होम > Blog

Blog / 14 Aug 2025

आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

संदर्भ:

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर समर्पित आश्रय स्थलों में रखा जाए तथा उन्हें पुनः सड़कों पर न छोड़ा जाए। यह आदेश न्यायमित्र की उस रिपोर्ट के आधार पर पारित किया गया, जिसमें कुत्तों के काटने या हमले के भय से मुक्त होकर नागरिकों के सुरक्षित और निर्बाध आवागमन के मौलिक अधिकार को रेखांकित किया गया था।

न्यायमित्र की रिपोर्ट:

  • न्यायमित्र की रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों की उपस्थिति भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(डी) और अनुच्छेद 21 के तहत मनुष्यों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, जो क्रमशः स्वतंत्र रूप से घूमने के अधिकार और जीवन के अधिकार की गारंटी देते हैं।
  • रिपोर्ट में वर्ष 2023 के पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control – ABC) नियमों की आलोचना की गई है, जिनमें आवारा कुत्तों को सामुदायिक पशुके रूप में वर्गीकृत किया गया है तथा नसबंदी के बाद उन्हें उनके मूल स्थान पर वापस छोड़ने का प्रावधान किया गया है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के विपरीत, अधिकांश विकसित देशों में आवारा कुत्ते सार्वजनिक स्थानों पर नहीं घूमते हैं। इसने इस बात पर ज़ोर दिया कि जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सड़कें, हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन आवारा कुत्तों से मुक्त होने चाहिए। 2023 के एबीसी नियमों को मानवाधिकारों पर आवारा कुत्तों के "अधिकारों" को प्राथमिकता देने वाला माना गया, जिसे न्यायमित्र ने अस्वीकार्य माना।

Supreme Court's Order on Stray Dogs

आदेश के मुख्य बिंदु:

  • सुप्रीम कोर्ट ने जन सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की आवश्यकता का हवाला देते हुए आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों से हटाकर समर्पित आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है।
  • अदालत ने विशेष रूप से निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद उन्हें सड़कों पर वापस नहीं छोड़ा जाना चाहिए और मनुष्यों को संभावित नुकसान से बचाने के महत्व पर ज़ोर दिया है।
  • अदालत ने सीसीटीवी निगरानी लागू करने और कुत्तों के काटने की शिकायतों के समाधान और त्वरित कार्रवाई के लिए एक हेल्पलाइन स्थापित करने की भी सिफारिश की है।

यह आदेश क्यों महत्वपूर्ण है:

  • कुत्तों के काटने के मामले: सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में देशभर में कुत्तों के काटने के कुल 37,15,713 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से अकेले दिल्ली में 25,201 मामले सामने आए।
  • घटनाओं में वृद्धि: रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच दिल्ली में कुत्तों के काटने की घटनाओं में 50% की वृद्धि हुई है, जो आवारा कुत्तों के प्रबंधन से संबंधित बढ़ती सार्वजनिक चिंता को रेखांकित करती है।       

चिंताएँ:

  • पशु कल्याण संगठनों की प्रतिक्रिया: पेटा इंडिया सहित कई पशु कल्याण संगठनों ने इस आदेश पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह कदम आवारा कुत्तों की समस्या को हल करने में क्रूर और अप्रभावी हो सकता है।
  • कार्यान्वयन की चुनौतियाँ: विशेषज्ञों का मानना है कि इस आदेश को लागू करना आसान नहीं होगा, क्योंकि दिल्ली-एनसीआर में बड़ी संख्या में आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त आश्रय स्थल और संसाधन उपलब्ध नहीं हैं।

निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और न्यायमित्र की रिपोर्ट, आवारा कुत्तों के प्रबंधन के प्रति भारत के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाते हैं। यह स्पष्ट करता है कि मानव सुरक्षा और मौलिक अधिकारों से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। यह निर्देश सड़कों को सभी नागरिकों के लिए सुरक्षित बनाने हेतु त्वरित और व्यावहारिक समाधान अपनाने का आह्वान करता है, साथ ही समर्पित आश्रय स्थलों और गोद लेने की पहल के माध्यम से पशु कल्याण के सम्मान पर भी बल देता है।