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Blog / 30 Dec 2025

थाईलैंड–कंबोडिया ने संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए

संदर्भ:

हाल ही में थाईलैंड और कंबोडिया ने अपनी साझा विवादित सीमा पर जारी तीव्र संघर्ष को रोकने के लिए संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए। कई हफ्तों तक चले इस संघर्ष में भारी जान-माल की क्षति हुई और बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए। यह समझौता तनाव कम करने और दक्षिण-पूर्व एशिया के सबसे पुराने सीमा विवादों में से एक में, दीर्घकालिक शांति की संभावना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

संघर्षविराम समझौते की प्रमुख शर्तें:

      • यह समझौता सीमा क्षेत्र में हुई बैठक के दौरान थाईलैंड के रक्षा मंत्री नत्थाफोन नार्कफानित और कंबोडिया के रक्षा मंत्री टी सेइहा द्वारा हस्ताक्षरित किया गया।
      • संघर्षविराम के तहत तुरंत सभी सैन्य गतिविधियों को रोकने पर सहमति बनी है। दोनों देशों ने सीमा क्षेत्र में किसी भी नई सैन्य तैनाती, सैनिकों की बढ़ोतरी या आक्रामक कार्रवाइयों से दूर रहने का वचन दिया।
      • समझौते के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आसियान (ASEAN) पर्यवेक्षकों की निगरानी और दोनों देशों के बीच निरंतर समन्वय तंत्र की व्यवस्था की गई है, ताकि इसका पालन सुनिश्चित किया जा सके।
      • इसके अतिरिक्त, थाईलैंड ने यह भी सहमति दी है कि यदि संघर्षविराम 72 घंटे तक बिना किसी उल्लंघन के बना रहता है, तो पहले की झड़पों के दौरान हिरासत में लिए गए 18 कंबोडियाई सैनिकों को रिहा कर दिया जाएगा।

विवाद का कारण:

      • थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लगभग 817 किलोमीटर लंबी भूमि सीमा है, जिसके कई हिस्से आज भी स्पष्ट रूप से चिन्हित नहीं हैं। इसी वजह से लंबे समय से दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय दावों को लेकर विवाद चलता आ रहा है।
      • इस टकराव का मुख्य कारण दो प्राचीन हिंदू मंदिर परिसर “प्रेह विहियर और ता मुएन थॉम” हैं। इन मंदिरों का निर्माण खमेर साम्राज्य (9वीं से 15वीं शताब्दी) के दौरान हुआ था। ये मंदिर अपनी स्थापत्य कला, सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक महत्व के कारण अत्यंत पूजनीय माने जाते हैं।

विवाद का इतिहास:

      • इस सीमा विवाद के प्रमुख कारण औपनिवेशिक काल के मानचित्रण में हैं। वर्ष 1904 से 1907 के बीच फ्रांसीसी सर्वेक्षणकर्ताओं ने, फ्रांसीसी इंडोचाइना के तहत, कंबोडिया और थाईलैंड (तत्कालीन सियाम) के बीच सीमा रेखा दर्शाने वाले मानचित्र तैयार किए।
      • 1907 के फ्रांसीसी मानचित्र में प्रेह विहियर मंदिर को कंबोडिया की सीमा में दिखाया गया, जबकि यह भौगोलिक रूप से थाईलैंड के अधिक करीब है। प्रारंभ में थाईलैंड (तत्कालीन सियाम-Siam) ने इस मानचित्र को यह मानते हुए स्वीकार कर लिया कि यह प्राकृतिक जल-विभाजक रेखाओं के अनुरूप है, लेकिन बाद में इसकी सटीकता पर सवाल उठाए गए और इसे भ्रामक बताया गया।
      • वर्ष 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने निर्णय दिया कि प्रेह विहियर मंदिर कंबोडिया की संप्रभुता में आता है। न्यायालय ने कहा कि थाईलैंड ने 1907 के मानचित्र को कई दशकों तक मौन रूप से स्वीकार किया था। इसके तहत थाई सैनिकों को क्षेत्र खाली करने और हटाई गई कलाकृतियाँ लौटाने का आदेश दिया गया।
      • हालांकि, यह निर्णय केवल मंदिर के स्वामित्व तक सीमित था और उसके आसपास के क्षेत्रों को लेकर विवाद बना रहा। बढ़ते तनाव के कारण कंबोडिया ने न्यायालय से पुनः स्पष्टीकरण मांगा।
      • वर्ष 2013 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने फिर से कंबोडिया की संप्रभुता की पुष्टि की और मंदिर के आसपास के क्षेत्र से भी थाई सेना को हटने का निर्देश दिया।
      • इन न्यायिक निर्णयों के बावजूद आस-पास के इलाकों को लेकर अस्पष्टता बनी रही, जिससे समय-समय पर दोनों देशों के बीच सशस्त्र झड़पें होती रहीं।

क्षेत्रीय और कूटनीतिक पहलू:

      • इस संघर्षविराम समझौते का चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, मलेशिया और आसियान सहित कई देशों और संगठनों ने समर्थन किया है। सभी ने इस कदम का स्वागत करते हुए शांति बनाए रखने और तनाव कम करने के लिए निरंतर संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया है।
      • भविष्य में और वार्ताओं की योजना बनाई गई है, जिनमें चीन की मेजबानी में होने वाली त्रिपक्षीय बैठकें भी शामिल हैं। इन बैठकों का उद्देश्य आपसी विश्वास बहाल करना और संघर्षविराम को लंबे समय तक टिकाऊ बनाना है।

निष्कर्ष:

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह संघर्षविराम समझौता हाल के समय में हुए हिंसक टकराव के बाद तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रेह विहियर और ता मुएन थॉम जैसे ऐतिहासिक मंदिरों को लेकर चल रहे विवाद ने लंबे समय तक दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित किया है। यह हालिया समझौता संवाद, विश्वास निर्माण और निरंतर कूटनीति के माध्यम से सीमा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में एक सकारात्मक मार्ग प्रदान करता है।