संदर्भ:
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा है कि देश में संपत्ति की ख़रीद-बिक्री आम नागरिकों के लिए “एक पीड़ादायक अनुभव” बनी हुई है। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि भारत में दीवानी मुकदमों में से लगभग 66% मामले केवल संपत्ति विवादों से जुड़े होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि संपत्ति कानूनों को आधुनिक बनाया जाए और संपत्ति पंजीकरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए ब्लॉकचेन (Blockchain) तकनीक का इस्तेमाल किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य अवलोकन:
1. संपत्ति लेनदेन में चुनौतियाँ:
• फर्जी दस्तावेज़ और भूमि अतिक्रमण के मामले आम हैं।
• उप-पंजीयक कार्यालयों में सत्यापन में देरी और जटिल प्रक्रियाएँ।
• बिचौलियों और दलालों पर अत्यधिक निर्भरता।
• दस्तावेज़ सत्यापन के लिए दो गवाहों की अनिवार्यता।
• भूमि राज्य का विषय होने के कारण, राज्यों में पंजीकरण प्रक्रियाओं में असमानता।
2. औपनिवेशिक युग के कानून: वर्तमान प्रणाली आज भी 19वीं सदी के औपनिवेशिक कानूनों पर आधारित है, जैसे - संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882; भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 और पंजीकरण अधिनियम, 1908। अदालत ने कहा कि ये कानून अब आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं और इनका पुनर्गठन आवश्यक है।
3. अनुमानित बनाम निर्णायक स्वामित्व: मुख्य समस्या यह है कि वर्तमान कानून के तहत संपत्ति का पंजीकरण केवल अनुमानित स्वामित्व प्रदान करता है, जिसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है। यह निर्णायक स्वामित्व नहीं है, जिसे राज्य की गारंटी प्राप्त हो। इससे खरीदार पर स्वामित्व इतिहास और अभिलेखों की स्वयं जाँच करने का भारी बोझ पड़ता है, जिससे पूरी प्रक्रिया जटिल, समयसाध्य और अविश्वसनीय बन जाती है।
सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशें:
1. ब्लॉकचेन तकनीक अपनाना:
· भूमि के स्वामित्व, इतिहास, बाधाएँ और ट्रांसफर की जानकारी को एक डिजिटल, अपरिवर्तनीय ब्लॉकचेन लेज़र पर दर्ज किया जाए।
· इससे संपत्ति रिकॉर्ड की सत्यता और जनता का भरोसा बढ़ेगा।
· भू-नक्शे सर्वे डेटा और राजस्व अभिलेखों को एकीकृत कर एक ऐसी प्रणाली बनाई जाए जो अधिकारियों और आम जनता, दोनों के लिए पारदर्शी व विश्वसनीय हो।
2. संपत्ति कानूनों का आधुनिकीकरण:
· भारतीय विधि आयोग को निर्देश दिया गया है कि वह औपनिवेशिक युग के पुराने कानूनों के पुनर्गठन पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करे, जिनमें शामिल हैं:
o संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882
o पंजीकरण अधिनियम, 1908
o भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899
· उद्देश्य: संपत्ति संबंधी कानूनों को आधुनिक तकनीक, पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना।
महत्त्व:
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- यह कदम संपत्ति विवादों से जुड़ी सार्वजनिक परेशानियों और मुकदमों की संख्या में उल्लेखनीय कमी लाएगा।
- इससे कारोबार करने में आसानी (Ease of Doing Business) बढ़ेगी और निवेशकों का भरोसा मज़बूत होगा।
- संपत्ति संबंधी प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और विश्वास सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी को प्रभावी रूप से एकीकृत किया जाएगा।
- यह कदम संपत्ति विवादों से जुड़ी सार्वजनिक परेशानियों और मुकदमों की संख्या में उल्लेखनीय कमी लाएगा।
निष्कर्ष:
यदि भारत में ब्लॉकचेन-आधारित संपत्ति पंजीकरण प्रणाली लागू की जाती है और पुराने औपनिवेशिक कानूनों में आवश्यक संशोधन किए जाते हैं, तो यह कदम देश के रियल एस्टेट क्षेत्र में एक व्यापक परिवर्तन ला सकता है। इससे संपत्ति अधिकारों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होगी, न्यायालयों पर मुकदमों का बोझ घटेगा और भारत डिजिटल शासन तथा संस्थागत सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक प्रगति करेगा।
