संदर्भ :
हाल ही में 8 दिसंबर 2025 को थाईलैंड ने कंबोडिया की सीमा पर स्थित सैन्य चौकियों पर हवाई हमले किए। थाईलैंड का कहना है कि यह कार्रवाई दो थाई सैनिकों की कथित हत्या के जवाब में की गई। वहीं कंबोडिया ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि थाईलैंड ने एकतरफा हमला किया है। यह घटना उस शांति समझौते के तुरंत बाद हुई है, जो अक्तूबर 2025 में मलेशिया की मध्यस्थता और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की निगरानी में हुआ था।
पूर्व टकराव:
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- मई 2025: झड़पों में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हुई, जिससे राजनयिक तनाव बढ़ गया। थाईलैंड ने कंबोडिया से अपना राजदूत वापस बुला लिया और कंबोडिया ने थाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।
जुलाई 2025: सीमा झड़पों में कम से कम 48 लोगों की मौत और हज़ारों लोग विस्थापित हुए। - अगस्त 2025: संघर्ष-विराम के बावजूद बारूदी सुरंग विस्फोट होते रहे और तनाव कम नहीं हुआ।
- मई 2025: झड़पों में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हुई, जिससे राजनयिक तनाव बढ़ गया। थाईलैंड ने कंबोडिया से अपना राजदूत वापस बुला लिया और कंबोडिया ने थाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।
सीमा विवाद के विषय में:
यह विवाद 1907 में फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन के समय तैयार किए गए नक्शों से जुड़ा है। इन नक्शों में प्रीह विहियर (Preah Vihear) मंदिर को कंबोडिया की सीमा में दिखाया गया, जबकि यह थाई सीमा के बेहद नज़दीक स्थित है। इससे दोनों देशों के बीच सम्प्रभुता (sovereignty) को लेकर लगातार मतभेद बने हुए हैं।
ऐतिहासिक संधियाँ और घटनाएँ:
· इतिहास में प्रीह विहियर मंदिर का नियंत्रण कई बार बदला है।
· 1867 में कंबोडिया ने यह मंदिर सियाम (यानी वर्तमान थाईलैंड) को सौंप दिया था। इसके बाद 1904–1907 में फ्रांस ने आधुनिक सीमा रेखाओं का निर्धारण किया, जिसमें मंदिर कंबोडिया की ओर माना गया।
· द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1941 में थाईलैंड ने मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया, परंतु युद्ध समाप्त होने के बाद इसे पुनः कंबोडिया को लौटा दिया गया।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के निर्णय:
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- मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 1962 में सुलझाया गया, जब ICJ ने स्पष्ट किया कि प्रीह विहियर मंदिर पर कंबोडिया का अधिकार है और थाईलैंड को अपने सैनिकों को हटाकर मंदिर से ले जाए गए शिल्प एवं कलाकृतियाँ लौटानी होंगी।
- बाद में 2013 में ICJ ने एक बार फिर निर्णय दोहराते हुए कहा कि मंदिर और उसके आसपास का नज़दीकी क्षेत्र भी कंबोडिया की संप्रभुता में आता है, इसलिए थाई सेना को पूरी तरह पीछे हटना आवश्यक है।
- हालाँकि एक निषैन्यीकृत (Demilitarized) क्षेत्र बनाने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन यह ज़मीन पर पूरी तरह लागू नहीं हो सकी, जिसके कारण समय-समय पर विवाद पुनः उभरता रहा।
- मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 1962 में सुलझाया गया, जब ICJ ने स्पष्ट किया कि प्रीह विहियर मंदिर पर कंबोडिया का अधिकार है और थाईलैंड को अपने सैनिकों को हटाकर मंदिर से ले जाए गए शिल्प एवं कलाकृतियाँ लौटानी होंगी।
प्रीह विहियर मंदिर:
ऐतिहासिक महत्व:
यह मंदिर 11वीं–12वीं सदी में खमेर साम्राज्य के दौरान निर्मित हुआ था।
यह भगवान शिव को समर्पित है और इसकी सांस्कृतिक जड़ें भारत जैसी प्राचीन सभ्यताओं से जुड़ती हैं।
यही कारण है कि यह दोनों देशों, थाईलैंड और कंबोडिया के लिए राष्ट्रीय गौरव और पहचान का प्रतीक है।
भौगोलिक स्थिति:
यह मंदिर कंबोडिया के डॉन्गरेक पर्वतमाला में स्थित है और एक 525 मीटर ऊँची चट्टान के शीर्ष पर बना हुआ है।
इसके अतिरिक्त, थाईलैंड में स्थित ता मुएन थोम मंदिर भी इसी ऐतिहासिक और धार्मिक नेटवर्क का हिस्सा है।
विवाद के प्रमुख कारण
1. औपनिवेशिक मानचित्रण:
फ्रांसीसी-निर्मित मानचित्रों ने स्थानीय राजनीति के लिए अपरिचित भौगोलिक सीमाएँ बनाईं, जिससे दीर्घकालिक विवाद उत्पन्न हुए।
2. राष्ट्रवाद:
दोनों देश सांस्कृतिक स्वामित्व का दावा करते हैं, घरेलू राजनीतिक समर्थन के लिए मंदिर के मुद्दे का लाभ उठाते हैं।
3. ऐतिहासिक दावे:
सियाम के नियंत्रण और फ्रांसीसी संरक्षित राज्य की व्यवस्थाओं के कारण आसपास की भूमि पर संप्रभुता अस्पष्ट रही।
4. सामरिक और धार्मिक मूल्य:
मंदिर राष्ट्रीय पहचान के प्रतीकों के रूप में काम करते हैं, जिससे सीमाई झड़पों के दौरान तनाव बढ़ जाता है।
प्रभाव :
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- क्षेत्रीय सुरक्षा: सीमा संघर्ष से ASEAN क्षेत्र की स्थिरता और व्यापार प्रभावित।
- औपनिवेशिक विरासत: पश्चिम द्वारा बनाई गई सीमाएँ आज भी राज्यों के बीच विवाद का कारण।
- कानूनी व राजनयिक सीख: ICJ के निर्णय मान्य होने के बावजूद अमल में कमी दिखती है।
- सांस्कृतिक कूटनीति: मंदिर राष्ट्रीय गर्व, विरासत पर्यटन और द्विपक्षीय संबंधों का केंद्रबिंदु बना हुआ है।
- क्षेत्रीय सुरक्षा: सीमा संघर्ष से ASEAN क्षेत्र की स्थिरता और व्यापार प्रभावित।
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