संदर्भ:
24 जुलाई को थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर हिंसक झड़पें भड़क हुईं, जो पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में हुई सबसे गंभीर स्थिति मानी जा रही हैं। इन झड़पों में अब तक लगभग 12 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, दर्जनों लोग घायल हुए हैं और 40,000 से अधिक नागरिकों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है। यह बढ़ता हुआ तनाव प्राचीन हिंदू मंदिरों को लेकर लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद से जुड़ा है, जो अब एक गंभीर सैन्य टकराव का रूप लेता जा रहा है।
विवाद के बारे में::
इस सीमा विवाद का मुख्य कारण दो प्राचीन हिंदू मंदिर परिसरों “प्रेह विहेयर और टा मुएन थॉम” को लेकर बना तनाव है। ये दोनों मंदिर खमेर साम्राज्य की ऐतिहासिक धरोहर हैं। खमेर साम्राज्य दक्षिण-पूर्व एशिया का एक शक्तिशाली साम्राज्य था, जो 9वीं से 15वीं शताब्दी के बीच समृद्ध हुआ और जिसने अंगकोरवाट जैसे भव्य मंदिरों की रचना की।
· प्रेह विहेयर मंदिर लगभग 900 साल पुराना शिव मंदिर है, जो कंबोडिया के डेंग्रेक पर्वतों में 525 मीटर ऊंची एक चट्टान पर स्थित है। यह मंदिर थाईलैंड-कंबोडिया की सीमा पर बिल्कुल सटीक स्थिति में स्थित है, जिससे इसे लेकर विवाद और भी जटिल हो गया है।
· टा मुएन थॉम मंदिर 12वीं शताब्दी में बना एक अन्य शिव मंदिर है, जो थाईलैंड के सुरिन प्रांत में स्थित है। यह मंदिर एक ऐतिहासिक व्यापार और तीर्थ मार्ग पर स्थित है और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
विवाद का इतिहास:
इस संघर्ष की जड़ें औपनिवेशिक समय में खींची गई सीमाओं में हैं। 1904 से 1907 के बीच, जब कंबोडिया फ्रांसीसी उपनिवेश था, फ्रांसीसी सर्वेक्षकों ने थाईलैंड (तब सियाम) और कंबोडिया के बीच सीमा निर्धारण किया।
· 1907 के एक फ्रांसीसी नक्शे में प्रेह विहेयर मंदिर को कंबोडिया में दिखाया गया, हालांकि यह भौगोलिक रूप से थाईलैंड के ज्यादा करीब था।
· सियामी (थाई) प्रशासन ने तब इस नक्शे को स्वीकार कर लिया क्योंकि उन्हें लगा कि यह प्राकृतिक जलविभाजक रेखा के अनुसार है। लेकिन बाद में थाईलैंड ने इस नक्शे पर सवाल उठाए और कहा कि उन्हें भ्रमित किया गया था।
· 1962 में, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने कंबोडिया के पक्ष में फैसला सुनाया, यह कहते हुए कि थाईलैंड ने पहले नक्शे को मान लिया था। कोर्ट ने थाईलैंड को मंदिर क्षेत्र से हटने और मंदिर से जुड़ी वस्तुएं लौटाने का आदेश दिया। लेकिन मंदिर के आसपास के इलाके को लेकर स्थिति साफ नहीं थी और यही इलाका फिर से विवाद का कारण बना।
· 2011 में फिर से संघर्ष हुआ, जिसके बाद 2013 में ICJ ने अपने पुराने फैसले को और स्पष्ट किया। कोर्ट ने कहा कि मंदिर और उसके आसपास का इलाका कंबोडिया का है और थाई सेना को पूरी तरह हट जाना चाहिए।
प्रभाव:
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह विवाद बताता है कि औपनिवेशिक काल में खींची गई सीमाएं आज भी कितनी जटिल समस्याएं पैदा कर रही हैं।
· दक्षिण-पूर्व एशियाई इतिहासकारों का मानना है कि इस क्षेत्र में ‘सीमा रेखा’ जैसी अवधारणाएं पहले नहीं थीं।
· यूरोपीय शैली के नक्शों ने कंबोडिया को एक निश्चित भौगोलिक रूप दिया, जिसमें प्रेह विहेयर मंदिर उसकी सीमा के भीतर आ गया।
निष्कर्ष:
इन प्राचीन हिंदू मंदिरों को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहा विवाद ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जटिल है। यह विवाद 50 से ज्यादा वर्षों से चला आ रहा है और इसका स्थायी हल तभी संभव है जब दोनों देश बातचीत और समझौते का रास्ता अपनाएं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी शांति और स्थिरता बनाए रखने में भूमिका निभानी चाहिए और दोनों देशों को शांतिपूर्ण समाधान की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।