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Blog / 17 Sep 2025

सुप्रीम कोर्ट का वंतारा पर फैसला

संदर्भ:

हाल ही में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने वंतारा (जो रिलायंस फ़ाउंडेशन द्वारा संचालित एक वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र है) पर लगे सभी आरोपों को पूरी तरह ख़ारिज कर दिया। इन आरोपों में वन्यजीवों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग और वन्यजीव कानूनों का उल्लंघन शामिल था। मामला उन याचिकाओं से जुड़ा था, जिनमें मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए संस्था पर अवैध रूप से विदेशी जानवर मंगवाने और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2025 में एक विशेष जाँच दल (SIT) का गठन किया था और उसे स्वतंत्र जांच करने का आदेश दिया था।

एसआईटी की रिपोर्ट और कोर्ट का निर्णय:

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल (SIT) ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष दिया कि वंतारा ने न तो किसी भारतीय और न ही अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव, सीमा शुल्क या वित्तीय कानून का उल्लंघन किया है।

  • एसआईटी ने यह भी स्पष्ट किया कि वंतारा से जुड़ी सभी प्रक्रियाएँ पूरी तरह कानूनी थीं और उनके पास आवश्यक दस्तावेज मौजूद थे।
  • एसआईटी की सीलबंद रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि इन्हीं आरोपों के आधार पर भविष्य में किसी भी अदालत या वैधानिक संस्था में कोई नई शिकायत स्वीकार नहीं की जाएगी।
  • अदालत ने इस विषय पर बार-बार दाखिल की जाने वाली जनहित याचिकाओं (PILs) को आधारहीन अटकलेंऔर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोगकरार दिया।

वंतारा और उसका उद्देश्य:

वंतारा (अर्थात वन का तारा) एक गैर-व्यावसायिक वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र है, जो गुजरात के जामनगर में 3,500 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे रिलायंस फ़ाउंडेशन के अंतर्गत अनंत अंबानी ने मार्च 2025 में स्थापित किया था।

·         इस केंद्र में 2,000 से अधिक प्रजातियों के लगभग 1.5 लाख से ज्यादा जानवर रहते हैं, जिनमें हाथी, गैंडे और कई दुर्लभ विदेशी पक्षी भी शामिल हैं।

·         यह किसी चिड़ियाघर या सफारी पार्क की तरह नहीं है, क्योंकि यहाँ आम जनता के लिए प्रवेश नहीं है। इसका मुख्य काम केवल बचाव, पुनर्वास और संरक्षण पर केंद्रित है।

विशेषताएँ और मान्यता:

वंतारा का ग्रीन्स ज़ूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (GZRRC) 650 एकड़ में फैला हुआ है, जहाँ प्रजाति-विशिष्ट देखभाल और अलग-अलग एनक्लोज़र बनाए गए हैं।

·         हाथियों के लिए एक विशेष इकाई बनाई गई है, जिसमें हाइड्रोथेरेपी और मेडिकल सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जो इसे अलग बनाती हैं।

·         वंतारा को भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की ओर से प्राणी मित्र पुरस्कार भी मिल चुका है, जो पशु संरक्षण में इसके योगदान को मान्यता देता है।

निष्कर्ष:

न्यायालय का यह फैसला दर्शाता है कि बड़े और संवेदनशील पर्यावरणीय तथा कॉर्पोरेट मामलों में न्यायिक प्रक्रिया का सही और पूर्ण पालन कितना आवश्यक है। यह न केवल न्यायिक जवाबदेही को मज़बूत करता है, बल्कि वास्तविक संरक्षण पहलों को संरक्षण भी प्रदान करता है और आधारहीन जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग को हतोत्साहित करता है। साथ ही, यह निर्णय निजी क्षेत्र की सकारात्मक भागीदारी को प्रोत्साहन देता है, जिससे नैतिक और जिम्मेदार वन्यजीव देखभाल का एक सशक्त मॉडल सामने आता है। आने वाले समय में यह फैसला भारत में संरक्षण प्रयासों की दिशा और नीति निर्माण, दोनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।