संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा जारी वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भले ही भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के वास्तविक प्रवाह में हल्की गिरावट आई हो, फिर भी वह दुनिया के शीर्ष निवेश गंतव्यों में अपनी स्थिति मजबूत करने में सफल रहा है।
मुख्य बिंदु:
• FDI प्रवाह:
o भारत को वर्ष 2024 में $27.6 बिलियन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मिला, जो 2023 के $28.1 बिलियन से थोड़ा कम है।
o इसके बावजूद भारत वैश्विक स्तर पर एक स्थान ऊपर चढ़कर 15वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि 2023 में यह 16वें स्थान पर था।
• ग्रीनफील्ड निवेश और परियोजना वित्त:
o भारत 2024 में कुल 1,080 नई ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के साथ इस क्षेत्र में दुनिया में चौथे स्थान पर रहा।
o अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों के मामले में भारत शीर्ष पांच देशों में शामिल रहा, जहां 97 समझौंतो की घोषणा हुई।
o यह वृद्धि दर्शाती है कि निवेशकों का भारत पर भरोसा बना हुआ है, भले ही वास्तविक निवेश में थोड़ी गिरावट आई हो।
• वैश्विक परिप्रेक्ष्य:
o अमेरिका ने FDI प्राप्त करने के मामले में अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा, जहां निवेश 2023 के $233 बिलियन से बढ़कर 2024 में $279 बिलियन हो गया।
o अमेरिका ने ग्रीनफील्ड परियोजनाओं और परियोजना वित्त सौदों में भी भारत से दो गुना अधिक प्रदर्शन किया।
o चीन में FDI प्रवाह में 29% की भारी गिरावट आई, जिससे वह 2023 में दूसरे स्थान से फिसलकर 2024 में चौथे स्थान पर आ गया।
o ASEAN देशों को FDI में 10% की वृद्धि मिली, जिससे कुल निवेश $225 बिलियन पहुंच गया — यह अब तक का सर्वोच्च स्तर है।
o पश्चिम एशिया में निवेश प्रवाह स्थिर रहा, और यूएई को विशेष रूप से मजबूत निवेश प्राप्त हुआ।
• भारत का बाह्य विदेशी प्रत्यक्ष निवेश:
o भारत के विदेशी निवेश 2024 में बढ़कर $24 बिलियन हो गए, जो 2023 में $14 बिलियन थे।
o इस वृद्धि के साथ भारत वैश्विक स्तर पर बाहर निवेश करने वाले देशों की सूची में 23वें से 18वें स्थान पर पहुंच गया।
o भारतीय निवेशकों द्वारा 20% अधिक ग्रीनफील्ड परियोजनाएं शुरू की गईं, जिससे भारत शीर्ष 10 वैश्विक निवेशक देशों में शामिल हो गया।
• क्षेत्रीय ध्यान केंद्रित:
o भारत के बाह्य निवेश मुख्य रूप से सेमीकंडक्टर और बेसिक मेटल्स क्षेत्रों पर केंद्रित रहे।
o भारत और विदेशों दोनों में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और बैटरी असेंबली से जुड़ी परियोजनाओं की घोषणा की गई, जो ग्रीन और उन्नत मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में कदम है।
UNCTAD के बारे में:
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) की स्थापना 1964 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक स्थायी अंतर-सरकारी संगठन के रूप में की गई थी।
• इसका मुख्य उद्देश्य विकासशील, अल्पविकसित और संक्रमणशील अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक अर्थव्यवस्था में समावेशित करने में सहायता प्रदान करना है।
• यह देशों को विकास से जुड़ी चुनौतियों को समझने, आर्थिक विविधीकरण करने और वित्तीय जोखिमों का प्रभावी प्रबंधन करने में सहयोग करता है।
• UNCTAD के 195 सदस्य राष्ट्र हैं, जिनमें भारत भी शामिल है। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
• इसके प्रमुख प्रकाशनों में ट्रेड एंड डेवलपमेंट रिपोर्ट, वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट और द लिस्ट डेवलप्ड कंट्रीज़ रिपोर्ट शामिल हैं।
निष्कर्ष:
हालांकि भारत में FDI के वास्तविक प्रवाह में मामूली गिरावट देखी गई, लेकिन ग्रीनफील्ड परियोजनाओं और बाहरी निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है। यह भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं, विशेषकर उच्च प्रौद्योगिकी और हरित क्षेत्रों में, बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। परियोजना-स्तरीय निवेशों और बाहरी निवेश के विस्तार से यह संकेत मिलता है कि वैश्विक पूंजी प्रवाह में भारत की स्थिति मजबूत और दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक बनी हुई है।