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Blog / 03 Mar 2025

थाईलैंड-चीन निर्वासन प्रकरण: उइगर समुदाय पर बढ़ी वैश्विक चिंता

संदर्भ:

हाल ही में थाईलैंड में हिरासत में रखे गए लगभग 40 उइगर पुरुषों के एक समूह को अंतरराष्ट्रीय विरोध के बावजूद चीन निर्वासित कर दिया गया। मानवाधिकार संगठनों के अनुसार चीन लौटने के बाद इन उइगर पुरुषों को कठोर दंड, मनमानी हिरासत और यहां तक कि मृत्युदंड जैसी गंभीर सज़ाओं का सामना करना पड़ सकता है।

उइगरों के बारे में:

·        उइगर एक तुर्की भाषी मुस्लिम समुदाय है, जो चीन के पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग में निवास करता है।
पिछले कुछ दशकों में, उइगर समुदाय के खिलाफ चीनी सरकार पर व्यापक दमन अभियान चलाने के आरोप लगे हैं। इनमें जबरन श्रम, जबरन नसबंदी, मनमानी गिरफ्तारी और सांस्कृतिक दमन जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।

·        अनुमानों के अनुसार, दस लाख से अधिक उइगरों को चीन के "पुनर्शिक्षा शिविरों" में हिरासत में रखा गया है, जहाँ उन्हें अमानवीय व्यवहार, जबरन वैचारिक शिक्षा (Ideological Re-education) और अपनी सांस्कृतिक पहचान को मिटाने के प्रयासों का सामना करना पड़ता है।

थाईलैंड का पक्ष :

·        एक दशक से अधिक समय से, थाईलैंड ने उइगर बंदियों के संबंध में एक जटिल कूटनीतिक स्थिति को संभाला है, अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार चीन और अपने दीर्घकालिक सैन्य सहयोगी संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने संबंधों को संतुलित किया है।

चीन का पक्ष :

·        चीन ने उइगरों को आतंकवादी के रूप में वर्गीकृत किया है, लेकिन निर्वासित व्यक्तियों को आतंकवाद से जोड़ने वाले सबूत पेश नहीं किए हैं।

हालांकि उइगर कार्यकर्ता और पश्चिमी सरकारें तर्क देती हैं कि पुरुष निर्दोष हैं और अगर उन्हें वापस भेजा जाता है तो उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है।

हालिया घटनाक्रम :

·        दिसंबर 2024 में थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच आयोजित बैठक के बाद, उइगर बंदियों के निर्वासन का मुद्दा द्विपक्षीय वार्ता के केंद्र में गया। निर्वासन के फैसले को थाईलैंड द्वारा चीन के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की एक कूटनीतिक पहल के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, इस फैसले की अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने आलोचना की है, जिन्होंने इस कदम से जुड़े संभावित मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर चिंता जताई है।

आगे की राह :

·        निर्वासित व्यक्तियों के चीन पहुंचने के बाद, उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। चीनी अधिकारियों ने अब तक उनकी स्थिति या वर्तमान हालात को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी साझा नहीं की है। उइगर समुदाय से जुड़े मानवाधिकार उल्लंघनों की पूर्व की रिपोर्टों को देखते हुए, उनके संभावित कारावास या जबरन श्रम में लगाए जाने को लेकर गंभीर आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं।

·        अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने चीन से आग्रह किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप, निर्वासित व्यक्तियों की सुरक्षा और उनके साथ निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करे। साथ ही, थाईलैंड की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं और भविष्य में ऐसे संवेदनशील मामलों को मानवाधिकारों एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अधिक सावधानी और पारदर्शिता के साथ संभालने की अपील की जा रही है।