संदर्भ:
25 सितम्बर 2025 को रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए 97 एलसीए तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमान खरीदे जाएंगे। ₹62,370 करोड़ मूल्य का यह सौदा भारत की सैन्य शक्ति के आधुनिकीकरण और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
समझौते के बारे में:
- इस समझौते में 68 सिंगल-सीट (एकल सीट) लड़ाकू विमान और 29 ट्विन-सीट (दो सीट वाले) ट्रेनर विमान शामिल हैं। इन विमानों की आपूर्ति 2027–28 से शुरू होकर छह वर्षों में पूरी कर दी जाएगी।
- यह खरीद रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 की ‘Buy (Indian-IDDM)’ श्रेणी के अंतर्गत आती है, जिसका अर्थ है कि इसका डिज़ाइन, विकास और उत्पादन पूरी तरह भारत में किया जाएगा।
तेजस एमके-1ए के बारे में:
तेजस Mk1A, एलसीए तेजस मार्क 1 का उन्नत संस्करण है। इसे एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने विकसित किया है और HAL इसका उत्पादन कर रही है। यह Mk1 मॉडल पर आधारित है, लेकिन इसमें एवियोनिक्स, रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, रखरखाव और स्वदेशी तकनीक में कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं।
मुख्य सुधार और विशेषताएँ:
1. रडार और सेंसर सिस्टम
o शुरुआती लगभग 40 Mk1A विमानों में इज़राइली EL/M 2052 AESA रडार लगाया जाएगा।
o इसके बाद इन विमानों में स्वदेशी “उत्तम” AESA रडार (DRDO/BEL/HAL द्वारा विकसित) स्थापित किया जाएगा।
o उत्तम रडार में लगभग 912 ट्रांसमिट-रिसीव (TR) मॉड्यूल हैं, यह मल्टी-मोड ऑपरेशन (एयर-टू-एयर, एयर-टू-ग्राउंड) समर्थित है, बेहतर लक्ष्य ट्रैकिंग करता है और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर में उत्कृष्ट प्रदर्शन प्रदान करता है।
2. अधिक स्वदेशी सामग्री और एवियोनिक्स
o एमके-1ए में Mk1 की तुलना में लगभग 50% अधिक स्वदेशी सामग्री है।
o एलएसपी 07 प्रोटोटाइप में स्वदेशी डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर (DFCC) लगाया गया है, जिससे उड़ान नियंत्रण, संचालन और युद्धाभ्यास की क्षमता और भी बेहतर हो गई है।
3. इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और सुरक्षा
o नया इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम रडार वार्निंग रिसीवर (RWR), एडवांस्ड सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर पॉड और बेहतर परिस्थितिजन्य जागरूकता प्रणाली (Situational Awareness System) से लैस है।
4. हथियार प्रणाली और हार्डपॉइंट
o एमके-1ए में लगभग 9 हार्डपॉइंट्स हैं, जिन पर एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड हथियार लगाए जा सकते हैं, जिसमें BVR मिसाइलें और ASRAAM शामिल हैं।
o यह विमान सटीक निशाने वाले हथियार (Precision Guided Munitions) और ज़मीनी हमले के लिए सक्षम है, केवल हवाई रक्षा तक सीमित नहीं।
इस विमान में 64% से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी और 2021 के करार की तुलना में इसमें 67 नई स्वदेशी तकनीकी चीजें जोड़ी गई हैं। यह भारत के रक्षा उत्पादन तंत्र को मजबूत करेगा और आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाएगा।
रणनीतिक और आर्थिक महत्व:
- एमके-1ए लड़ाकू विमान भारत के पुराने मिग-21/23/27 बेड़े की जगह लेंगे, वायुसेना की स्क्वाड्रन की कमी को पूरा करेंगे और युद्धक क्षमता को बढ़ाएंगे।
- इस समझौते में लगभग 105 भारतीय कंपनियाँ शामिल होंगी, जिससे हर साल 11,000 से अधिक रोजगार सृजित होंगे। इससे भारतीय एयरोस्पेस उद्योग को नई ऊर्जा और गति मिलेगी।
- यह स्वदेशी प्लेटफॉर्म भारत को रणनीतिक रूप से आत्मनिर्भर बनाएगा, विदेशी निर्भरता कम करेगा और भविष्य में रक्षा निर्यात के अवसर खोलेगा। इससे भारत की छवि एक रक्षा निर्यातक देश के रूप में और मजबूत होगी।
निष्कर्ष:
यह समझौता एक रणनीतिक उपलब्धि है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और औद्योगिक विकास दोनों को जोड़ता है। यदि इसे समय पर और प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो यह न केवल भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाएगा बल्कि स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देगा और भारत की स्थिति को वैश्विक स्तर पर एक भरोसेमंद रक्षा निर्माता के रूप में स्थापित करेगा।