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Blog / 04 Feb 2025

व्यापार शुल्क (Trade Tariffs)

संदर्भ:
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन से होने वाले आयात पर शुल्क लगाने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जो उनके संरक्षणवादी आर्थिक रणनीति का हिस्सा है।

o   नए शुल्क 4 फरवरी 2025 से लागू होंगे, जिनमें कनाडा और मेक्सिको से आयात होने वाले सामान पर 25% शुल्क और चीन से आयात होने वाले सामान पर 10% शुल्क लगाया जाएगा।

o   यह अमेरिका के तीन प्रमुख व्यापार साझेदारों के साथ एक नए व्यापार युद्ध की शुरुआत है, जो संयुक्त रूप से अमेरिका के लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर के व्यापार घाटे में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।

व्यापार युद्ध क्या है?
व्यापार युद्ध एक आर्थिक संघर्ष है, जोकि तब उत्पन्न होता है जब देश अत्यधिक संरक्षणवादी नीतियाँ अपनाते हैं। ऐसे संघर्षों में, एक देश शुल्क या अन्य व्यापार अवरोधों को लागू करता है, जिसके परिणामस्वरूप दूसरा देश उसी प्रकार प्रतिक्रिया करता है। इससे प्रतिशोधी उपायों का एक बढ़ता हुआ चक्र उत्पन्न होता है, जिसमें प्रत्येक देश दूसरे द्वारा लगाए गए शुल्कों के जवाब में अपने शुल्क बढ़ाता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार अवरोधों में वृद्धि होती है।

भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया:
ट्रंप के संरक्षणवादी कदमों के जवाब में, भारत ने कई अमेरिकी निर्यातित वस्तुओं पर शुल्क घटा दिए हैं। संघीय बजट 2025-26 में महत्वपूर्ण शुल्क कटौती की गई, जिसमें शामिल हैं:
         • 1,600cc से कम के इंजन वाली मोटरसाइकिलों पर शुल्क में कमी
         उपग्रहों के लिए ग्राउंड इंस्टॉलेशन पर शुल्क में कटौती
         कृत्रिम फ्लेवरिंग ऐसेंस पर शुल्क में कमी

विशेषज्ञों का मानना है कि ये शुल्क कटौती अमेरिका के साथ व्यापारिक शर्तों को अनुकूल बनाने के उद्देश्य से की गई हैं, विशेषकर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा प्रस्तावित है, जो संभावित द्विपक्षीय वार्ता की संभावना को प्रकट करता है।

व्यापार युद्ध से भारत को संभावित लाभ:
भारत पर ट्रंप के नवीनतम कार्यकारी आदेश के तहत सीधे शुल्क नहीं लगाए गए हैं, लेकिन चीन से आयातित वस्तुओं पर 10% शुल्क भारतीय निर्यातकों के लिए एक अवसर प्रदान कर सकता है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार, भारत ने अमेरिका-चीन शुल्क विवादों (2017-2023) के दौरान व्यापारिक परिवर्तनों से महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त किया था। जैसे-जैसे चीन पर शुल्क बढ़ते हैं, भारत को अपने उत्पादों के लिए अधिक मांग देखने को मिल सकती है, जिससे वह अमेरिकी बाजार में चीनी आयातों का प्रतिस्पर्धी विकल्प बन सकता है। हालांकि, इससे अमेरिका में मुद्रास्फीति संबंधी चिंताएं भी बढ़ सकती हैं, जो भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजार के साथ व्यापारिक रिश्तों को प्रभावित कर सकती हैं।

अमेरिका के साथ भारत की स्थिति:
भारत अमेरिका के व्यापार घाटे में केवल 3.2% का योगदान करता है, इस कारण वह वर्तमान में  शुल्क का लक्ष्य नहीं बनता, फिर भी कुछ विशेष क्षेत्रों में वह संवेदनशील हो सकता है।

भारत को निम्नलिखित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण व्यापार अधिशेष प्राप्त है, जिन्हें अमेरिका अपनी शुल्क रणनीति के तहत ध्यान में रख सकता है:

औषधियाँ
गहने और आभूषण
मछली पालन

अमेरिका उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है, जैसे फार्मास्युटिकल निर्यात, जो 2023 में भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात किए गए $20 बिलियन के माल का एक प्रमुख हिस्सा था। इसके अतिरिक्त, रसायन, वस्त्र और लकड़ी की पल्प जैसी वस्तुओं पर भी संभावित प्रतिबंध लग सकते हैं, जिसका भारत के अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।