सन्दर्भ:
हाल ही में भारतीय नौसेना ने अपने नए सर्वेक्षण पोत (Survey Vessel - Large class ship) ‘इक्षाक’ को कोच्चि स्थित दक्षिणी नौसैनिक कमान में शामिल किया। इस समारोह की अध्यक्षता नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने की।
आईएनएस इक्षाक के विषय में:
-
-
- ‘इक्षाक’ चार बड़े सर्वेक्षण पोतों (Survey Vessel Large - SVL Class) में से तीसरा है, जिसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE), कोलकाता द्वारा निर्मित किया गया है।
- यह पोत 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री से निर्मित है, जो सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के अनुरूप है।
- इसे बंदरगाहों, जलमार्गों और नौवहन चैनलों का व्यापक हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने हेतु तैयार किया गया है, ताकि समुद्री नेविगेशन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- इसमें आधुनिक हाइड्रोग्राफिक और ओशेनोग्राफिक प्रणालियाँ लगी हैं, जिनमें स्वायत्त जलमग्न वाहन और दूर नियंत्रित वाहन शामिल हैं, जो 11,000 मीटर गहराई तक सर्वेक्षण करने में सक्षम हैं।
- ‘इक्षाक’ चार बड़े सर्वेक्षण पोतों (Survey Vessel Large - SVL Class) में से तीसरा है, जिसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE), कोलकाता द्वारा निर्मित किया गया है।
-
भूमिका और संचालन क्षमता:
INS इक्षाक का मुख्य कार्य हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करना है, जिसके माध्यम से:
-
-
- नौवहन की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, जिससे वाणिज्यिक एवं नौसैनिक जहाज सुरक्षित रूप से संचालित हो सकें।
- सटीक नौटिकल चार्ट और इलेक्ट्रॉनिक नेविगेशन चार्ट तैयार किए जाते हैं।
- यह रक्षा संचालन , तटीय सुरक्षा तथा समुद्री संसाधन प्रबंधन में सहयोग करता है।
- पर्यावरणीय और महासागरीय आंकड़े एकत्र कर समुद्री अनुसंधान (Maritime Research) और आपदा प्रबंधन में सहायता प्रदान करता है।
- इस पोत की उन्नत क्षमताएँ भारत की समुद्री क्षेत्रीय जागरूकता को सुदृढ़ करेंगी और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देंगी।
- नौवहन की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, जिससे वाणिज्यिक एवं नौसैनिक जहाज सुरक्षित रूप से संचालित हो सकें।
-
रणनीतिक महत्व:
-
-
- यह पोत भारत की समुद्री सीमाओं (Maritime Zones) का वैज्ञानिक और सटीक मानचित्रण करने की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे सुरक्षित नौवहन और बंदरगाह विकास में सहायता मिलती है।
- यह भारत की समुद्री अवसंरचना को सशक्त बनाता है और नौसेना की ब्लू-वॉटर क्षमताओं को मजबूती प्रदान करता है।
- यह भारत की हाइड्रोग्राफिक सहयोग में नेतृत्वकारी भूमिका को सुदृढ़ करता है, जो देश की ‘सागर’ नीति (SAGAR – Security and Growth for All in the Region) के अनुरूप है।
- यह पोत भारत की समुद्री सीमाओं (Maritime Zones) का वैज्ञानिक और सटीक मानचित्रण करने की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे सुरक्षित नौवहन और बंदरगाह विकास में सहायता मिलती है।
-
सर्वेक्षण पोत (बड़ा वर्ग) के बारे में:
-
-
- इस वर्ग के चार पोत हैं — संधायक, निर्देशक , इक्षाक और संशोधक ।
- प्रत्येक पोत की लंबाई लगभग 110 मीटर और भार क्षमता लगभग 3,400 टन (tonnes) है।
- इनमें उन्नत सेंसर, स्वचालित प्रणालियाँ और लंबी सहनशक्ति जैसी विशेषताएँ हैं।
- इस वर्ग के चार पोत हैं — संधायक, निर्देशक , इक्षाक और संशोधक ।
-
निष्कर्ष:
INS इक्षाक का नौसेना में सम्मिलन भारत की स्वदेशी नौसैनिक क्षमता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह पोत आधुनिक तकनीक और स्वदेशी निर्माण के समन्वय से भारत की नौसेना को और अधिक रणनीतिक रूप से तैयार तथा समुद्री सीमाओं की सुरक्षा हेतु सक्षम बनाता है। यह भारत के समुद्री बुनियादी ढाँचे को मजबूत करते हुए राष्ट्र की सामरिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक समुद्री नेतृत्व की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
