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Blog / 13 Oct 2025

दक्षिण चीन सागर में तनाव

सन्दर्भ:

12 अक्टूबर, 2025 को, एक समुद्री घटना ने दक्षिण चीन सागर के विवादित जलक्षेत्र में, विशेष रूप से थिटू द्वीप (जिसे फिलीपींस में पग आसा के नाम से जाना जाता है) के पास, चीन और फिलीपींस के बीच तनाव बढ़ा दिया।

मुद्दे के बारे में:

    • फिलीपींस के जहाज, जिनमें सरकारी जहाज बीआरपी दातु पगबुआया (BRP Datu Pagbuaya) शामिल था, थिटू द्वीप के पास फिलीपीनो मछुआरों की सहायता कर रहे थे, तभी कथित तौर पर चीनी तट रक्षक जहाज उनके पास पहुँचे।
    • मनीला ने आरोप लगाया कि चीनी जहाजों ने वॉटर कैनन (जल तोप) का इस्तेमाल किया और बाद में फिलीपींस के जहाज के पिछले हिस्से (stern) से टक्कर मारी, जिससे जहाज को मामूली नुकसान हुआ, लेकिन कोई घायल नहीं हुआ।
    • दूसरी ओर, चीन ने दावा किया कि फिलीपींस के जहाजों ने स्प्रैटली द्वीप समूह (Spratly Islands) में स्थित सैंडी के (Sandy Cay) के पास के जलक्षेत्र में अवैध रूप से प्रवेशकिया था और फिलीपींस की खतरनाक गतिविधियोंके कारण टक्कर हुई।

South China sea

यह घटना क्यों महत्वपूर्ण है:

यह कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि दक्षिण चीन सागर में बार-बार होने वाले समुद्री टकरावों की एक श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें क्षेत्रीय दावे, मत्स्य पालन के अधिकार और संप्रभुता के प्रश्न शामिल हैं।

स्प्रैटली द्वीप समूह (जिसमें थिटू द्वीप और सैंडी के शामिल हैं) कई देशों के बीच संघर्ष के प्रमुख केंद्र (flashpoints) बने हुए हैं।

फिलीपींस की मजबूती:

    • स्पष्ट कानूनी आधार:
      फिलीपींस अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) का हवाला देता है और साथ ही 2016 के अंतरराष्ट्रीय पंचाट (arbitration) निर्णय को उद्धृत करता है, जिससे उसके दावे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मजबूत बनते हैं।
    • अंतरराष्ट्रीय कूटनीति:
      फिलीपींस ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है (विशेष रूप से अमेरिका से), जिससे चीन पर अपने व्यवहार को संयमित करने के लिए कूटनीतिक दबाव बढ़ता है।

फिलीपींस की चुनौतियाँ:

    • प्रवर्तन (Enforcement) की सीमाएँ:
      यद्यपि फिलीपींस के पास कानूनी आधार है, परंतु दूरस्थ समुद्री क्षेत्रों में अपने दावे भौतिक रूप से लागू करना कठिन है।
      चीन के पास काफी अधिक तटरक्षक और नौसैनिक संसाधन हैं।
    • बाहरी समर्थन पर निर्भरता:
      फिलीपींस की कूटनीतिक या रक्षा नीति अक्सर अमेरिका, AUKUS देशों और क्षेत्रीय संस्थाओं पर निर्भर करती है, जो स्वयं भू-राजनीतिक तनावों से प्रभावित हैं।

चीन की स्थिति:

    • संप्रभुता की घोषणा:
      चीन के दृष्टिकोण से, जल तोपों का प्रयोग या तटरक्षक उपस्थिति जैसे कदम अपने क्षेत्रीय दावे को लागू करने, “अतिक्रमणरोकने और दृढ़ता का संकेत देने के साधन हैं।
    • कानूनी अस्पष्टता और जनमत:
      चीन के विस्तृत समुद्री दावे को अंतरराष्ट्रीय पंचाट ने अवैध ठहराया था, लेकिन बीजिंग उस निर्णय को स्वीकार नहीं करता।
      इसके बजाय, चीन अपने दावे ऐतिहासिक अधिकारों, “नियंत्रण उपायों (control measures)” और अपने तटरक्षक कानूनों के आधार पर उचित ठहराता है।

व्यापक निहितार्थ:

    • क्षेत्रीय स्थिरता के लिए जोखिम:
      दक्षिण चीन सागर एक महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्ग है। निरंतर झड़पें जहाजरानी, मत्स्य पालन को बाधित कर सकती हैं और अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान जैसे देशों को इसमें खींच सकती हैं, जिनका समुद्री मार्गों की स्वतंत्रता (freedom of navigation)” में हित है।
    • समुद्री कानून प्रवर्तन के लिए मिसाल:
      चीन का तटरक्षक बल अब और अधिक आक्रामक रूप में कार्य कर रहा है और कभी-कभी नए कानूनी नियमों के आड़ में भी।
      अन्य देश कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और अंतरराष्ट्रीय मानदंड कैसे विकसित होते हैं, यह अन्य विवादित समुद्री क्षेत्रों के लिए भविष्य की मिसाल बन सकता है।

निष्कर्ष:

थिटू द्वीप के पास हुआ यह समुद्री टकराव चीन और फिलीपींस के बीच दक्षिण चीन सागर में तनाव को और बढ़ा चुका है। क्षेत्र में विभिन्न देशों के दावे और आर्थिक महत्व इसे क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा का अहम मुद्दा बनाते हैं। स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस घटना को गंभीरता से देख रहा है, और हालात अभी भी अस्थिर और संवेदनशील बने हुए हैं।