजना बेहतर ढंग से बन सके।
- डेटा प्रविष्टि में त्रुटियों से बचने हेतु डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को सशक्त बनाया जाए।
निष्कर्ष:
CRS 2023 रिपोर्ट भारत के जनसांख्यिकीय और स्वास्थ्य परिदृश्य को समझने का एक महत्वपूर्ण साधन है। देश ने पंजीकरण कवरेज में उल्लेखनीय प्रगति की है, परंतु समयबद्धता, डेटा गुणवत्ता और लैंगिक समानता के क्षेत्र में अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। राज्य-स्तरीय असमानताओं को दूर करना और संस्थागत क्षमता को मजबूत करना आवश्यक है ताकि नागरिक पंजीकरण प्रणाली केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता न रहे, बल्कि साक्ष्य-आधारित शासन और समावेशी विकास की ठोस नींव बन सके।

