होम > Blog

Blog / 06 Aug 2025

"टैरिफ युद्ध और भारत की आर्थिक स्थिति"

संदर्भ:

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत को 'मृत अर्थव्यवस्था' कहने, रूस के साथ भारत के ऊर्जा और रक्षा सौदों पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी देने तथा भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा ने राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर व्यापक बहस को जन्म दिया है।

भारत का आर्थिक प्रदर्शन:

आलोचना के बावजूद, उपलब्ध तथ्य भी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दावे का खंडन करते हैं:

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के अनुसार, भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 1995 से 2025 के बीच लगभग 12 गुना बढ़ी है।
  • यह वृद्धि भारत को चीन के बाद दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं (major economies) में से एक बनाती है।

तथ्यात्मक तुलना: भारत बनाम प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाएँ

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार:

  • वर्ष 1995 से 2025 के बीच अमेरिका की GDP लगभग 4 गुना बढ़ी है।
  • इसी अवधि में ब्रिटेन और जर्मनी की GDP तीन गुना से भी कम बढ़ी है।
  • जापान की GDP 2025 में 1995 की तुलना में कम आंकी गई है, जो वहाँ की आर्थिक स्थिरता (stagnation) को दर्शाता है।

इस प्रकार, भारत को "मृत अर्थव्यवस्था" कहना तथ्यहीन है। भारत ने 2013 में "नाज़ुक पाँच" (Fragile Five) की सूची से ऊपर उठते हुए 2025 तक विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त कर लिया है, जो इसके निरंतर आर्थिक विस्तार का प्रमाण है

Tariff War and India's Economic Condition

वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी:

भारत उन चुनिंदा देशों (जैसे चीन और रूस) में शामिल है, जिनकी वैश्विक GDP में हिस्सेदारी अमेरिका की तुलना में 1995 से 2025 तक बढ़ी है।

·         1995 में भारत की अर्थव्यवस्था, अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आकार का केवल 5% से भी कम थी।

·         2025 तक, यह बढ़कर लगभग 14% तक पहुँचने का अनुमान है।

यह भारत की तेज़ आर्थिक वृद्धि का संकेत देता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक चुनौतियाँ:

हालाँकि भारत के सकल घरेलू उत्पाद के आँकड़े प्रभावशाली हैं, लेकिन वे गहरी चुनौतियों को छिपाते हैं:

1. धीमी विकास दर

2011 के बाद, भारत की विकास दर 2008 से पहले के 8-9% के उच्च स्तर से गिरकर हाल के वर्षों में लगभग 6% रह गई है।

विकास सेवा-आधारित है, न कि कृषि और विनिर्माण क्षेत्र में व्यापक।

2. विनिर्माण और श्रम संबंधी चिंताएँ

2019-20 के बाद से विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन कमजोर रहा है।

    • औद्योगिक क्षेत्र पर्याप्त रोज़गार नहीं पैदा कर पा रहा, जिससे कृषि पर दबाव बढ़ा है।
    • ग्रामीण संकट और अल्प-रोज़गार (underemployment) अब भी प्रमुख चिंता हैं।

3. व्यापार और वैश्विक एकीकरण

भारत का वस्तु निर्यात वैश्विक व्यापार का केवल 1.8% है।

सेवा निर्यात 4.5% पर अधिक मज़बूत है, लेकिन इसमें औद्योगिक पूरकता का अभाव है।

4. असमानता और गरीबी

भारत की 24% आबादी गरीबी रेखा से नीचे है।

पिछले दशक में आय असमानता में तेज़ी से वृद्धि हुई है।

5. मानव विकास की कमी

·         महिला श्रम भागीदारी विश्व स्तर पर सबसे कम है।

·         शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी (unemployment) गंभीर चुनौती बनती जा रही है, जिसे एक "टाइम बम" कहा जा सकता है।

·         स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास में भारत का प्रदर्शन कमजोर रहा है।

 

निष्कर्ष:

भारत स्पष्ट रूप से एक "मृत अर्थव्यवस्था" नहीं है। पिछले 30 वर्षों में इसकी आर्थिक उन्नति वैश्विक स्तर पर मापने योग्य और महत्वपूर्ण दोनों है। हालाँकि, विकास की गुणवत्ताइसकी समावेशिता, स्थायित्व और रोज़गार सृजन क्षमताअभी भी संदिग्ध बनी हुई है।