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Blog / 07 Jul 2025

दलाई लामा का पुनर्जन्म

संदर्भ:
14वें दलाई लामा, तेनजिन ग्यात्सो, 6 जुलाई 2025 को 90 वर्ष के हो गए। यह जन्मदिन केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए ऐतिहासिक महत्व का अवसर भी है। इस अवसर पर उन्होंने 130 वर्ष से अधिक जीने तथा मृत्यु के बाद पुनर्जन्म लेने की अपनी इच्छा व्यक्त की। 

दलाई लामा के बारे में:
दलाई लामा को तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरु के रूप में पूजा जाता है। 1959 में जब चीन ने तिब्बत में विद्रोह को कुचल दिया, तब से वे भारत में निर्वासन में रह रहे हैं। वे हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में बसे, जहाँ तिब्बती निर्वासित सरकार की स्थापना हुई।
2011 में दलाई लामा ने अपनी राजनीतिक शक्तियाँ स्वेच्छा से त्याग दीं, जिससे तिब्बत में 368 वर्षों से चली आ रही धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व की संयुक्त परंपरा समाप्त हो गई।

पुनर्जन्म की परंपरा:
दलाई लामा को करुणा के बोधिसत्व अवलोकितेश्वर का अवतार माना जाता है। तिब्बती बौद्ध धर्म में तुल्कु की परंपरा होती है, जिसमें माना जाता है कि किसी उच्च आध्यात्मिक गुरु की मृत्यु के बाद वे किसी अन्य शरीर में पुनः जन्म लेते हैं।

·         पहले दलाई लामा, गेदुन ड्रुपा, का जन्म 1391 में हुआ था।

·         17वीं सदी में पांचवें दलाई लामा, लोबसांग ग्यात्सो, ने धार्मिक के साथ-साथ राजनीतिक भूमिका भी संभाली।

·         वर्तमान दलाई लामा को 1939 में विशेष दिव्य संकेतों और परंपरागत खोज प्रक्रिया के तहत 13वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में पहचाना गया था।

·         1969 से दलाई लामा कहते आए हैं कि उनका पुनर्जन्म जारी रहना चाहिए या नहीं, इसका निर्णय तिब्बती, मंगोलियाई और हिमालयी बौद्धों को करना चाहिए।

·         2011 में उन्होंने कहा था कि वे 90 वर्ष की आयु में वरिष्ठ लामाओं, तिब्बती जनता और अन्य लोगों से विचार-विमर्श कर यह तय करेंगे कि दलाई लामा की संस्था आगे जारी रहनी चाहिए या नहीं।

चीन का हस्तक्षेप:
चीन दलाई लामा को अलगाववादी मानता है और उनकी आध्यात्मिक मान्यता को स्वीकार नहीं करता। बीजिंग यह दावा करता है कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया चीनी कानून के तहत ही होनी चाहिए।

·         2007 में चीन ने एक आदेश जारी किया, जिसके अनुसार बिना सरकारी अनुमति के कोई भी पुनर्जन्म की खोज या मान्यता नहीं दे सकता।

·         उन्होंने गोल्डन अर्ननामक एक परंपरा को फिर से लागू कर दिया, जिससे चीन पुनर्जन्म की प्रक्रिया को नियंत्रित कर सके।

·         दलाई लामा ने इस दखल का कड़ा विरोध किया है। 2011 में उन्होंने कहा था कि उनका अगला जन्म किसी स्वतंत्र देशमें होना चाहिए, “न कि चीन के नियंत्रण में।

·         2025 में प्रकाशित अपनी पुस्तक वॉइस फॉर द वॉइसलेस (Voice for the Voiceless) में उन्होंने दोहराया कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर जन्म लेगा।

·         बहुत से तिब्बती आशंकित हैं कि दलाई लामा के निधन के बाद चीन अपनी पसंद का उत्तराधिकारी घोषित करेगा, जिससे तिब्बत और वहाँ की धार्मिक संस्थाओं पर उसकी पकड़ और मजबूत होगी।

निष्कर्ष:
दलाई लामा द्वारा जल्द आने वाला बयान तिब्बती बौद्ध धर्म और उसके नेतृत्व के भविष्य को तय कर सकता है। इसका भू-राजनीतिक प्रभाव भी होगा, क्योंकि चीन और तिब्बती प्रवासी समुदाय के बीच यह विवाद जारी है कि अगला दलाई लामा कौन चुनेगा।

यह क्षण पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केवल तिब्बती संस्कृति और धर्म की रक्षा से संबंधित नहीं है, बल्कि स्व-निर्णय का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता और चीन की अल्पसंख्यकों के प्रति नीतियों जैसे व्यापक मुद्दों को भी छूता है। यह निर्णय आने वाली पीढ़ियों के लिए तिब्बती पहचान और एकता को गहराई से प्रभावित करेगा।