सन्दर्भ:
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और क्लाइमेट एंड क्लीन एयर कोएलिशन (CCAC) ने COP30 में आयोजित ग्लोबल मीथेन प्लेज (GMP) की मंत्रीस्तरीय बैठक के दौरान ग्लोबल मीथेन स्टेटस रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि 2021 में GMP की शुरुआत के बाद कुछ उल्लेखनीय प्रगति होने के बावजूद, विश्व अब भी 2020 के स्तर की तुलना में 2030 तक मीथेन उत्सर्जन में 30% की कमी लाने के लक्ष्य को हासिल करने से काफी दूर है।
मीथेन क्यों महत्वपूर्ण है?
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- मीथेन अकेले ही वर्तमान वैश्विक तापमान वृद्धि का लगभग एक-तिहाई हिस्सा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।
- यह एक अत्यधिक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, जिसकी 20 वर्षों में CO₂ की तुलना में लगभग 80 गुना अधिक तापीय क्षमता होती है।
- इसी कारण, मीथेन उत्सर्जन में त्वरित कमी निकट भविष्य में तापमान वृद्धि को धीमा करने और पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के सबसे प्रभावी उपायों में से एक मानी जाती है।
- मीथेन अकेले ही वर्तमान वैश्विक तापमान वृद्धि का लगभग एक-तिहाई हिस्सा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।
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ग्लोबल मीथेन प्लेज (GMP) के विषय में:
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- ग्लोबल मीथेन प्लेज एक वैश्विक प्रतिबद्धता है जिसमें 159 देश शामिल हैं।
- लक्ष्य : 2020 के स्तर से 2030 तक वैश्विक मीथेन उत्सर्जन में कम से कम 30% की कटौती।
- इसे COP26 (2021) में यूरोपीय संघ और अमेरिका द्वारा शुरू किया गया था।
- इसका फोकस मुख्यतः उच्च-उत्सर्जन वाले क्षेत्रों पर है:
- फॉसिल ईंधन
- कृषि
- कचरा प्रबंधन (वेस्ट सेक्टर)
- फॉसिल ईंधन
- ग्लोबल मीथेन प्लेज एक वैश्विक प्रतिबद्धता है जिसमें 159 देश शामिल हैं।
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COP30 में मंत्रीस्तरीय प्रतिक्रिया:
बैठक के दौरान देशों ने यह सुनिश्चित करने पर सहमति जताई:
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- मीथेन उत्सर्जन से जुड़े आंकड़ों की निगरानी, रिपोर्टिंग और पारदर्शिता को और मजबूत करना।
- उच्च उत्सर्जन वाले क्षेत्रों में मीथेन कम करने वाली तकनीकों और समाधानों का तेज़ी से विस्तार करना।
- विकासशील देशों को मीथेन कटौती के लिए अधिक वित्तीय और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना।
- मीथेन उत्सर्जन में कमी को देशों की राष्ट्रीय जलवायु रणनीतियों (NDCs) में व्यवस्थित रूप से शामिल करना।
- मीथेन उत्सर्जन से जुड़े आंकड़ों की निगरानी, रिपोर्टिंग और पारदर्शिता को और मजबूत करना।
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कार्यावन्यन में चुनौतियाँ:
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- मीथेन उत्सर्जन से जुड़े आंकड़ों की निगरानी, रिपोर्टिंग और पारदर्शिता को और मजबूत करना।
- उच्च उत्सर्जन वाले क्षेत्रों में मीथेन कम करने वाली तकनीकों और समाधानों का तेज़ी से विस्तार करना।
- विकासशील देशों को मीथेन कटौती के लिए अधिक वित्तीय और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना।
- मीथेन उत्सर्जन में कमी को देशों की राष्ट्रीय जलवायु रणनीतियों (NDCs) में व्यवस्थित रूप से शामिल करना।
- मीथेन उत्सर्जन से जुड़े आंकड़ों की निगरानी, रिपोर्टिंग और पारदर्शिता को और मजबूत करना।
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मीथेन कटौती के अनुमानित लाभ:
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- प्रभावी मीथेन कटौती से मध्य शताब्दी तक लगभग 0.2°C अतिरिक्त तापमान वृद्धि को रोका जा सकता है।
- 2030 तक हर वर्ष 1,80,000 से अधिक समयपूर्व मौतों को टाला जा सकता है।
- मीथेन कम होने से प्रतिवर्ष करीब 1.9 करोड़ टन कृषि फसलें सुरक्षित रह सकती हैं।
- वैश्विक स्तर पर 330 अरब डॉलर से अधिक का आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
- प्रभावी मीथेन कटौती से मध्य शताब्दी तक लगभग 0.2°C अतिरिक्त तापमान वृद्धि को रोका जा सकता है।
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भारत के लिए निहितार्थ:
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- भारत, GMP का हस्ताक्षरकर्ता न होते हुए भी, दुनिया के प्रमुख मीथेन उत्सर्जकों में से एक है—मुख्यतः:
- पशुपालन व धान की खेती
- ठोस कचरा और अपशिष्ट जल
- पशुपालन व धान की खेती
- रिपोर्ट भारत के लिए निम्न क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता रेखांकित करती है:
- कृषि प्रथाओं का आधुनिकीकरण।
- वेस्ट-टू-एनर्जी, बायोगैस और बायो-CNG कार्यक्रमों का विस्तार।
- मीथेन मापन और निगरानी प्रणालियों को मजबूत करना।
- अंतरराष्ट्रीय वित्त और तकनीक का उपयोग कर मीथेन कटौती को बढ़ावा देना।
- कृषि प्रथाओं का आधुनिकीकरण।
- भारत, GMP का हस्ताक्षरकर्ता न होते हुए भी, दुनिया के प्रमुख मीथेन उत्सर्जकों में से एक है—मुख्यतः:
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मीथेन में कटौती से भारत को लाभ:
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- यह राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण सहायक सिद्ध होगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेषकर कृषि एवं पशुपालन आधारित अर्थव्यवस्था में, आजीविका के अवसरों में सुधार की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
- साथ ही, मीथेन कटौती से सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा जलवायु स्थिरता—दोनों क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
- यह राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण सहायक सिद्ध होगा।
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निष्कर्ष:
COP30 की अपील यह स्पष्ट करती है कि मीथेन में त्वरित कटौती निकट भविष्य में वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है। UNEP-CCAC की नई रिपोर्ट उपलब्ध प्रगति को स्वीकार करती है, पर साथ ही चेतावनी देती है कि दुनिया अभी भी ग्लोबल मीथेन प्लेज के लक्ष्य से काफी दूर है। उपलब्ध प्रौद्योगिकियाँ और बढ़ती वैश्विक प्रतिबद्धता को देखते हुए, आने वाले वर्ष मीथेन कटौती के लिए अत्यंत निर्णायक होंगे।

