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Blog / 09 Dec 2025

तमिलनाडु को मिले 5 नए भौगोलिक संकेत (GI) टैग

संदर्भ:

हाल ही में तमिलनाडु के पाँच नए पारंपरिक और क्षेत्र-विशिष्ट उत्पादों को भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्रदान किया गया है। यह प्रमाणन भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री द्वारा किया गया है, जो वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन संचालित होती है।  

नए GI टैग वाले उत्पाद:

1.      वोरैयूर कॉटन साड़ी

2.     कविंदपदी नट्टू सकराई ( गुड़ पाउडर)

3.     नमक्कल मक्कल पथिरंगल (सोपस्टोन कुकवेयर)

4.    थूयामल्ली चावल (पारंपरिक चावल की किस्म)

5.     अम्बसमुद्रम चोप्पू सामन (लकड़ी के खिलौने)

महत्त्व: इन पाँच टैगों के बाद तमिलनाडु में अब कुल 74 GI प्रमाणित उत्पाद हो गए हैं। पूरे भारत में GI टैग वाले उत्पादों की संख्या के आधार पर तमिलनाडु अब उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है।

वोरैयूर कॉटन साड़ी के बारे में:

·         आवेदक: वोरैयूर देवंगा हैंडलूम वीवर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी (2022)

·         उत्पादन क्षेत्र: वोरैयूर , कोट्टाथुर , पैथमपराई और आसपास के समूह

·         बुनकर: देवंगा चेट्टियार समुदाय

·         मुख्य विशेषताएँ:

o    आकर्षक कोरवाई बॉर्डर, जिनमें रंगीन ब्लॉक पैटर्न और ज्यामितीय डिज़ाइन होते हैं।

o    साड़ी पर आम, चूड़ी, मोती और अन्य डिज़ाइन बनाए जाते हैं।

·         ऐतिहासिक महत्व: इसकी बुनाई की शुरुआत चोल साम्राज्य के समय मानी जाती है।

थूयामल्ली चावल के बारे में:

         उगने वाला क्षेत्र: तमिलनाडु में मूल रूप से पाया जाता है, वर्तमान में मुख्य रूप से कांचीपुरम में उगाया जाता है।

         विशेषताएँ:

o   सुगंध भरे, चमकदार दाने, “मोती चावलके नाम से भी प्रसिद्ध

o   फ़सल अवधि: 135–140 दिन (नर्सरी सहित)

         स्वास्थ्य लाभ:

o   फाइबर, प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम से भरपूर

o   मधुमेह (डायबिटीज़) के लिए अच्छा क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक स्तर कम होता है।

अंबासमुद्रम चोप्पू सामान (लकड़ी के खिलौने):

         आवेदक: अंबासमुद्रम भरणी मारा वर्णा कदासल कारीगर कल्याण संघ (पूम्पुहार के सहयोग से)

         निर्माण क्षेत्र: अंबासमुद्रम, तिरुनेलवेली जिला

         मुख्य विशेषताएँ:

o   आकार में छोटे और बेहद आकर्षक, चमकीले रंगों वाले खिलौने

o   आकारों की विविधता छोटे रसोई के बर्तनों जैसे सेट (चोप्पू सामान) तथा घूमने वाले लट्टू (पम्बरम)

         कच्चा माल: पहले प्रायः कदंब, सागौन और शीशम की लकड़ी का उपयोग किया जाता था; वर्तमान में रबरवुड और यूकेलिप्टस की लकड़ी का उपयोग भी किया जा रहा है।

नमक्कल मक्कल पथिरंगल (सोपस्टोन कुकवेयर):

         आवेदक: नमक्कल स्टोन प्रोडक्ट्स मैन्युफैक्चरर्स तथा MSME टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर

         महत्त्व:

o    इमली और नींबू जैसे खट्टे पदार्थों वाला भोजन पकाने के लिए अत्यंत उपयुक्त, तथा अचार, दूध और दही को सुरक्षित रूप से रखने के लिए भी भरोसेमंद

o    जंग नहीं लगने वाले और स्वास्थ्य की दृष्टि से पूरी तरह सुरक्षित (गैर-विषाक्त)

कविंदपडी नट्टू सक्कराई (गुड़ पाउडर):

         आवेदक: तमिलनाडु कृषि विपणन बोर्ड

         विशेषताएँ: एरोड क्षेत्र का सुनहरा भूरा, मीठा गुड़ पाउडर

         प्रमुख उत्पादन क्षेत्र: कविंदपडी क्षेत्र, जहाँ सिंचाई की व्यवस्था लोअर भवानी प्रोजेक्ट नहर प्रणाली से होती है

भौगोलिक संकेत (GI) टैग के बारे में:

         परिभाषा: यह किसी विशेष क्षेत्र से उत्पन्न उत्पाद की पहचान को प्रमाणित करता है, जिसकी गुणवत्ता, विशिष्टता या प्रतिष्ठा सीधे उस क्षेत्र से जुड़ी होती है। (उदाहरण: दार्जिलिंग चाय, बासमती चावल)

         कानूनी आधार (भारत): वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999

         प्रशासनिक निकाय: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्यरत डीपीआईआईटी

         रजिस्ट्री: भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री, चेन्नई

         अंतरराष्ट्रीय संरेखण: विश्व व्यापार संगठन के Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights (TRIPS) समझौते के अनुरूप

         वैधता: GI टैग की अवधि 10 वर्ष होती है, जिसे बाद में नवीनीकृत किया जा सकता है।

GI टैग के लाभ:

         आर्थिक लाभ: उत्पाद की बाज़ार में पहचान और कीमत बढ़ती है, निर्यात के अवसर बढ़ते हैं और स्थानीय किसानों, कारीगरों तथा उत्पादकों की आय में सीधा लाभ होता है।

         सांस्कृतिक लाभ: पारंपरिक कला, तकनीक, कौशल और क्षेत्रीय पहचान का संरक्षण होता है, जिससे स्थानीय विरासत सुरक्षित रहती है।

         कानूनी लाभ: उत्पाद की नकल या नाम के गलत उपयोग पर रोक लगती है, तथा असली उत्पाद को विधिक संरक्षण मिलता है।

     विकास संबंधी लाभ: ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, कारीगरों और किसानों को स्थिर बाज़ार मिलता है और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलता है।