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Blog / 05 Jul 2025

थाईलैंड और कंबोडिया तनाव

सन्दर्भ:
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद अब एक गंभीर राजनयिक एवं राजनीतिक संकट में बदल गया है जो थाईलैंड की संवैधानिक अदालत द्वारा प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा (Paetongtarn Shinawatra) के निलंबन के रूप में हुई। यह निर्णय एक लीक हुई फोन बातचीत के बाद आया, जिसमें प्रधानमंत्री और कंबोडिया के सीनेट अध्यक्ष हुन सेन के बीच वार्ता ने घरेलू स्तर पर भारी विरोध और राष्ट्रीय हितों से समझौते के आरोपों को जन्म दिया।

सीमा संघर्ष:
वर्तमान संकट की शुरुआत 28 मई 2025 को हुई, जब थाई और कंबोडियाई सशस्त्र बलों के बीच एक विवादित सीमा क्षेत्र में गोलीबारी हुई। इस घटना में एक कंबोडियाई सैनिक की मृत्यु हो गई, जिसके पश्चात दोनों देशों के बीच तीखे राजनयिक बयान सामने आए। यद्यपि दोनों पक्षों ने तनाव कम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है, परंतु सीमा पर तनाव बरकरार है।

इस विवाद की जड़ एक 800 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है, जिसे दोनों देश अपना-अपना क्षेत्र बताते हैं। कंबोडिया 1907 के फ्रांसीसी उपनिवेशकालीन मानचित्र के आधार पर अपना दावा प्रस्तुत करता है, जबकि थाईलैंड इस मानचित्र की वैधता पर प्रश्न उठाता है।

विवाद का मुख्य केंद्र प्रीह विहार मंदिर है, जो लगभग 1,000 वर्ष पुराना है और जिसे 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने कंबोडिया को सौंप दिया था। इसके बावजूद, यह मुद्दा समय-समय पर विवाद का कारण बनता रहा है

  • 2011: सीमा पर झड़पों में 20 सैनिक मारे गए और हजारों लोग विस्थापित हुए।
  • 2013: ICJ ने पुनः कंबोडिया की संप्रभुता की पुष्टि की।
  • 2025: कंबोडिया ने नए विवादित क्षेत्रों को लेकर ICJ में एक और याचिका दायर की है।

थाईलैंड ने इस बार ICJ के अधिकार क्षेत्र को अस्वीकार करते हुए 2000 में स्थापित द्विपक्षीय तंत्र के माध्यम से समाधान की वकालत की है।

भारत-कंबोडिया एवं भारत-थाईलैंड संबंध
भारत के कंबोडिया एवं थाईलैंड के साथ संबंध बहुआयामी हैं, जिनमें व्यापार, सांस्कृतिक सहयोग, रणनीतिक साझेदारी और क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान शामिल है। ये दोनों राष्ट्र भारत की "एक्ट ईस्ट नीति" के प्रमुख स्तंभ हैं।

प्रमुख आयाम:

  • ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंध: कंबोडिया और थाईलैंड की सभ्यताएं भारत के साथ प्राचीन ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंध रखती हैं। बौद्ध धर्म इन संबंधों का प्रमुख आधार है।
  • रणनीतिक साझेदारी: दोनों देश भारत की एक्ट ईस्ट नीति के अंतर्गत ASEAN, BIMSTEC एवं मेकांग-गंगा सहयोग जैसे बहुपक्षीय मंचों में सहयोगी भूमिका निभाते हैं।
  • व्यापार एवं निवेश: भारत का इन देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार निरंतर बढ़ रहा है। भारत से निर्यातित वस्तुओं में औषधियाँ, वाहन एवं वस्त्र प्रमुख हैं, जबकि आयात में परिधान व विद्युत उपकरण सम्मिलित हैं।
  • रक्षा सहयोग: भारत ने दोनों देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और रक्षा संवादों के माध्यम से सहयोग को सुदृढ़ किया है।
  • क्षेत्रीय सहयोग: समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोध, तथा साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी भारत सक्रिय सहयोग करता है।

संभावित परिणाम:

  • अल्पकालिक अनिश्चितता: थाईलैंड में राजनीतिक नेतृत्व से जुड़ी अनिश्चितता भारत के साथ उसके कूटनीतिक और आर्थिक संपर्कों को निकट भविष्य में प्रभावित कर सकती है।
  • दीर्घकालिक प्रभाव: यह सीमा विवाद क्षेत्रीय स्थिरता एवं भारत की दक्षिण-पूर्व एशिया में दीर्घकालिक रणनीतिक प्राथमिकताओं को प्रभावित कर सकता है।