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Blog / 06 Sep 2025

आप्रवासन और विदेशी नागरिक अधिनियम, 2025

संदर्भ:

हाल ही में आप्रवासन और विदेशी नागरिक अधिनियम, 2025 लागू किया गया है। यह विधेयक लोकसभा में 27 मार्च 2025 को और राज्यसभा में 2 अप्रैल 2025 पारित हुआ था। इसके बाद राष्ट्रपति ने 4 अप्रैल 2025 को अपनी स्वीकृति दी। यह अधिनियम 1 सितंबर 2025 से पूरे देश में प्रभावी हो गया।

अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ:

विधायी एकीकरण (Legislative Consolidation): इस अधिनियम ने चार पुराने कानूनों को समाप्त कर दिया है:

·         पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920

·         विदेशी नागरिकों का पंजीकरण अधिनियम, 1939

·         विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946

·         आप्रवासन (वाहकों की ज़िम्मेदारी) अधिनियम, 2000

इन सभी कानूनों के एकीकरण से दशकों से चली आ रही पुरानी व्यवस्थाओं का अंत हुआ तथा भारत की आप्रवासन व्यवस्था को एक आधुनिक और संगठित स्वरूप प्राप्त हुआ।

The Immigration and Foreigners Act, 2025- Dhyeya IAS

प्रमुख प्रावधान:

1.        प्रवेश की शर्तें: भारत आने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के पास वैध पासपोर्ट और वीज़ा होना अनिवार्य है। केवल उन्हीं को छूट मिलेगी जिन्हें विशेष रूप से इस संबंध में छूट दी गई हो।

2.      डिजिटल निगरानी: होटल, हॉस्टल और अस्पताल जैसी संस्थाओं को विदेशी नागरिकों से संबंधित विवरण ऑनलाइन दर्ज करना अनिवार्य होगा। इसके अतिरिक्त, एक रियल-टाइम राष्ट्रीय आप्रवासन डाटाबेस तैयार किया जाएगा, जिससे सुरक्षा व्यवस्था और नीति निर्माण में मदद मिलेगी।

3.      पंजीकरण नियम: विदेशी नागरिकों को ज़िला एसपी/डीसीपी या एफआरआरओ (Foreigners Regional Registration Officer) के पास पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।

4.     प्रतिबंधित क्षेत्र: कुछ प्रतिबंधित या संरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश के लिए विशेष परमिट लेना अनिवार्य होगा।

5.      क्रमिक दंड व्यवस्था:

o    ₹10,000 से ₹5 लाख तक का जुर्माना

o    अधिकतम 5 वर्ष तक का कारावास

o    तिब्बती, मंगोलियाई भिक्षुओं और कुछ शरणार्थियों के लिए अपेक्षाकृत कम सज़ा का प्रावधान

6.     समझौता तंत्र: अधिनियम का उल्लंघन करने वाले मामलों का निपटारा अदालत में ले जाए बिना, प्रशासनिक स्तर पर समझौते के माध्यम से किया जा सकेगा।

7.      केंद्र और राज्य की भूमिका: अधिनियम से संबंधित प्रमुख अधिकार केंद्र सरकार के पास रहेंगे, किंतु आवश्यकता पड़ने पर वह इन अधिकारों को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सौंप सकती है।

छूट प्रावधान:

1.      श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी:
2 सितंबर 2025 की अधिसूचना के अनुसार, वे श्रीलंकाई तमिल नागरिक जिन्होंने 9 जनवरी 2015 या उससे पहले भारत में शरण ली थी, उन्हें इन मामलों में छूट दी गई है:

·         पासपोर्ट या वीज़ा न होने पर दंड से छूट

·         अधिनियम की धारा 3(1), 3(2), और 3(3) से संबंधित दस्तावेज़ों की शर्तों से छूट

·         अवैध ठहराव या बिना दस्तावेज़ रहने पर मुकदमे से छूट

2.     अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय:

इसी अधिसूचना के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के छह गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाईको भी छूट प्रदान की गई है, बशर्ते कि वे 31 दिसंबर 2024 या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हों।

इन समुदायों को निम्नलिखित मामलों में राहत मिलेगी:

·         बिना वैध दस्तावेज़ प्रवेश करने पर या वीज़ा की अवधि समाप्त होने के बाद भी रुकने पर दंड से छूट।

·         आप्रवासन और विदेशी नागरिक अधिनियम, 2025 के अंतर्गत मुकदमा चलाए जाने या निर्वासन (Deportation) से छूट।

हालाँकि, यह छूट नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 को प्रभावित नहीं करती।

·         सीएए के अनुसार, नागरिकता के लिए अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2014 ही रहेगी।

·         लेकिन यह छूट इन व्यक्तियों को भारत में बिना किसी कानूनी कार्रवाई के रहने की अनुमति देती है।

कानूनी और राजनीतिक प्रभाव:

1. नागरिकता नहीं, केवल मानवीय राहत:

·         यह छूट केवल दंड और कानूनी कार्यवाही से राहत प्रदान करती है, नागरिकता नहीं।

·         2014 के बाद भारत आने वाले लोग केवल नागरिकता अधिनियम, 1955 के अंतर्गत  प्राकृतिककरण (Naturalisation) प्रक्रिया से ही नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं, जिसके लिए कम से कम 11 वर्षों का वैध निवास अनिवार्य है।

2. भारत की शरणार्थी नीति के अनुरूप:

·         भारत के पास न तो कोई औपचारिक शरणार्थी कानून है और न ही वह 1951 शरणार्थी कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्ता है।

·         इसके बावजूद, भारत ने ऐतिहासिक रूप से कार्यकारी आदेशों और विशेष छूटों के माध्यम से संवेदनशील और उत्पीड़ित समुदायों को सुरक्षा प्रदान की है।

निष्कर्ष:

आप्रवासन और विदेशी नागरिक अधिनियम, 2025 भारत की आप्रवासन प्रणाली को सुरक्षा-केंद्रित, मानवीय दृष्टिकोण के साथ सुदृढ़ बनाने की प्रतिबद्धता को दिखाता है। जहाँ यह अधिनियम अवैध आप्रवासन को रोकने के लिए कड़े दंड और डिजिटल निगरानी लागू करता है, वहीं श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए जारी किए गए छूट आदेश यह स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि भारत कानून और करुणा (Compassion) के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास कर रहा है।