संदर्भ:
हाल ही में युगांडा ने इबोला सूडान वायरस रोग (SVD) के प्रकोप के समाप्त होने की आधिकारिक घोषणा की है। यह घोषणा तब की गई जब लगातार 42 दिनों तक इस वायरस के किसी नये मामले की पुष्टि नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि यह घोषणा राजधानी कंपाला में वायरस का पता चलने के तीन महीने से भी कम समय बाद की गई है।
सूडान वायरस रोग के बारे में:
सूडान इबोला वायरस, इबोलावायरस वंश की एक प्रजाति है, जो गंभीर और जानलेवा रक्तस्रावी बुखार (हेमरेजिक फीवर) का कारण बनती है। यह बीमारी मुख्य रूप से अफ्रीकी महाद्वीप में समय-समय पर प्रकोप के रूप में सामने आती है।
सूडान वायरस रोग (SVD) न केवल इंसानों को, बल्कि बंदर, गोरिल्ला और चिंपांज़ी जैसे कुछ जानवरों को भी संक्रमित करता है। सूडान इबोला वायरस से होने वाली बीमारी को सूडान वायरस रोग (एसवीडी) कहा जाता है।
इबोला के बारे में:
इबोला एक गंभीर और जानलेवा वायरल बुखार है जो शरीर की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इसके लक्षण शुरुआत में फ्लू जैसे होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे गंभीर हो सकते हैं, जैसे:
• तेज़ रक्तस्राव (खून बहना)
• मानसिक और तंत्रिका संबंधी समस्याएं
• तेज़ उल्टी
इबोला के प्रकार:
इबोला के चार प्रमुख प्रकार होते हैं जो इंसानों को प्रभावित करते हैं। इन वायरसों का नाम उस स्थान के आधार पर रखा गया है, जहां इन्हें पहली बार पहचाना गया था। इन वायरसों की विभिन्न प्रकार की गंभीरता और मृत्यु दर होती है:
• बुंडीबुग्यो इबोला वायरस (BDBV): यह वायरस बुंडीबुग्यो वायरस रोग का कारण बनता है। इससे होने वाली मृत्यु दर अपेक्षाकृत कम होती है।
• सूडान इबोला वायरस (SVD): यह वायरस अत्यधिक घातक होता है और इससे मृत्यु दर अधिक होती है।
• ताई फॉरेस्ट इबोला वायरस (TAFV): यह इबोला का सबसे दुर्लभ प्रकार है।
• जैरे इबोला वायरस (EVD): यह वायरस सबसे आम और सबसे जानलेवा होता है।
इबोला के प्रकोप के कारण:
इबोला का फैलाव मुख्य रूप से पश्चिम, मध्य और पूर्वी अफ्रीका में होता है। यह वायरस आमतौर पर इनसे फैलता है:
• हिरण जैसे जंगली जानवर (एंटीलोप)
• फल खाने वाले चमगादड़
• गैर-मानव प्राइमेट जैसे बंदर और गोरिल्ला
सूडान वायरस रोग के लक्षण:
सूडान वायरस रोग (SVD) के लक्षण सामान्यतः अचानक शुरू होते हैं। प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और गले में खराश शामिल हो सकते हैं। इन लक्षणों के बाद, रोगी में आमतौर पर उल्टी, दस्त, त्वचा पर लाल चकत्ते और किडनी तथा लीवर की कार्यक्षमता में कमी देखी जाती है। कुछ मामलों में, बीमारी के कारण आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव भी हो सकता है, जो मरीज की स्थिति को और गंभीर बना देता है।
सूडान वायरस रोग का संचरण:
सूडान वायरस रोग (SVD) का संचरण मुख्य रूप से उस व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थों के सीधे संपर्क से होता है, जो संक्रमित है या जिसकी संक्रमण से मृत्यु हो चुकी है। इसका संचरण निम्नलिखित तरीकों से हो सकता है:
• टूटी हुई त्वचा या श्लेष्म झिल्ली (जैसे आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से संपर्क।
• रक्त और अन्य शारीरिक तरल पदार्थों (जैसे मूत्र, लार, पसीना, मल, उल्टी, स्तन दूध, एमनियोटिक द्रव) के संपर्क में आना।
• दूषित वस्त्र, बिस्तर, सुइयाँ और चिकित्सा उपकरणों के संपर्क में आना।
• एसवीडी से ठीक हो चुके व्यक्ति के साथ यौन संचरण।
निष्कर्ष:
युगांडा में सूडान वायरस प्रकोप का अंत एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धि है। यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए समन्वित प्रयासों की सफलता को दर्शाता है। यह सफलता हमें भविष्य के लिए सतर्क रहने और स्वास्थ्य सुरक्षा में निरंतर निवेश करने की प्रेरणा देती है।