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Blog / 21 Aug 2025

खारे पानी के मगरमच्छों का सर्वेक्षण

संदर्भ:

हाल ही में पश्चिम बंगाल वन विभाग द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि सुंदरबन बायोस्फीयर रिजर्व में खारे पानी के मगरमच्छों (क्रोकोडाइलस पोरोसस) की आबादी में 2024 की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस सकारात्मक रुझान का श्रेय भगबतपुर मगरमच्छ परियोजना के तहत राज्य सरकार द्वारा दशकों से किए जा रहे निरंतर प्रयासों को दिया जा रहा है।

मुख्य निष्कर्ष:

·        जनसंख्या अनुमान (2025) के अनुसार, सुंदरबन बायोस्फीयर रिजर्व में खारे पानी के मगरमच्छों की संख्या 220 से 242 के बीच मानी गई है, जबकि प्रत्यक्ष दृश्य के दौरान कुल 213 मगरमच्छ देखे गए। इनमें से 125 वयस्क, 88 किशोर और 23 नवजात थे। 2024 की तुलना में 2025 में सभी जनसांख्यिकीय श्रेणियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें वयस्कों की संख्या 71 से बढ़कर 125, किशोरों की संख्या 41 से 88 और नवजात की संख्या 2 से 23 हो गई है।

खारे पानी के मगरमच्छ के बारे में:

·        खारे पानी का मगरमच्छ (क्रोकोडाइलस पोरोसस) सभी मगरमच्छों में सबसे बड़ा और दुनिया का सबसे बड़ा सरीसृप है, जिसकी लंबाई अक्सर 6 मीटर से अधिक होती है। यह मगरमच्छ तटीय भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। इसके प्रमुख आवास मुहाना, नदियाँ, मैंग्रोव और तटीय आर्द्रभूमि हैं। भारत में इसके मुख्य आवास भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान (ओडिशा), सुंदरबन (पश्चिम बंगाल) और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह हैं।

पारिस्थितिक महत्व और खतरे:

·        खारे पानी का मगरमच्छ एक ऐसा शिकारी है जो जल स्रोतों में शिकार की संख्या को संतुलित रखता है और मृत जानवरों को साफ करके पानी को साफ़ बनाए रखता है। इसके सामने प्रमुख खतरे हैं आवास का नुकसान, अवैध शिकार और बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष, विशेषकर मैंग्रोव के पास मछुआरा समुदायों के मध्य।

संरक्षण हेतु उपाय:

·        आईयूसीएन द्वारा 'सबसे कम चिंताजनक' श्रेणी में सूचीबद्ध, भारत में मगरमच्छ संरक्षण के प्रयास जारी हैं। मगरमच्छ संरक्षण परियोजना (1975) और पश्चिम बंगाल की भगबतपुर मगरमच्छ परियोजना ने जनसंख्या सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

सुंदरवन बायोस्फीयर रिजर्व के बारे में:

·        सुंदरवन बायोस्फीयर रिजर्व, जिसे 1989 में स्थापित किया गया था, पश्चिम बंगाल का एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र है। यह गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के द्वारा बने विश्व के सबसे बड़े डेल्टा का हिस्सा है। यह दुनिया के सबसे बड़े ज्वारीय लवणभक्षी मैंग्रोव वन का भी घर है। इसकी सीमा मुरीगंगा नदी (पश्चिम) और हरिनभंगा तथा रायमंगल नदियों (पूर्व) से लगी हुई है।

पारिस्थितिक महत्व:

·        सुंदरवन एकमात्र मैंग्रोव वन है जहाँ रॉयल बंगाल टाइगर रहते हैं। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और रामसर साइट है, जो इसकी वैश्विक पारिस्थितिक महत्ता को दर्शाता है। यह क्षेत्र विविध वन्यजीवों का घर है, जिनमें खारे पानी के मगरमच्छ, डॉल्फ़िन, कछुए और कई पक्षी प्रजातियाँ शामिल हैं। सुंदरवन चक्रवात और तटीय कटाव के खिलाफ एक प्राकृतिक अवरोध का काम करता है और कार्बन सिंक के रूप में भी कार्य करता है, जिससे जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष:

सुंदरवन में खारे पानी के मगरमच्छों की बढ़ती आबादी संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। हालांकि, इस महत्वपूर्ण प्रजाति की दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए उनके आवास की निरंतर निगरानी और संरक्षण आवश्यक है।