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Blog / 30 Aug 2025

यूडीआईएसई+ रिपोर्ट

संदर्भ:

शिक्षा मंत्रालय (MoE) ने 28 अगस्त 2025 को यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) 2024–25 की रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में 3 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों के प्रारंभिक शिक्षा नामांकन में लगभग 25 लाख की कमी दर्ज की गई है। यह गिरावट भारत की बुनियादी शिक्षा (Foundational Learning) की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

मुख्य निष्कर्ष:

  • प्रारंभिक स्तर पर गिरावट: आंगनवाड़ी, प्री-स्कूल और कक्षा 1–5 में नामांकन 2023–24 के 12.09 करोड़ से घटकर 2024–25 में 11.84 करोड़ हो गया। यानी लगभग 25 लाख बच्चों की कमी दर्ज हुई।
  • कुल नामांकन में कमी: कक्षा 1–12 तक का कुल नामांकन 11 लाख घटकर अब 24.69 करोड़ रह गया है। यह 2018–19 के बाद का सबसे कम स्तर है।
  • जनसांख्यिकीय परिवर्तन: जन्मदर में कमी (कुल प्रजनन दर – TFR अब 1.91) को इस गिरावट का प्रमुख कारण माना जा रहा है।
  • विपरीत प्रवृत्ति: मध्य स्तर (कक्षा 6–8) में 6 लाख और माध्यमिक स्तर (कक्षा 9–12) में 8 लाख छात्रों की वृद्धि दर्ज हुई है।
  • ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो (GER): सभी स्तरों पर सुधार दिखा है, साथ ही ड्रॉपआउट दर में कमी आई है।
  • शिक्षकछात्र अनुपात: 2014–15 की तुलना में सभी स्तरों पर उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

UDISE+ Report

नामांकन में गिरावट के कारण:

  • रिपोर्ट के अनुसार बच्चों की संख्या घटने का मुख्य कारण जन्मदर में कमी है। भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) वर्ष 2021 में घटकर प्रति महिला 1.91 हो गई, जो 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर (replacement level) से नीचे है।
    साथ ही, बड़ी संख्या में बच्चे प्री-प्राइमरी की स्वतंत्र निजी संस्थाओं (standalone private institutions) में पढ़ रहे हैं। इस कारण सरकारी आँकड़ों और आधिकारिक रिपोर्ट में नामांकन कम दिखाई दे रहा है।

सकारात्मक पहलू:

  • शिक्षकछात्र अनुपात में सुधार हुआ है। प्रारंभिक स्तर पर हर 10 बच्चों पर 1 शिक्षक और मध्य स्तर पर हर 17 बच्चों पर 1 शिक्षक मौजूद है।
  • ड्रॉपआउट दर सभी स्तरों पर कम हुई है। खासकर माध्यमिक स्तर पर यह 10.9% से घटकर 8.2% रह गई है।

UDISE+ रिपोर्ट के बारे में:

  • यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) शिक्षा मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट है, जो भारत की शिक्षा प्रणाली का विस्तृत, स्कूल-स्तरीय डेटा उपलब्ध कराती है।
  • इसमें नामांकन, स्कूल का ढांचा, शिक्षकछात्र अनुपात और छात्रों की सामाजिकजनसांख्यिकीय जानकारी (जैसे लिंग, जाति: SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक) शामिल होती है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को ध्यान में रखते हुए इसमें अब डिजिटल लर्निंग, सहपाठी बातचीत (peer interaction) और इंटरनेट की उपलब्धता से जुड़े नए आंकड़े भी शामिल किए जाते हैं।
  • भारतभर के स्कूल ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिए स्वेच्छा से अपने आँकड़े अपलोड करते हैं।

निष्कर्ष:

UDISE+ 2024–25 रिपोर्ट एक मिश्रित तस्वीर पेश करती है। सकारात्मक पहलुओं में बच्चों की रुकावट (retention) में सुधार और शिक्षकछात्र अनुपात में उल्लेखनीय प्रगति शामिल है। लेकिन इसके साथ ही प्रारंभिक कक्षाओं में नामांकन में आई गंभीर गिरावट चिंता का विषय है। ऐसे में नीति-निर्माताओं के लिए आवश्यक है कि वे दीर्घकालिक जनसांख्यिकीय परिवर्तनों का गहराई से अध्ययन करें, प्री-प्राइमरी शिक्षा में समान भागीदारी (inclusivity) सुनिश्चित करें और ऐसी ठोस रणनीतियाँ विकसित करें जिससे हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण बुनियादी शिक्षा उपलब्ध हो सके, विशेष रूप से उस समय, जब भारत 2026 की नई जनगणना की तैयारी कर रहा है।