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Blog / 03 Feb 2025

भारत में बाघों के निवास का पैटर्न

संदर्भ:
हाल ही में साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में भारत में बाघों के निवास से संबंधित महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आए हैं, जिसमें बताया गया है कि पिछले दो दशकों में बाघों के आवास में 30% की वृद्धि हुई है। हालांकि, अध्ययन में यह भी उल्लेख किया गया है कि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां गरीबी, सशस्त्र संघर्ष और भूमि उपयोग में बदलाव जैसी समस्याएँ हैं, जिसके कारण बाघों की संख्या में गिरावट आई है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

·        बाघों के निवास में वृद्धि: अध्ययन में बाघों के निवास में 30% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो 1,38,200 वर्ग किमी के विस्तृत क्षेत्र में फैली हुई है।

·        निवास स्थान: बाघों को ऐसे क्षेत्र पसंद आते हैं जहाँ मानव गतिविधि कम हो, शिकार की प्रचुरता हो और शहरीकरण कम हो।

·        वर्तमान बाघों की संख्या: भारत में लगभग 3,700 बाघ हैं, जोकि 2023 की जनगणना के अनुसार वैश्विक बाघों की संख्या का 75% हैं।

क्षेत्रीय भिन्नताएँ:

·        कुछ क्षेत्रों में सकारात्मक वृद्धि: ऐसे क्षेत्रों में बाघों की संख्या में वृद्धि देखी गई, जहाँ शिकार की उपलब्धता अधिक थी और मानव हस्तक्षेप कम था।

·        संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में गिरावट: छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में बाघों की संख्या में गिरावट आई।

·        गरीबी का प्रभाव: जहां ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी अधिक थी, वहां बाघों के बसने की दर सबसे कम रही।

·        स्थानीय विलुप्तियाँ: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों, विशेषकर छत्तीसगढ़ और झारखंड में, शिकार और मांस के सेवन जैसी समस्याओं के कारण बाघों की स्थानीय विलुप्तियाँ अधिक देखी गईं।

निष्कर्षों के प्रभाव:

·        अध्ययन में यह सुझाव दिया गया है कि बाघों की पुनः बहाली उन क्षेत्रों में अधिक संभव है, जहाँ  स्थिरता अधिक हो और सशस्त्र संघर्ष कम हो।

·        मजबूत संरक्षण कानूनों और सरकारी प्रयासों ने कई क्षेत्रों में बाघों की संख्या बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

·        स्थानीय समुदायों को लाभ पहुंचाने वाले इको-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में निवेश बाघों के संरक्षण प्रयासों में मदद कर सकता है, साथ ही उन समुदायों के जीवन स्तर को भी बेहतर बना सकता है जो बाघों के आवास के पास रहते हैं।

बंगाल टाइगर के बारे में:
बंगाल टाइगर (Panthera tigris tigris) सबसे सामान्य बाघ उपप्रजाति है, जो भारत, बांगलादेश, चीन, म्यांमार, नेपाल और भूटान में पाई जाती है।
प्रमुख निवास स्थान: ये बाघ सुंदरबन वन जैसे मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में पाए जाते हैं, जो प्रजाति के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है।
संख्या और संरक्षण स्थिति: 2023 की जनगणना में भारत में 3,682 बंगाल बाघों की संख्या रिकॉर्ड की गई। बंगाल बाघ को IUCN रेड लिस्ट में संकटग्रस्त (Endangered) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और यह CITES अनुबंध I और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत संरक्षित है।
पारिस्थितिकीय भूमिका: ये फ्लैगशिप और अंब्रेला प्रजातियाँ हैं, जिनकी उपस्थिति एक स्वस्थ पर्यावरण का संकेत देती है, जबकि इनकी संख्या में गिरावट व्यापक पारिस्थितिकीय समस्याओं का संकेत हो सकती है।