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Blog / 07 May 2025

सुप्रीम कोर्ट ने पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया

संदर्भ:

जनता का विश्वास बढ़ाने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। 1 अप्रैल 2025 को सभी मौजूदा जजों ने एकमत से यह तय किया था कि सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक रूप से घोषित करनी होगी।

पृष्ठभूमि:

यह नया नियम पहले की व्यवस्थाओं से काफी भिन्न और सख्त है:

  • 1997: सुप्रीम कोर्ट ने एक नियम अपनाया था जिसके तहत जजों को अपनी संपत्ति (साथ ही उनके जीवनसाथी और आश्रितों की संपत्ति) केवल मुख्य न्यायाधीश (CJI) को निजी रूप से घोषित करनी होती थी।
  • 2009: सुप्रीम कोर्ट ने जजों को स्वेच्छा से अपनी संपत्ति ऑनलाइन घोषित करने की अनुमति दी, लेकिन इस नियम का पालन सभी जजों ने नहीं किया।

अब, अप्रैल 2025 में जारी किए गए नए निर्देशों के तहत, यह घोषणा अनिवार्य कर दी गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट अब जवाबदेही को लेकर एक सख्त रुख अपना रहा है।

6 मई 2025 तक सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर 33 में से 21 जज अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा कर चुके हैं।

1997 की न्यायिक जीवन के मूल्यों की पुनर्पुष्टिके बारे में:

यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनाई गई आचार संहिता है, जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के लिए आचरण के मानक तय करती है। इसके मुख्य बिंदु हैं:

  • ऐसे कार्यों से बचना जो न्यायपालिका में जनता का विश्वास खत्म कर सकते हैं।
  • जिन मामलों में परिवार या मित्र शामिल हों, उनमें स्वयं को अलग करना।
  • राजनीतिक मामलों पर सार्वजनिक टिप्पणी न करना।
  • केवल करीबी रिश्तेदारों से ही उपहार या मेहमाननवाजी स्वीकार करना।
  • व्यापार या व्यावसायिक गतिविधियों से दूर रहना।
  • अपने पद से जुड़े कोई वित्तीय लाभ केवल तभी लेना जब वह स्पष्ट रूप से अनुमति प्राप्त हो।

सुप्रीम कोर्ट ने पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया

सर्वोच्च न्यायालय के बारे में:

भारतीय संविधान के भाग V के अंतर्गत अनुच्छेद 124 से 147 सर्वोच्च न्यायालय की संरचना, अधिकार क्षेत्र, शक्तियों, स्वतंत्रता, प्रक्रियाओं और अन्य संबंधित मामलों से संबंधित हैं।

संघटन

  • प्रारम्भ में 8 न्यायाधीश थे; वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सहित 34 न्यायाधीश हैं।
  • संसद अनुच्छेद 124 के अंतर्गत न्यायाधीशों की संख्या में परिवर्तन कर सकती है।

न्यायाधीशों की नियुक्ति

  • मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ न्यायाधीशों के परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • कॉलेजियम प्रणाली द्वारा निर्देशित (द्वितीय एवं तृतीय न्यायाधीश के मामलों से)।
  • न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक कार्य करते हैं।

योग्यताएं (अनुच्छेद 124(3))

  • भारतीय नागरिक होना चाहिए.
  • 5 वर्षों तक हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया हो या 10 वर्षों तक हाईकोर्ट के वकील के रूप में कार्य किया हो, या
  • राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता बनें।

न्यायाधीशों के प्रकार

  • कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (अनुच्छेद 126) : जब मुख्य न्यायाधीश अनुपस्थित हो।
  • तदर्थ न्यायाधीश (अनुच्छेद 127) : उच्च न्यायालयों से अस्थायी रूप से नियुक्त किए जाते हैं।
  • सेवानिवृत्त न्यायाधीश (अनुच्छेद 128) : राष्ट्रपति की सहमति से पुनर्नियुक्ति।

न्यायाधीशों को हटाना

  • आधार: दुर्व्यवहार या अक्षमता।
  • न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 के तहत प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
  • इसके लिए संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत और राष्ट्रपति की स्वीकृति की आवश्यकता होती है।

क्षेत्राधिकार एवं शक्तियां

  • मूल अधिकारिता (अनुच्छेद 131) : केंद्र और राज्यों के बीच विवाद।
  • अपीलीय क्षेत्राधिकार (अनुच्छेद 132-136) : संवैधानिक/आपराधिक/सिविल मामलों पर अपील।
  • सलाहकार क्षेत्राधिकार (अनुच्छेद 143) : राष्ट्रपति राय ले सकते हैं।
  • रिट क्षेत्राधिकार (अनुच्छेद 32) : मौलिक अधिकारों को लागू करना।
  • अभिलेख न्यायालय (अनुच्छेद 129) : अवमानना शक्तियां।
  • न्यायिक समीक्षा : असंवैधानिक कानूनों/कार्यवाहियों को अमान्य कर सकती है।

निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जजों की संपत्ति सार्वजनिक करने का निर्णय पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम है। जैसे-जैसे अधिक जज इस निर्देश का पालन करेंगे, न्यायपालिका और जनता के बीच विश्वास और पारदर्शिता और भी मजबूत होगी यही विश्वास हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था की बुनियाद है।