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Blog / 30 Sep 2025

भारत का कोल्ड डेजर्ट यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल – 13वां स्थल | Dhyeya IAS

सन्दर्भ:

हिमाचल प्रदेश के कोल्ड डेज़र्ट बायोस्फीयर रिज़र्व (स्पीति घाटी, लाहौल-स्पीति ज़िला) को औपचारिक रूप से यूनेस्को के विश्व जैवमंडल अभयारण्य नेटवर्क (WNBR) में सम्मिलित किया गया है। यह नामांकन मानव और जैवमंडल (MAB) कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया।

    • यह औपचारिक घोषणा 26–28 सितम्बर 2025 को चीन के हांगझोऊ में आयोजित विश्व जैवमंडल अभयारण्य कांग्रेस के दौरान हुई 37वीं MAB अंतरराष्ट्रीय समन्वय परिषद (ICC) बैठक में की गई।
    • इस सम्मिलन के साथ ही हिमाचल का शीत मरुस्थलीय क्षेत्र भारत का 13वाँ ऐसा जैवमंडल अभयारण्य बन गया है जिसे यूनेस्को वैश्विक नेटवर्क में स्थान प्राप्त हुआ।

महत्त्व:

1.     वैश्विक संरक्षण की मान्यता
हिमाचल के शीत मरुस्थल को यूनेस्को के नेटवर्क में सम्मिलित किए जाने से इसे एक संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होती है, जिसे संरक्षण एवं सतत प्रबंधन की आवश्यकता है।

2.     संरक्षण और सतत विकास
जैवमंडल का कोरबफरट्रांजिशन मॉडल पारिस्थितिक अखंडता को बनाए रखने के साथ-साथ मानव गतिविधियों को बफर व संक्रमण क्षेत्रों में सतत रूप से जारी रखने की अनुमति देता है।

3.     जलवायु सहनशीलता (क्लाइमेट रेज़िलियंस)
उच्च हिमालयी शीत मरुस्थल जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यंत संवेदनशील हैंहिमनदों का पीछे हटना, वर्षा-पैटर्न में परिवर्तन, तापमान की चरम स्थितियाँ। यूनेस्को जैवमंडल अभयारण्य का दर्जा मिलने से अनुसंधान, निगरानी और अनुकूलन रणनीतियों को प्रोत्साहन मिलेगा।

4.     जैव विविधता संरक्षण
दुर्लभ प्रजातियों (जैसे हिम तेंदुआ) के लिए आवास संरक्षण, औषधीय पौधों का संरक्षण तथा मृदा अपरदन, अतिक्रमण चराई आदि से पारिस्थितिक क्षरण को रोकना सुनिश्चित होगा।

About Cold Desert Biosphere Reserve

कोल्ड डेज़र्ट बायोस्फीयर रिज़र्व के बारे में:

यह जैवमंडल अभयारण्य पश्चिमी हिमालय में हिमाचल प्रदेश के अंतर्गत स्थित है। इसे अगस्त 2009 में आधिकारिक रूप से स्थापित किया गया था।

मुख्य विशेषताएँ एवं भौगोलिक विस्तार

    • क्षेत्रफल: लगभग 7,770 वर्ग किलोमीटर।
    • ऊँचाई: 3,300 मीटर से लेकर लगभग 6,600 मीटर तक (ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र)।
    • प्रमुख पारिस्थितिक क्षेत्र: पिन वैली राष्ट्रीय उद्यान, किब्बर वन्यजीव अभयारण्य, चंद्रताल आर्द्रभूमि तथा सरचू मैदान।
    • वनस्पति: इस क्षेत्र में सैकड़ों पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं—650 से अधिक औषधीय जड़ी-बूटियाँ, लगभग 40 झाड़ी प्रजातियाँ और 17 वृक्ष प्रजातियाँ। यह क्षेत्र पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सोवा-रिग्पा/अम्ची के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।
    • जीव-जंतु: प्रमुख प्रजातियों में हिम तेंदुआ, नीलगाय (भरलशिकार आधार), हिमालयी आइबेक्स, तिब्बती भेड़िया, लाल लोमड़ी तथा स्वर्ण गरुड़, हिमालयी स्नोकॉक जैसे पक्षी सम्मिलित हैं।

यूनेस्को का मानव एवं जैवमंडल (MAB) कार्यक्रम:

यूनेस्को ने 1971 में मानव एवं जैवमंडल (MAB) कार्यक्रम के अंतर्गत विश्व जैवमंडल अभयारण्य नेटवर्क (WNBR) की स्थापना की। इसका उद्देश्य जैव विविधता संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देना है।

    • इसमें राष्ट्रीय सरकारें स्थल नामित करती हैं और MAB की अंतरराष्ट्रीय समन्वय परिषद (ICC) इन प्रस्तावों को स्वीकार कर वैश्विक नेटवर्क में सम्मिलित करती है।
    • इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता, ज्ञान-साझाकरण और क्षमता निर्माण संभव होता है।

निष्कर्ष:

हिमाचल के शीत मरुस्थल (स्पीति क्षेत्र/उच्च हिमालयी शीत मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र) का यूनेस्को विश्व जैवमंडल अभयारण्य नेटवर्क में सम्मिलन भारत के पर्यावरण एवं संरक्षण क्षेत्र में एक मील का पत्थर है। यह कदम न केवल नाज़ुक पारिस्थितिक तंत्रों और जलवायु सहनशीलता के संरक्षण की दिशा में प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि चरम भौगोलिक परिस्थितियों में सतत आजीविकाओं के समर्थन को भी बल प्रदान करता है।